पहलगाम हमले से कनेक्शन बताकर PGI के रिटायर्ड अफसर को किया डिजिटल अरेस्ट, 50 लाख ठगे
लखनऊ में साइबर ठगों ने एसजीपीजीआइ के सेवानिवृत्त अधिकारी और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 50 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने खुद को कश्मीर पुलिस का अधिकारी बताकर दंपति को आतंकी कनेक्शन का डर दिखाया और पैसे ऐंठ लिए। इससे पहले भी एसजीपीजीआइ की एक डॉक्टर साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। साइबर सुरक्षा के प्रयासों को ठेंगा दिखाते हुए जालसाज नए-नए पैतरे आजमा रहे हैं। संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी और उनकी पत्नी को चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके 50 लाख रुपये ठगने का मामला सामने आया है।
ठगों ने कश्मीर पुलिस का अधिकारी बनकर उनसे संपर्क किया और पीड़ितों को बताया कि उनका संबंध पहलगाम हमले के आतंकी संगठन से है। इंस्पेक्टर धीरेंद्र सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर साइबर क्राइम सेल की मदद से जांच की जा रही है।
इससे पहले एसजीपीजीआइ की डाक्टर रुचिका टंडन को सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये ठग लिए थे। मनी लांड्रिंग और मानव तस्करी के आरोप का डर दिखाकर उन्हें फंसाया था। रायबरेली रोड स्थित कृष्ण विहार निवासी केंद्रीय विद्यालय की शिक्षिका रश्मि प्रधान के पति दिनेश प्रधान पीजीआइ के प्रशासनिक भवन में अधिकारी थे।
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18 अगस्त को दिनेश के मोबाइल पर एक कॉल आई, जिसमें एक महिला ने खुद को कश्मीर पुलिस की इंस्पेक्टर अनीता वर्मा बताया। महिला ने बताया कि दिनेश का कनेक्शन पहलगाम आतंकी हमले से है और उनके आधार कार्ड का प्रयोग आतंकियों ने एचडीएफसी बैंक में 70 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए किया है।
इसके बाद एक अन्य व्यक्ति ने खुद को एटीएस का अधिकारी बताया और जांच में सहयोग करने के बदले में 70 लाख रुपये की मांग की। विरोध करने पर बेटे और परिवार के सदस्यों की हत्या करने की धमकी दी। दंपती को 19 से 22 अगस्त तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और वीडियो कॉलिंग के जरिए निगरानी की गई।
इस दौरान तीन किस्तों में 50 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराए गए। जब दंपती ने 20 लाख रुपये और देने से मना कर दिया तो उन्हें लगातार धमकी दी गई। 30 अगस्त को पीड़िता ने पीजीआइ थाने में तहरीर दी।
डीआइजी किरीट राठौर को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास
डीआइजी पीएसी मुख्यालय किरीट राठौर के साथ डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का प्रयास किया गया। डीआइजी के मुताबिक उनके सीयूजी नंबर पर 28 अगस्त की दोपहर तीन बजे के करीब एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को पहलगाम से इंस्पेक्टर रणजीत कुमार बताया और धमकाते हुए कहा कि इस सीयूजी नंबर से आतंकियों से बात की गई है।
जब डीआइजी ने बताया कि वह पुलिस विभाग के अधिकारी हैं तो कॉल करने वाले ने अभद्रता करते हुए मोबाइल बंद कर दिया। इंस्पेक्टर महानगर अखिलेश मिश्रा के मुताबिक, मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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