Smart Meter: स्मार्ट मीटर को लेकर मिल रही शिकायतें के बीच हो गया बड़ा खेल, उपभोक्ताओं को बिता बताए ही...
लखनऊ में बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं की सहमति के बिना 2.54 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर को प्रीपेड मोड में बदल दिया जिससे उनकी सुरक्षा राशि से मीटर रिचार्ज हो गए। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में इसका विरोध किया है और इसे विद्युत अधिनियम का उल्लंघन बताया। परिषद ने मीटर की गुणवत्ता और अनिवार्य स्थापना पर भी सवाल उठाए हैं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में लगाए जा चुके स्मार्ट प्रीपेड मीटर में उपभोक्ताओं की सहमति लिए बिना उनके मीटर को प्रीपेड मोड में परिवर्तित करने का खेल शुरू किया गया है। बिजली कंपनियों ने 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर को प्री पेड मोड में परिवर्तित कर दिया है। इन उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी धनराशि से मीटर को रिचार्ज भी कर दिया गया है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग में इसके विरोध में लोकमहत्व का प्रस्ताव दाखिल किया। प्रस्ताव में लिखा है कि बिजली कंपनियों का यह कृत्य विद्युत अधिनियम की धारा 47 (5) का उल्लंघन है। इस मामले में आयोग से तत्काल निर्णय लिए जाने का अनुरोध किया गया है। प्रस्ताव के माध्यम से आयोग को अवगत कराया है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47 (5) के तहत उपभोक्ताओं को मीटर के मामले में प्री पेड और पोस्ट पेड मोड का विकल्प चुनने का अधिकार है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर की स्थापना स्वैच्छिक होनी चाहिए।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया है कि प्रदेश में करीब 32 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए जा चुके हैं। बिजली कंपनियों ने एक अगस्त तक इनमें से 2.54 लाख उपभोक्ताओं के मीटर को प्रीपेड मोड में परिवर्तित करते हुए उनकी जमा सिक्योरिटी को मीटर में रिचार्ज कर दिया था। इसके साथ ही लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए गए लेकिन उनकी बिलिंग नहीं की जा रही है।
उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए गए चेक मीटर से रीडिंग का मिलान भी नहीं किया जा रहा है। उपभोक्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर में भार जंपिंग और मीटर के तेज चलने की शिकायतें भी कर रहे हैं। उपभोक्ताओं की शिकायतों पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने साफ्टवेयर में बदलाव किया जो यह साबित कर रहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में गड़बड़ियां हैं।
उन्होंने कहा है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) में कहा गया है कि यदि उपभोक्ता प्री पेमेंट मीटर का विकल्प चुनता है तो वितरण लाइसेंसधारी सिक्योरिटी की मांग नहीं करेगा। जिसका अर्थ यह है कि प्री पेड मोड मीटर की स्थापना स्वैच्छिक है। उन्होंने कहा है कि भले ही केंद्र सरकार ने कहा है कि सभी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगेंगे लेकिन इसके लिए विद्युत अधिनियम में अभी कोई संशोधन नहीं हुआ है। ऐसे में इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की गुणवत्ता भी खराब है। आने वाले समय में ये मीटर विद्युत उपभोक्ताओं के लिए बड़ी मुसीबत बनेंगे।
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