टैटू बनवाने जा रहे हैं तो जान ले जरूरी बातें, एक लापरवाही से बढ़ सकता है गंभीर बीमारियों का खतरा
आजकल यंगस्टर्स में टैटू बनवाने का क्रेज कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। लोग अपने हाथ पैर पीठ गले यहां तक की शरीर के अलग-अलग हिस्सों में टैटू बनवा रहे हैं। हालांकि अगर आप टैटू बनवा रहे हैं तो आपको कई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। ऐसे लोगों को कम से कम एक साल तक रक्तदान नहीं करना चाहिए।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। आजकल यंगस्टर्स में टैटू बनवाने का क्रेज कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। लोग अपने हाथ, पैर, पीठ, गले यहां तक की शरीर के अलग-अलग हिस्सों में टैटू बनवा रहे हैं। हालांकि अगर आप टैटू बनवा रहे हैं तो आपको कई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग की अध्यक्ष प्रो. तूलिका चंद्रा का कहना है कि युवाओं में शरीर पर टैटू बनवाने का शौक तेजी से बढ़ा है। ऐसे लोगों को कम से कम एक साल तक रक्तदान नहीं करना चाहिए। दरअसल, सुई को त्वचा में चुभोकर टैटू बनाया जाता है। ऐसे में एचआइवी और हेपेटाइटिस जैसे गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
प्रो. चंद्रा शुक्रवार को लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। इसके पहले निदेशक प्रो. सीएम सिंह ने कार्यशाला का उद्घाटन किया।
3 करोड़ की मशीन से मिल रहा 100 प्रतिशत सुरक्षित खून
ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक, संस्थान के ब्लड बैंक में आइडी नैट (इंडिविजुअल न्यूक्लियर एसिड टेस्ट) मशीन लगाई गई है। करीब तीन करोड़ रुपये की आधुनिक मशीन से संस्थान के मरीजों को 100 प्रतिशत सुरक्षित खून मिल रहा है। इस मशीन से कम दिनों में पनपे संक्रमण का भी पता लगाना संभव है।

आइडी नेट खून में ऐसे संक्रमण का पता लगा सकता है, जो सीरोलॉजिकल टेस्ट से छूट सकते हैं। अत्याधुनिक आइडी नैट मशीन से लैस होने वाला लोहिया प्रदेश का पहला सरकारी संस्थान है।
रक्तदाता के बारे में लें पूरी जानकारी
प्रो. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक, रक्तदान से पहले रक्तदाता के बारे में पूरी जानकारी लें। ऐसा करने से संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। हेपेटाइटिस की वैक्सीन लगवाएं। एचआइवी को लेकर व्यापक जागरूकता की जरूरत है।
एसजीपीजीआइ में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. प्रीति ऐलहेंस ने कहा कि वैक्सीनेशन हेपेटाइटिस से बचाव में बेहद महत्वपूर्ण है। दिल्ली एम्स में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. हेम चंद्र पांडेय ने कहा कि कैंसर, किडनी, थैलेसीमिया व ट्रांसप्लांट मरीजों को बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
100 प्रतिशत सुरक्षित खून की आवश्यकता
ऐसे मरीजों को 100 प्रतिशत सुरक्षित खून की आवश्यकता होती है। ऐसे में आइडी नैट का कोई विकल्प नहीं है। कार्यशाला में कानपुर जीएसवीएम में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की डॉ. लुबना खान, एनएचएम की निदेशक डॉ. पिंकी, डॉ. रिचा गुप्ता, डॉ. संगीता, सीएमएस प्रो. ऐके सिंह, कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. भुवन चंद्र तिवारी, न्यूरोलॉजी के प्रो. दिनकर कुलश्रेष्ठ और इमरजेंसी विभाग के डॉ. शिवशंकर त्रिपाठी मौजूद रहे।

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