Flood IN UP: बनारस-प्रयागराज में बाढ़ से और बिगड़े हालात, हजारों बेघर; 9 लोगों की जान गई
पूर्वांचल में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है जिससे बनारस और प्रयागराज के कई नए इलाके प्रभावित हैं। सात लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए हैं और बाढ़ शिविरों में शरण ले रहे हैं। प्रयागराज में गंगा और यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बारिश और बाढ़ के कारण कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

जागरण टीम, लखनऊ। पूर्वांचल में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है। बनारस व प्रयागराज में बाढ़ का और विस्तार कई नए इलाकों को अपनी चपेट में ले चुका है। हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सात लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। बाढ़ शिविरों में शरण लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
प्रयागराज में उफनाई गंगा और यमुना रविवार की अपेक्षा सोमवार को एक मीटर से ज्यादा बढ़ गईं और खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर बह रही हैं। बनारस में भी खतरे के निशान से ऊपर बहती गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। इस बीच बारिश और बाढ़ के कारण हादसों में जान जाने का क्रम जारी है। सीतापुर में कच्ची दीवार ढहने से दो बहनों की मौत हो गई। हरदोई में भी कच्ची दीवार गिरने से एक मौत हो गई। वाराणसी में बाढ़ में डूबने से दो और बलिया में एक युवक की मौत हो गई। अमेठी में मकान ढहने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
आगरा में किबाड़ नदी में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई है। प्रयागराज में शहर की 62 बस्तियों तथा जिले के 290 गांवों के लगभग पांच लाख प्रभावित हैं। लगभग 60 हजार बाढ़ पीड़ित बेघर हो चुके हैं। कुल 19 बाढ़ राहत शिविरों में नौ हजार से ज्यादा प्रभावित लोग शरण ले चुके हैं। गंगा, यमुना और टोंस नदियों में 20 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी आ रहा है। इससे सोमवार शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 86.11 मीटर तो यमुना का 86.12 मीटर पहुंच गया। लगभग 90 गांवों और मोहल्लों का संपर्क कट गया है।
वाराणसी में बाढ़ ने शहर के अनेक क्षेत्रों में जिंदगी की गति रोक दी है। डेढ़ लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। गंगा खतरे के निशान 71.26 मीटर से 83 सेमी ऊपर बह रही हैं। सभी विद्यालय छह अगस्त तक बंद कर दिए गए हैं। नमो घाट पर बने नमस्ते की मुद्रा के स्कल्पचर डूबने को हैं। असि घाट पर पानी सड़क तक आ पहुंचा है तो नगवां क्षेत्र में कॉलोनियों में पानी घुस चुका है। इन कालोनियों के लोगों ने पलायन कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण ली है। लगभग पांच हजार लोग बाढ़ राहत शिविरों में पहुंचे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गंगा, वरुणा व गोमती का कहर विकराल होता जा रहा है। कई गांवों के संपर्क आपस में भंग हो चुके हैं।
मीरजापुर के बिरोही गांव में तीन दिनों से छत पर फंसे परिवार को पुलिस ने नाव से सुरक्षित निकाला। मीरजापुर की सदर व चुनार तहसीलों के 300 गांव बाढ़ प्रभावित हैं। 50 गांवों का संपर्क टूट गया है। बिजली आपूर्ति ठप है और सड़कों पर पानी भर गया है। बलिया में सुरक्षा बांध का रेगुलेटर क्षतिग्रस्त होने से पानी का रिसाव हो रहा है।
गाजीपुर में गंगा घाट डूब चुके हैं और चंदौली में फसलें जलमग्न हैं। बुंदेलखंड व आसपास के जिलों में नदियों का जलस्तर तो घट रहा है, लेकिन लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। फतेहपुर में यमुना अब भी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर है। कानपुर-बांदा और अन्य संपर्क मार्गों में अभी बाढ़ का पानी बह रहा है।
अवध में घाघरा और सरयू भी डरा रही
गोंडा में एल्गिन ब्रिज पर घाघरा नदी खतरे के निशान से चार सेंटीमीटर ऊपर है। बाराबंकी में सरयू का जलस्तर बढ़ने से रामनगर, सिरौलीगौसपुर व रामसनेही घाट के लगभग 100 गांवों के ग्रामीणों में दहशत है। लखीमपुर में बनबसा बैराज से शारदा नदी में पानी का डिस्चार्ज बढ़ गया है। इस सीजन में पहली बार डेढ़ लाख क्यूसिक से अधिक पानी बनबसा बैराज से रिलीज किया गया है। अतरिया के पास रेल लाइन के नीचे से रिसाव के चलते रेल यातायात अभी भी बंद है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।