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    बहुचर्चित चीनी मिल घोटाले में ED ने जब्त की 995.75 करोड़ रुपये की संपत्ति, बसपा सरकार के शासनकाल में हुआ था घोटाला

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 12:03 PM (IST)

    ईडी ने बसपा सरकार में हुए करीब 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में 995.75 करोड़ रुपये की संपति जब्त की है। बसपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचा गया था। इन चीनी मिलों में चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी मिलें शामिल थीं। सीएम योगी ने 2018 में घोटाले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी।

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    ईडी ने जब्‍त की 100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में 995.75 करोड़ रुपये की संपति।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बसपा सरकार में हुए करीब 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाले में 995.75 करोड़ रुपये की संपति जब्त की है। इन संपत्तियों में तीन बंद चीनी मिलों के भूखंड, भवन और मशीनें शामिल हैं। बैतालपुर, भटनी और शाहगंज में स्थित ये मिलें मेसर्स मैलो इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स डायनेमिक शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स हनीवेल शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड हैं। इनका नियंत्रण पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल के पास है।

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    बसपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचा गया था। इन चीनी मिलों में चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी मिलें शामिल थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल, 2018 को इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने भी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसकी जांच शुरू कर दी थी।

    ईडी ने CBI की एफआईआर के आधार पर शुरू की थी जांच

    ईडी ने सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी। ईडी की जांच में सामने आया है कि मोहम्मद इकबाल और उनके सहयोगियों ने भ्रष्टाचार कर कई चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था। जांच में विनिवेश प्रक्रिया में बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें परिसंपत्तियों का कम मूल्यांकन और गैर-प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया शामिल है।

    अभी तक की जांच में यह बात भी सामने आई है कि चीनी मिलों का अधिग्रहण बाजार मूल्य से काफी कम कीमतों पर किया गया था। मोहम्मद इकबाल ने विभिन्न शेल संस्थाओं के माध्यम से चीनी मिलों के लिए धनराशि एकत्र की थी। मेसर्स मैलो इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स डायनेमिक शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स हनीवेल शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड की शेयरधारिता को स्थानांतरित कर पूर्व एमएलसी और उनके करीबियों को लाभ पहुंचाया गया था।

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