कानपुर के धर्मस्थल में दो घंटा रोज चलती आतंक की पाठशाला
गिरफ्तार आतंकी गौस मोहम्मद खान कानपुर के जाजमऊ पूजास्थल में पांच साल से आतंक की पाठशाला चला रहा था। इसकी क्लास दो घंटे रोज लगती थी। ...और पढ़ें

कानपुर (जेएनएन)। देश में जड़ें जमाने के आतंकी संगठन आइएस के दावे को उधड़ती परतें काफी हद तक मजबूत भी कर रही हैं। लखनऊ में गुरुवार को गिरफ्तार हुआ रिटायर्ड एयरफोर्स कर्मी गौस मोहम्मद खान पांच साल से आतंक की पाठशाला चला रहा था। एक धर्मस्थल पर रोजाना दो घंटे की गुपचुप बैठक होती थी और कटरी में ले जाकर वह हथियार और बम चलाने की ट्रेनिंग भी देता था।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जाजमऊ में रहने वाले गौस मोहम्मद, आतिफ, सैफुल्लाह, दानिश और फैसल जाजमऊ स्थित एक धार्मिक स्थल पर वर्ष 2011 से रोजाना जाते थे। वहां से सभी की दोस्ती हुई और उसके बाद सभी आइएसआइएस के आतंकी मिशन में जुड़ गए। इन्हें जोडऩे वाला था गौस मोहम्मद। आइएस एजेंट और पूर्व में सिमी से जुड़े रहे गौस मोहम्मद ने इनके दिमाग में देश के खिलाफ जहर भरा। दशहत फैलाने के लिए रुपयों व धर्म-ईमान की कसम देकर अपने साथ जोड़ लिया। जब सभी आइएस के मिशन के लिए तैयार हो गए तो उन्हें बम बनाने से लेकर गोली चलाने तक की प्रैक्टिस कराना शुरू कर दिया। इसके लिए कटरी का क्षेत्र चुना, जहां मंगलवार, शनिवार और रविवार को सभी एकत्र होते थे।
हथियार चलाने और बम बनाने में माहिर होने के बाद इन्हें संदेश भेजने और उच्च ट्रेनिंग के लिए दिल्ली भेजे जाने का प्रबंध किया गया। सबसे पहले आतिफ और सैफुल्लाह ही दिल्ली पहुंचे थे। इसकी पुष्टि घरवालों ने भी पहले दिल्ली और बाद में मुंबई जाने की बात कहकर की। इसके बाद सैफुल्लाह का चचेरा भाई दानिश दिल्ली गया। सबसे आखिर में फैसल दिल्ली गया, जहां इन्हें आइएसआइएस के कामकाज और संदेश भेजने व लेने के तौर तरीके सिखाए गए।
अंकल के नाम से जाना जाता था गौस मोहम्मद
गौस मोहम्मद को सभी अंकल नाम से पुकारते थे। सभी घटनाओं में जाने के बाद अंकल ही रणनीति बनाता था और उसको आतिफ लागू कराता था। गौस मोहम्मद बम बनाने में माहिर था। सिमी से जुडऩे के बाद उसने शहर में स्लीपिंग मॉड्यूल्स तैयार करने शुरू किए और शहर में पूरा नेटवर्क खड़ा कर दिया साथ ही लखनऊ में भी अपने गुर्गे भेजे। उसके सऊदी अरब तक संपर्क थे। इस बीच वह दो बार सऊदी अरब भी गया।

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