CAG Report : Greater Noida में भूखंडों के आवंटन में गड़बड़ी, 13,362 करोड़ रुपये के राजस्व का हुआ नुकसान
CAG Report Submitted in UP VidhanMandal Session 2025 अधिकारियों ने एनसीआरपीबी (नेशनल कैपिटल रीजन बोर्ड) की स्वीकृति के बिना ही भूमि अर्जन विकास व भूखंडों का आवंटन शुरू कर दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक पट्टा किराया व ब्याज में चूक के विरुद्ध ग्रेनो का अप्रैल 2021 तक 19500 करोड़ रुपये का अतिदेय (ओवरड्यू) निकला है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (ग्रेनो) की महायोजना के तहत विभिन्न श्रेणियों में भूखंडों के आवंटन में बड़े स्तर पर गड़बड़ी पाई गई है। इसके चलते 13,362 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान सरकार को उठाना पड़ा है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में इसका राजफाश किया गया है। यह रिपोर्ट बुधवार को विधानमंडल के पटल पर रखी गई। अधिकारियों ने एनसीआरपीबी (नेशनल कैपिटल रीजन बोर्ड) की स्वीकृति के बिना ही भूमि अर्जन, विकास व भूखंडों का आवंटन शुरू कर दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक पट्टा किराया व ब्याज में चूक के विरुद्ध ग्रेनो का अप्रैल 2021 तक 19,500 करोड़ रुपये का अतिदेय (ओवरड्यू) निकला है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2005-06 से 2017-18 तक भूमि अर्जन, औद्योगिक, बिल्डर, ग्रुप हाउसिंग, वाणिज्यिक, स्पोर्टस सिटी, आइटी व फार्म हाउस भू-उपयोग श्रेणी के तहत भूखंडों के आवंटन के लिए अपनाई गई नीतियों व प्रक्रिया के आंकलन की जिम्मेदारी सीएजी को सौंपी थी।
ग्रेनो ने ग्रुुप हाउसिंग व बिल्डरों को 20 से 25 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस व एलआइजी हाउसिंग को योजना में शामिल ही नहीं किया था। नतीजतन इस श्रेणी में मार्च 2021 तक कोई आवंटन ही नहीं किया गया। ग्रेनो ने वर्ष 2021-22 में इस श्रेणी को योजना में शामिल किया। गठन के 28 वर्षों बाद भी ग्रेनो उद्योगों के लिए सिर्फ 67.47 प्रतिशत भूमि ही विकसित कर पाया था, जबकि इसका गठन दिल्ली के पास के क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के लिए किया गया था।
सीएजी के अऩुसार एनसीआरपीबी की स्वीकृति के बिना ही ग्रेनो ने भू-उपयोग को रिक्रिएशनल (मनोरंजन व खेल-कूद से संबंधित भूमि) से आवासीय, औद्योगिक से आवासीय व रिक्रिएशनल से स्पोर्टस सिटी में परिवर्तित कर निजी बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए ग्रुप हाउसिंग व स्पोर्टस सिटी की योजनाएं शुरू कर दी थी।
लेखा परीक्षक ने जांच में यह भी पाया कि ग्रेनो ने भूमि अर्जन के अर्जेंसी क्लाज का हवाला देकर औद्योगिक विकास के लिए भूमि की आवश्यकता जतायी थी, लेकिन भूमि अर्जन की प्रक्रिया में छह वर्षों का विलंब किया।
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि ग्रेनो विशिष्ट आवंटियों से 5464.32 करोड़ रुपये की लागत वसूल ही नहीं सका। इस लागत को वसूलने के लिए नोटिस ही जारी नहीं किए गए। इसी प्रकार किसानों को किए गए अनुग्रह भुगतान के 307.37 करोड़ रुपये की भी वसूली नहीं की गई।
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