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    आरोपित की गिरफ्तारी में पुलिस की मनमर्जी पर अंकुश... डीजीपी के आदेश, हर जिले में नियुक्त होगा एक अधिकारी

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 09:22 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में अब आरोपितों की गिरफ्तारी में पुलिस की मनमर्जी नहीं चलेगी। डीजीपी राजीव कृष्ण ने हर जिले में गिरफ्तारी का विवरण रखने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने के साथ ही कई निर्देश जारी किए हैं। अब पुलिस को गिरफ्तारी के समय तय प्रारूप में मेमो भरना होगा जिसमें गिरफ्तारी का कारण बताना अनिवार्य होगा। यह विवरण जिला कंट्रोल रूम में भी प्रदर्शित किया जाएगा।

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    यूपी के डीजीपी हैं राजीव कृष्ण। फाइल

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। आरोपित या अभियुक्त की गिरफ्तारी में पुलिस की मनमर्जी पर अंकुश लग गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत अब किसी आरोपित की गिरफ्तारी के समय पुलिस को तय प्रारूप में गिरफ्तारी व तलाशी मेमो भरना होगा।

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    डीजीपी राजीव कृष्ण ने हर जिले में आरोपितों की गिरफ्तारी का विवरण रखने के लिए एक अधिकारी नियुक्ति किए जाने के साथ ही अन्य निर्देश दिए हैं। आरोपितों की गिरफ्तारी का विवरण जिला कंट्रोल रूम में भी प्रदर्शित किया जाएगा।

    यूपी पुलिस गिरफ्तारी के लिए सीबीआई व ईडी के पैटर्न को अब फॉलो करेगी। हाल में ही त्रुटिपूर्ण गिरफ्तारी मेमो पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी व आरोपित की गिरफ्तारी निरस्त किए जाने के बाद डीजीपी ने एक समिति का गठन किया था।

    मेमो का करना होगा अध्ययन

    समिति ने नए कानून, हाई कोर्ट के आदेशों व उनके आधार पर सीबीआई व ईडी के संशोधित गिरफ्तारी मेमो का अध्ययन कर मेमो का नया प्रारूप तैयार किया है। इसमें 16 बिंदुओं पर सूचनाएं दर्ज किए जाने के साथ दो गवाहों के हस्ताक्षर भी होंगे। आरोपित को उसकी गिरफ्तारी का कारण भी बताना होगा। हाई कोर्ट ने एक मामले में आरोपित मंजीत सिंह उर्फ इंदर की गिरफ्तारी के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता की संबंधित धाराओं का अनुपालन न किए जाने पर नाराजगी जताई थी।

    अब गिरफ्तारी का ऐसा होगा प्रविधान

    • नए नियम में उपनिरीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी को जिला कंट्रोल रूम व थानों पर गिरफ्तार व्यक्तियों के नाम-पते रखने का दायित्व सौंपा गया है।
    • इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए हर जिले में सक्षम स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
    • गिरफ्तारी के समय दो गवाहों के हस्ताक्षर भी होंगे।
    • आरोपित को उसकी गिरफ्तारी का कारण भी स्पष्ट बताना होगा। 
    • नामित अधिकारी गिरफ्तार आरोपितों के नाम-पते की जानकारी रखने का जिम्मेदार होगा।
    • तलाशी मेमो में नए प्रारूप में सभी सूचनाएं दर्ज किए जाएंगे।
    • आरोपित के पास से बरामद सभी वस्तुओं का उल्लेख फर्द बरामदगी में ही किया जाएगा।
    • डीजीपी के निर्देशानुसार अब आरोपितों की गिरफ्तारी के समय विवेचक द्वारा अलग-अलग प्रारूप में मेमो नहीं बनेंगे। 

    डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा, कि गिरफ्तारी के दौरान प्रक्रियात्मक त्रुटि को आधार बताते हुए आरोपित की रिमांड स्वीकार नहीं की थी और गिरफ्तारी को निरस्त कर दिया था। आरोपित के गिरफ्तारी मेमो में उसकी गिरफ्तारी का कारण बताए जाने का बिंदु निर्धारित नहीं था। न ही इसका उल्लेख किया गया था।

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