केरोसिन डालकर 13 साल की ननद को जिंदा जलाया, चचेरी भाभी को सश्रम आजीवन कारावास
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसमें एक चचेरी भाभी ने अपनी 13 साल की ननद को केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया। अदालत ने इस माम ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। करीब 15 वर्ष पूर्व चौबेपुर क्षेत्र के गढ़ेवा गांव में ननद को केरोसिन डालकर आग से जलाकर मारने में चचेरी भाभी को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले में मृतका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने आरोपित भाभी समेत तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था, जिसकी सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक सुरेंद्र सिंह तृतीय की कोर्ट में चल रही थी।
नियत तिथि पर बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने फैसला दिया, इसके साथ ही 30 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। वहीं साक्ष्य व मृत्युकालिक बयान के आधार पर न्यायालय ने दो आरोपितों को दोष मुक्त किया है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि चौबेपुर के गढ़ेवा गांव निवासी मोहम्मद रहीश ने चार अगस्त 2010 को पुलिस को दिए शिकायती पत्र में बताया था कि मुकदमे की तारीख में वह पत्नी बेबी बेगम के साथ कानपुर कचहरी गया था। घर पर 13 वर्षीय बेटी अकेली थी, जिसका फायदा उठाकर पड़ोस में रहने वाले पारिवारिक सम्मो के लड़के मुश्ताक का साला परियल उन्नाव निवासी गुलगुले उर्फ मुश्तकीम, सम्मो की पत्नी मुनीरन व बहू रेहाना उसके घर पहुंच गए। इन लोगों ने बेटी को गुलगुले उर्फ मुश्तकीम के साथ भाग जाने को कहा।
उसके मना करने पर मुनीरन ने कटोरे में लिया मिट्टी का तेल बेटी पर उड़ेल कर आग लगा दी। बेटी के चिल्लाने पर पड़ोस में रहने वाली उसकी चाची व दादी को आता देख आरोपित मौके से भाग गए। गंभीर रूप से झुलसी बेटी को दादी ने अस्पताल भर्ती कराया, अस्पताल में उपचार के दौरान किशोरी की मौत हो गई। मामले में मृतका के पिता की तहरीर पर पुलिस ने मुनीरन, गुलगुले उर्फ मुश्तकीम व रेहाना के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
30 हजार रुपये का अर्थदंड भी
मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक में चल रही थी। नियत तिथि पर बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में बचाव व अभियोजन पक्ष में बहस हुई। बचाव पक्ष ने आरोपितों को रंजिशन फंसाने का तर्क दिया, जिसका अभियोजन ने विरोध किया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपित मुनीरन को दोष सिद्ध करते हुए सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही 30 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।
अर्थदंड अदा न करने पर अभियुक्त को दो वर्ष का सश्रम कारावास काटना होगा। वहीं मृतका के मृत्युकालिक बयान व साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने आरोपित गुलगुले उर्फ मुस्तकीम व रेहाना को दोषमुक्त कर दिया।

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