इंडिया बुक के बाद एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हुई कानपुर के यश की कलम
कानपुर के हर्षनगर में रहने वाले 18 वर्षीय यश ने 30 दिन में पेंडेमिक और 22 दिन में ए सेलिब्रेशन इन ट्रिब्यूलेशन उपन्यास लिखा है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी पर आधारित प्रथम उपन्यास लिखकर ख्याति पाने वाले यश के खाते में उपलब्धियों का सिलसिला जारी है। 30 दिन में चार देशों पर कोरोना के असर को उपन्यास में उतराने वाले यश की कलम को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड के बाद एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कर लिया गया है। उनकी इस उपलब्धि के बाद बधाइयों का तांता लग गया है।
हर्षनगर में रहने वाले वाॅलीबाल एसोसिएशन के महासचिव सुनील कुमार तिवारी के पुत्र यश ने कोरोना से संघर्ष की गाथा पेंडेमिक 2020 महज 30 दिनों में लिखकर खूब सुर्खियां बटोरीं। यश ने वैश्विक महामारी से लड़ने वाले योद्धाओं के संघर्ष व प्रवासियों की पीड़ा को शब्दों में पिराेकर उपन्यास का रूप दिया। उपन्यास में प्रथम पंक्ति में रहने वाले योद्धाओं को भी कलम के माध्यम से सलाम किया।
18 वर्षीय यश एक अच्छे वक्ता भी हैं और इससे पहले 16 वर्ष की उम्र में ए सेलिब्रेशन इन ट्रिब्यूलेशन किताब लिखकर चर्चित हुए थे। इसके लिए उन्हें कर्मवीर चक्र अवार्ड मिल चुका है। उनकी काबिलियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने पेंडेमिक 2020 को 30 दिन और ए सेलिब्रेशन इन ट्रिब्यूलेशन को महज 22 दिनों में लिखा था। उनकी इस उपलब्धि के लिए हाल ही में उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड दिया गया था। यश बतातें हैं कि सामाजिक परिस्थितियों को शब्दों में पिरोकर पेश करना पसंद है। कभी सोचा नहीं था कि कोरोना पर लिखा उपन्यास मुझे एशिया बुक ऑफ रिकार्ड तक ले जाएगा।