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    यूपी की राज्यपाल ने कहा, टैरिफ का जवाब है हस्तशिल्प, भारत को आगे बढ़ाने का समय

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 08:48 PM (IST)

    कानपुर में क्राफ्टरूट्स मेले का उद्घाटन वर्षा के कारण टल गया जिसे बाद में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कन्वेंशन हॉल चुन्नीगंज में शुरू किया। राज्यपाल ने हस्तशिल्प को भारत की आत्मनिर्भरता का मार्ग बताया और स्वदेशी को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने ग्रामश्री संस्था के योगदान की सराहना की और हस्तशिल्पियों को समर्थन देने का आह्वान किया।

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    चुन्नीगंज स्थित कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हस्त शिल्प प्रदर्शनी में संबोधित करतीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल। जागरण

    जागरण संवाददाता , कानपुर। टैरिफ का जवाब भारत का हस्तशिल्प है। देश के हस्तशिल्पी के हुनर से भारत आत्मनिर्भर बनेगा। यह समय है जब हस्तशिल्पियों का साथ देकर भारत को आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को यहां ग्रामश्री संस्था की ओर से लगाए जा रहे क्राफ्टरूट्स मेले के शुभारंभ अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि समस्याएं आने पर समाधान तलाश कर आगे बढ़ना ही मनुष्य होने का प्रमाण है।

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    चुन्नीगंज के नवनिर्मित कन्वेंशन हाल में लगाए हस्तशिल्प मेला क्राफ्टरूट्स के शिल्पियों को समर्थन देने का आह्वान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सुबह हो रही वर्षा के कारण पूर्व निर्धारित मेला स्थल को बदलकर यहां आना पड़ा। चार से पांच घंटे के दौरान पूरे मेला स्थल को व्यवस्थित करने में मेला टीम , नगर निगम के अधिकारी, पुलिस और विश्वविद्यालयों के छात्र- शिक्षकों ने जिस तरह का योगदान किया है। वह सराहनीय है। समस्या आने पर समाधान तलाश लेने वाला ही श्रेष्ठ मनुष्य है।

    कहा, टैरिफ की जो समस्या सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसका जवाब देने के लिए स्वदेशी का मंत्र दिया है। हस्तशिल्पियों की कला और उनकी बनाई कृतियां इसका सटीक उदाहरण हैं। हस्तशिल्प को समर्थन देकर हम भारत को आगे बढ़ा सकते हैं। देश के खत्म होते हस्तशिल्प को बचाने के लिए ही मैनें ग्रामश्री संस्था की स्थापना की। अपनी बेटी अनार पटेल को महिलाओं के उत्थान के लिए आगे बढ़कर सहयोग करने को प्रेरित किया। अनार ने खत्म होती कलाओं को नए डिजाइन और स्वरूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया और आज हजारों हस्तशिल्पी मिलकर अपना उत्थान कर रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि ग्रामश्री संस्था अपने साथ उन्हीं हस्तशिल्पियों को जोड़ती है जिनका परिवार नशामुक्त जीवन जीता हो। बेटियों को शिक्षा दे और बाल विवाह विरोधी हो। इसके साथ ही पूरा परिवार मिलकर पेड़ लगाते हैं और चार - पांच दिन का भ्रमण कर देश के बारे में जानते हैं। ऐसे हस्तशिल्पियों की कलाकृतियों को खरीद कर सही मायने में कला को संरक्षण देते हैं और देश को आत्मनिर्भर बनने में योगदान करते हैं। इस मौके पर उन्होंने कश्मीर सोपोर की हस्तशिल्पी जाहिदा अमीन को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की डीलिट् उपाधि भी प्रदान की।

    कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने जाहिदा अमीन को दिए जाने वाले प्रशस्ति पत्र को पढ़कर सुनाया और बताया कि जाहिदा अमीन अपने साथ 100 से अधिक महिलाओं को हस्तशिल्प से जोड़कर आत्मनिर्भर बना रही हैं। उद्धाटन समारोह के अतिथियों का हस्तशिल्पियों ने सूत की माला पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर सर्वधर्म प्रार्थना भी की गई। उपस्थित अतिथियों में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद़्योगिकी विश्वविद़्यालय के कुलपति डा. आनंद कुमार सिंह, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.मुकेश पांडेय, महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रो. केपी सिंह समेत आधा दर्जन विश्वविद्यालय के कुलपति , रजिस्ट्रार व नगर आयुक्त सुधीर कुमार व स्थानीय उद्यमी मौजूद रहे।

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    ग्रामश्री संस्था की संचालक अनार पटेल ने बताया कि मेले में 22 राज्यों के 100 से अधिक हस्तशिल्पी शामिल हुए हैं। शिल्पियों ने अपनी 110 से अधिक हस्तशिल्प कलाओं का यहां प्रदर्शन किया है। मेले में हस्तशिल्पियों को कलाकृतियां बनाते हुए देखा जा सकता है।

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