सफलता की ये कहानी किसी फिल्म से कम नहीं.. कानपुर में टैंपो चलाने वाले श्रवण ने खड़ी कर दी शंख एयरलाइन कंपनी
कानपुर के लाटूश रोड से निकले श्रवण कुमार विश्वकर्मा अब अपनी 'शंख एयरलाइन' शुरू करने जा रहे हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय से एनओसी मिलने के बाद, 2026 की ...और पढ़ें

नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू को स्मृति चिह्न शंख देते शंख एयरलाइंस के मालिक श्रवण कुमार विश्वकर्मा (दाएं से बाएं)। स्वयं
जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर शहर के लाटूश रोड की तंग गलियों में खेले और बचपन उन्हीं गलियों में बिताकर देश के आसमान तक पहुंचने की कहानी जरूर फिल्मी लग रही होगी लेकिन हकीकत यही है कि आज शंख एयरलाइन के संस्थापक व चेयरमैन श्रवण कुमार विश्वकर्मा अब अपनी एयरलाइन शुरू करने जा रहे हैं। 24 दिसंबर को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शंख एयरलाइन को नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। वर्ष 2026 की पहली तिमाही में पहली फ्लाइट लखनऊ से दिल्ली व लखनऊ से मुंबई और फिर कानपुर तक संचालन होगा।
दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह मूलरूप से उन्नाव के रहने वाले है लेकिन पिता रमाशंकर विश्वकर्मा और मां सुशीला कानपुर के लाटूश रोड में आकर रहने लगे। पिता का लोहे का कारोबार था। 15 साल की उम्र तक लाटूश रोड की गलियों में खेले और बचपन बिताया। फिर लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन में रहने लगे। वहां पर कारोबार शुरू किया। पिता का निधन होने के बाद व्यवसाय की जिम्मेदारी संभाली।
बचपन से ही सपना था कि आम आदमी भी हवाई जहाज में सस्ते किराये में हवाई उड़ान भर सके। इसके लिए दो साल पहले यूपी की पहली शंख एयरलाइंस का नाम सामने लाए। खुशी है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय से शंख एयरलाइंस को एनओसी मिल गई है। शंख एयरलाइन का मुख्यालय लखनऊ में होगा। पहली उड़ान भी उत्तर प्रदेश के लखनऊ या जेवर एयरपोर्ट से होगी। श्रवण कहते हैं कि जब यूपी ने मुझे बनाया है, तो पहली उड़ान भी यहीं से होगी। कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज जैसे शहरों को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई से जोड़ने का प्लान है।
ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सके, आनंद के लिए चलाया टेंपो
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे श्रवण बताते हैं कि पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था। दोस्ती-यारी और हालात ऐसे रहे कि जल्दी ही पढ़ाई छूट गई। इसके बाद उन्होंने बिजनेस की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे खुद को खड़ा किया। उनका पहला बड़ा काम सरिया (टीएमटी) का बिजनेस था। इसके बाद उन्होंने सीमेंट, माइनिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाथ आजमाया। ट्रकों का बड़ा बेड़ा खड़ा किया और यहीं से उनकी कारोबारी पहचान बनी। टेंपो चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि टेंपो में न सिर्फ सफर किया, बल्कि आनंद लेने के लिए दोस्त का टेंपो खुद चलाया। उन्होंने कहा कि नीचे से ऊपर जाने वाला आदमी साइकिल, बस, ट्रेन, टेंपो सब कुछ देखता है। यही अनुभव आज उनकी सोच की सबसे बड़ी ताकत बना।
ऐसे आया एयरलाइन का आइडिया
श्रवण बताते हैं कि करीब तीन-चार साल पहले कुछ अलग करने का जुनून आया। उनका मानना था कि एविएशन आने वाले समय की ग्रोथ इंडस्ट्री है। लोग समय बचाना चाहते हैं और हवाई सफर अब जरूरत बन चुका है। एक यात्रा के दौरान महसूस हुआ कि मध्यम वर्ग के लिए सस्ती और भरोसेमंद एयरलाइन की भारी कमी है-यहीं से शंख एयरलाइन का विचार जन्मा।
इसलिए रखा नाम रखा शंख एयरलाइंस
श्रवण कुमार बताते हैं कि 'शंख' नाम उनके लिए नया नहीं था। उनकी पहले से मौजूद कंपनी में भी यही नाम जुड़ा था। धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान वाला यह नाम उन्हें अपील करता है। हर घर में शंख होता है, लेकिन हर कोई उसे बजा नहीं पाता। श्रवण कहते हैं कि, "हम भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं, जो सबके पास हो, लेकिन अलग पहचान बनाए।"
आसमान नहीं छुएगा किराया
श्रवण का सबसे बड़ा दावा है-नो डायनमिक प्राइसिंग। उनका साफ कहना है कि सुबह पांच हजार की टिकट शाम को 25 हजार रुपये नहीं होगी। होली-दीपावली, छठ का त्योहार हो, कुंभ हो या फिर डिमांड ही क्यों न बढ़ जाए... उनकी एयरलाइंस का किराया आसमान नहीं छुएगा। उनका फोकस मध्यम वर्ग पर है। तय रेट, सीमित मुनाफा और भरोसेमंद सेवा, यही शंख एयरलाइंस का माडल होगा।
इंडिगो,एयर इंडिया अपनी जगह, हम अपनी जगह उड़ेंगे
इंडिगो, एयर इंडिया जैसी बड़ी एयरलाइंस को लेकर श्रवण बेबाकी से कहते हैं कि वो अपनी जगह उड़ रहे हैं, हम अपनी जगह उड़ेंगे। आज कोई 60 प्रतिशत मार्केट में है, कल कोई और होगा। मुझे प्रतिस्पर्धा नहीं, अपने काम से मतलब है। शुरुआत में शंख एयरलाइंस एयरबस ए 320 विमान से उड़ान भरेगी। पहले बोइंग 737 का प्लान था, लेकिन तकनीकी कारणों से एयरबस को चुना गया। फिलहाल तीन विमान तैयार हैं और लक्ष्य है बेड़े में पहले 10 से अधिक विमान, 2026–27 तक 15–25 और इसके बाद इंटरनेशनल उड़ानों का लक्ष्य है।

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