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    Sharadiya Navratri: नवरात्र में किस दिन करना चाहिए कन्या पूजन, किस उम्र की बुलाएं और क्या है पूजन विधि

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 05:11 PM (IST)

    शारदीय नवरात्र 2025 में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। इस बार नवरात्र में कन्या पूजन किस दिन करना चाहिए किस उम्र की कन्याओं को बुलाना शुभ माना जाता है और क्या है सही पूजन विधि आइए जानते हैं।

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    शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन का महत्व। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, कानपुर। नवरात्र में कंजक पूजन या कन्या पूजन करना जरूरी माना जाता है। इस पूजन के बिना नवरात्र व्रत के साथ-साथ पूजन अधूरा रहता है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर किस दिन कन्या पूजन किया जाए और उसकी क्या विधि है।

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    वरात्रि का पावन पर्व श्रद्धा, भक्ति और शक्ति की साधना का प्रतीक है। देवी दुर्गा की पूजा, जप-तप आदि से जुड़ा है। इस महापर्व में देवी दुर्गा के साधक 9 दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की साधना-आराधना करते हैं। नवरात्रि के पावन पर्व में कुछ लोग पहले और आखिरी दिन तो कुछ लोग पूरे 9 दिन व्रत रखते हैं। लेकिन उनकी यह पूजा और व्रत बगैर कन्या पूजन के अधूरी है।

    कब करें कन्या पूजन?

    नवरात्रि का व्रत रखने वाला व्यक्ति अपनी-अपनी आस्था के अनुसार आठवें या नौवें दिन कन्या का पूजन करता है। इस साल अष्टमी तिथि 30 सितंबर को और नवमी तिथि 01 अक्टूबर को पड़ रही है। इन दोनों ​ही तिथियों पर आप अपनी आस्था के अनुसार कन्या का पूजन कर सकते हैं। क्योंकि दोनों तिथियों का महत्व एक जैसा ही है हालांकि अधिकतर लोग अष्टमी के दिन कन्या का पूजन करते हैं।

    किस उम्र की कन्या किस देवी का होती है स्वरूप

    शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में दो से लेकर दस साल की कन्याओं के पूजन का विधान है ये सभी कन्याएं देवी के अलग-अलग रूपों का प्रतीक होती हैं हर उम्र की कन्या एक विशेष शक्ति को दर्शाती है और उनका पूजन करने पर अलग-अलग पुण्य फल प्राप्त होते हैं।

    • 2 वर्ष (कुमारी): दुख और दरिद्रता दूर होती है
    • 3 वर्ष (त्रिमूर्ति): घर में धन का आगमन होता है
    • 4 वर्ष (कल्याणी): घर में शुभता और समृद्धि बढ़ती है
    • 5 वर्ष (रोहिणी): रोगों से छुटकारा मिलता है
    • 6 वर्ष (कालिका): पढ़ाई और पद-प्रतिष्ठा में सफलता मिलती है
    • 7 वर्ष (चंडिका): ऐश्वर्य में बढ़ोतरी होती है
    • 8 वर्ष (शांभवी): समाज में मान-सम्मान बढ़ता है
    • 9 वर्ष (दुर्गा): सभी कठिनाइयों और शत्रुओं से रक्षा होती है
    • 10 वर्ष (सुभद्रा): सभी कार्य मनचाहे तरीके से सिद्ध होते हैं

    कन्या पूजन की सरल विधि

    • 1. सबसे पहले 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को एक दिन पहले से निमंत्रित कर घर बुलाएं
    • 2. उनके पांव धोएं और साफ आसन पर बैठाएं
    • 3. उन्हें देवी का रूप मानकर तिलक लगाएं, फूल चढ़ाएं और आरती करें
    • 4. उन्हें खास भोजन कराएं जिसमें हलवा, पूड़ी और चने शामिल हों या खीर,पूड़ी हो
    • 5. पूजन के बाद उन्हें उपहार और दक्षिणा दें
    • 6. साथ ही एक छोटे लड़के को भी बुलाकर उसे बटुक भैरव का रूप मानकर साथ में भोजन कराना चाहिए।

    कन्या पूजन करने से घर में सुख-शांति आती है दरिद्रता दूर होती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है जिस घर में कन्याओं का आदर होता है, वहां देवी लक्ष्मी और दुर्गा का वास होता है इसके अलावा यह पूजा परिवार में एकता और प्रेम बढ़ाती है।

    (जैसा कि कानपुर के ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य पवन तिवारी ने बताया)