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    कानपुर में डिजिटल अरेस्ट का सनसनीखेज केस, सुप्रीम कोर्ट में हुई ऑनलाइन सुनवाई; 11 दिन तक चला खेल

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 08:27 PM (IST)

    कानपुर में एक व्यक्ति सीबीआई अफसर बनकर एक नागरिक को 11 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर लाखों रुपये ठग लिए। आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई का झांसा दिया। पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।

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    सीबीआइ अधिकारी बन की ठगी। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर में साइबर ठगी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन किसी न किसी को ठग अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बर्रा थानाक्षेत्र में सामने आया, जिसमें 11 दिन तक सेवानिवृत्त इंजीनियर और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट रखकर साइबर ठगों ने 42.50 लाख रुपये हड़प लिए। ठगों ने सीबीआइ अधिकारी बनकर उन्हें जेट एयरलाइंस के संस्थापक नरेश गोयल से जुड़े मनी लान्ड्रिंग मामले में फंसाकर शिकार बनाया। आनलाइन सुप्रीम कोर्ट में उनकी सुनवाई भी करवाई। बेटे के शक होने पर पूरे मामले का राजफाश हुआ। इसके बाद पुलिस और साइबर सेल में शिकायत की।

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    बर्रा थानाक्षेत्र के जूही कलां डब्ल्यू टू स्थित शिवम इन्क्लेव में रहने वाले राजेंद्र प्रसाद सिंह पावर ग्रिड कारपोरेशन से जूनियर इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हैं। बेटी की शादी कर चुके हैं और इंजीनियर बेटा नोएडा में नौकरी करता है। वह पत्नी के साथ अपार्टमेंट में रहते हैं। राजेंद्र प्रसाद के मुताबिक सात अगस्त को एक अज्ञात नंबर से उन्हें वाट्सएप पर वीडिया काल आया। काल करने वाले ने स्वयं को सीबीआई में तैनात आईपीएस अधिकारी बताया।वह वर्दी पहनकर बैठा था, इसलिए विश्वास कर लिया।

    उसने दावा कि उनके आधार कार्ड से मुंबई के केनरा बैंक में फर्जी अकाउंट खोला गया है, जिसका इस्तेमाल नरेश गोयल के मनी लान्ड्रिंग में हुआ है। बताया कि इस मामले में उनके अलावा 238 लोग और शामिल हैं। इसके बाद से ठगों ने उन्हें लगातार वीडियो काल पर रखकर किसी से बात करने से मना कर दिया। कहा कि जांच के दौरान उनकी सभी जमा रकम आरबीआइ के बताए हुए खातों में ट्रांसफर करनी होगी।जांच में उनके सही पाए जाने पर 72 घंटे में उनकी रकम खाते में वापस कर दी जाएगी।

    कार्रवाई के डर से उन्होंने ठग के बताए हुए अलग-अलग खातों में 11 से 21 अगस्त के बीच पांच बार में कुल 42.50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसमें 24 लाख की रकम मुंबई की एक कंपनी के खाते में ट्रांसफर कराए गए। बाकी रकम बचत खातों में आरटीजीएस कराए। ठग ने मुंबई आकर बयान दर्ज कराने को कहा तो उन्होंने पारिवारिक समस्या का हवाला देकर इन्कार कर दिया। इस पर उन्हें विश्वास दिलाने के लिए 18 अगस्त को ठगों ने आनलाइन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी कराई। इसमें जज के पूछे गए सवालों का उन्होंने वीडियो काल पर ही जवाब दिया। इसके बाद उसने कहा कि उनकी राशि जांच में सही पाई गई है।

    इस पर उन्हाेंने उनकी रकम वापस करवाने को कहा तो 26 अगस्त को वकील की फीस के नाम पर एक लाख रुपये की और मांग कर दी। उन्हाेंने रुपये देने में असमर्थता जताई तो कहा कि फिर रकम ट्रांसफर होने पर समय लग जाएगा। इसी बीच नोएडा में नौकरी कर रहे बेटे नितिन को उनकी उलझन का अहसास हो गया। उसने मां से बात की वह रो पड़ी। इसके बाद बेटा घर पहुंचा तो भी ठगों ने उन्हें डिजिटल अस्टेट कर रखा था। इसके बाद बेटे ने उन्हें ठगी होने का अहसास दिलाया।

    डीसीपी दक्षिण दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। डर और भ्रम पैदा कर ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। सेवानिवृत्त इंजीनियर के मामले में भी ठगों ने ऐसा ही किया है। मुकदमा दर्ज कर आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। जिन खातों में रकम ट्रांसफर हुई है, उनकी जानकारी भी जुटाई जा रही है।

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