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    मोहाली में एक करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपी बैंक मैनेजर को हाईकोर्ट से राहत, मिली नियमित जमानत

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 05:47 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केनरा बैंक के एक रिलेशनशिप मैनेजर को साइबर धोखाधड़ी मामले में जमानत दे दी है, जिसमें एक महिला से 1.03 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। याचिकाकर्ता पर घोटाले में धन-स्थानांतरण के लिए खाता खोलने का आरोप है। अदालत ने आपराधिक इतिहास न होने और मामले में उसकी भूमिका को देखते हुए राहत दी। पीड़िता को डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगा गया था।

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    मोहाली में एक करोड़ की धोखाधड़ी मामले में बैंक मैनेजर को मिली जमानत।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केनरा बैंक के एक रिलेशनशिप मैनेजर को उस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड केस में नियमित जमानत प्रदान कर दी है, जिसमें मोहाली की एक महिला से डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 1.03 करोड़ रुपये ठगे गए थे। याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसके द्वारा खोला गया बैंक खाता इस घोटाले में धन-स्थानांतरण के लिए इस्तेमाल किया गया।

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    जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अब तक की जांच में यह नहीं पाया गया कि याचिकाकर्ता को आगे हिरासत में रखना आवश्यक है। अदालत ने याचिकाकर्ता के आपराधिक पूर्ववृत्त के अभाव, वसूली न होने, उसकी जिम्मेदारी की सीमा और मामले में उसकी कथित भूमिका को ध्यान में रखते हुए राहत दी। याचिका एसएएस नगर (मोहाली) साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से संबंधित थी।

    एफआईआर के मुताबिक, पीड़िता चरणजीत कौर को व्हाट्सएप कॉल पर मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बनकर संपर्क किया गया। खुद को विजय खन्ना बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनके आधार कार्ड का उपयोग फर्जी खातों के लिए किया गया है और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

    उसे चेताया गया कि उपस्थित न होने की स्थिति में उसे डिजिटल गिरफ्तारी का सामना करना पड़ेगा। 11 से 14 अप्रैल 2025 तक एक लगातार चली वीडियो कॉल में पीड़िता को वर्दीधारी अधिकारियों और पुलिस स्टेशन जैसी पृष्ठभूमि दिखाई गई और कॉल तोड़ने से मना किया गया।

    सत्यापन की आड़ में, महिला को तीन बार में भारी रकम स्थानांतरित करने के लिए बाध्य किया गया 57 लाख, 29 लाख और 17 लाख रुपये। 18 अप्रैल को जब वह स्थानीय थाने एनओसी लेने पहुंची, तो उसे धोखाधड़ी का खुलासा हुआ और शिकायत दर्ज की गई।

    याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वह केवल प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर खाता खोलने में मदद करने वाला रिलेशनशिप मैनेजर था, और न तो उसके हिस्से केवाईसी सत्यापन की जिम्मेदारी आती है, न ही धोखाधड़ी में किसी प्रकार की संलिप्तता।

    दूसरी ओर, राज्य की ओर से यह आरोप लगाया गया कि उसने बिना उचित जांच के एक काल्पनिक व्यक्ति मोहम्मद पाशा के नाम पर खाता खोलने में सहायता की। हालांकि, राज्य उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि केवाईसी की जिम्मेदारी वास्तव में रिलेशनशिप मैनेजर की होती है।