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    गर्भधारण के बाद ये अनदेखी जानलेवा, राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में चिकित्सकों ने जताई चिंता

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 11:00 AM (IST)

    कानपुर में फाग्सी की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने बार-बार होने वाले गर्भपात को महिलाओं में बांझपन और मानसिक रोगों का कारण बताया। जंक फूड एल्कोहल और स्मोकिंग से खतरा बढ़ता है। आनुवंशिक कारणों और बच्चेदानी की कमजोरी से भी गर्भपात होता है। प्री-मैरिज काउंसलिंग और समय पर जांच से बचाव किया जा सकता है।

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    बार-बार गर्भपात से महिलाओं को बना रहा मानसिक रोगी।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। बार-बार गर्भपात करियर की चाह रखने वाली महिलाओं में बांझपन का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। यह समस्या महिलाओं में मोटापा और अनियोजित जीवन शैली के कारण और भी चुनौतीपूर्ण हो रही है। एल्कोहल, स्मोकिंग और जंक फूड का सेवन करने वाली महिलाओं में गर्भपात का खतरा कई गुणा तक बढ़ जाता है। जो महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार बना देता है।

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    गर्भपात के कई कारण होते हैं, जैसे जीन, बच्चेदानी के पर्दे का कमजोर होना सबसे बड़ा कारण बन रहा है। जो क्रोमोसोम में बदलाव कर गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है। यह बातें रविवार को फाग्सी की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में मुंबई से आए विशेषज्ञ डा. मिलिंद शाह ने कही।

    होटल लैंडमार्क में फाग्सी की राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में डा. नरेन्द्र मल्होत्रा को स्मृति चिह्न देने के बाद साथ में उपस्थित चेयरपर्सन डा. मीरा अग्निहोत्री ( दाएं से चाैथी ), साथ में डा. माधुरी पटेल ( बाएं से पांचवीं ) और डा. मिलिंद शाह ( बाएं से चौथे ) व अन्य चिकित्सक। जागरण 

    होटल लैंडमार्क में कानपुर ओब्स एंड गायनी सोसाइटी की ओर से आयोजित राष्ट्रीय कान्फ्रेंस के अंतिम दिन विशेषज्ञ डा. मिलिंद शाह ने कहा कि गर्भपात जैसी समस्याएं भाग-दौड़ भरे जीवन में सबसे बड़ी चुनाैती बनकर सामने आ रही है। जो मोटापा और खराब लाइफ स्टाइल के कारण और भी भयावक हो रही है। इससे बचाव के लिए लाइफ स्टाइल को संतुलित करना चाहिए और खान-पान में बदलाव जरूरी है।

    प्री मैरिज काउंसिलिंग विशेषज्ञों की देखरेख में कराने से जेनेटिक रूप से होने वाली गर्भपात की समस्याओं के लिए जागरूक करता है। जिसे समय रहते दवाओं के जरिये ठीक किया जा सकता है। समय पर जांच और समय पर इलाज गर्भपात की समस्या से बचाव के लिए एकमात्र इलाज है।

    वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. माधुरी पटेल ने कहा कि एनीमिया और गर्भावस्था में बढ़ता बीपी गर्भवतियों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसकी अनदेखी गर्भधारण करने वालों के लिए जानलेवा बन जाता है। इस चुनौती को योग, प्राणायाम और संतुलित दिनचर्या से दुरुस्त किया जा सकता है। राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में डा. रितु खन्ना ने महिलाओं में जरूरी टीकाकरण का महत्व समझाया।

    डा. रिचा दुबे ने बेहतर खान-पान से मासिक धर्म की समस्याओं से मुक्ति तथा डा. रेशमा निगम ने डिलीवरी के दर्द शुरू होने के बाद उसके नियंत्रण के बारे में बताया। इस अवसर पर डा. किरन पांडेय, डा. रेनू गुप्ता, डा. शैली अग्रवाल, डा. सीमा द्विवेदी, डा. उरुज जहां, डा. कल्पना दीक्षित, डा. नीलम मिश्रा, डा. कंचन शर्मा सहित 100 से ज्यादा महिला रोग विशेषज्ञ शामिल हुईं।

    विजेता को चेयरपर्सन ने किया पुरस्कृत

    राष्ट्रीय कान्फ्रेंस को लेकर हुए क्विज, पेटिंग, पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को चेयरपर्सन डा. मीरा अग्निहोत्री ने प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का उद्देश्य स्वस्थ समाज में महिलाओं की स्वस्थ भागीदारी को सुनिश्चित करना है। समापन समारोह में आपरेशन सिंदूर की थीम पर कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।

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