साइबर ठगी की सूचना 3 दिन में दें, 10 दिन में बैंक से धन वापस पाएं: आरबीआई गाइडलाइन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि कोई ग्राहक तीन कार्य दिवसों के भीतर धोखाधड़ी की सूचना देता है, तो बैंक को 10 दिनों के भीतर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। इलेक्ट्रानिक लेनदेन के दौरान यदि ग्राहक से साइबर ठगी होती है और वह तीन कार्यदिवस के अंदर बैंक को इसकी जानकारी दे देता है तो ग्राहक के ऊपर इस नुकसान का कोई भार नहीं पड़ेगा। यह निर्देश रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों के लिए जारी किया हुआ है। आनलाइन बैंकों के युग में लगातार ठगी के मामलों के लगातार बढ़ने के चलते ग्राहकों की सुरक्षा के लिए ये निर्देश दिए गए हैं।
साइबर ठगी के मामले में रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि ग्राहक यदि इस तरह की धोखाधड़ी की सूचना तीन कार्य दिवस में दे देता है तो उसे कोई नुकसान नहीं होगा। तीन दिन में बैंक को सूचना देने के मामले में बैंक उस अनधिकृत इलेक्ट्रानिक लेनदेन में ठगी गई राशि को सूचना देने के 10 दिन के अंदर ग्राहक के खाते में वापस जमा करेगा। वहीं यदि सूचना देने में सात कार्य दिवस से अधिक का समय लगता है तो बैंक के बोर्ड की जो नीति होगी, उसके हिसाब से ग्राहक की देयता होगी।
साइबर ठगी के मामले में रिजर्व बैंक ने विस्तृत रूप से बैंक और ग्राहकों की देयता तय करने के लिए गाइड लाइन जारी की हुई है। रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि ऐसे मामलों में ग्राहक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी जहां बैंक की ओर से आंशिक धोखाधड़ी, लापरवाही, कमी की गई है। वहां इस बात का ध्यान नहीं दिया जाएगा कि ग्राहक ने लेनदेन के मामले में रिपोर्ट की हैं या नहीं। इसके साथ ही जिन मामलों में न तो बैंक की कोई गलती है और न ग्राहक की कोई गलती है। सिस्टम की कमी की वजह से ग्राहक के साथ धोखाधड़ी हुई है, वहां भी अगर तीन दिन में ग्राहक बैंक को सूचना दे देता है तो वहां भी ग्राहक की किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं बनेगी।
इसके साथ ही कुछ मामलों में जहां ग्राहक की गलती से उसे नुुकसान हो गया है, जिसमें उसने भुगतान संबंधी गोपनीय जानकारी साझा की है, वहां भी जैसे ही ग्राहक बैंक को इसकी सूचना दे देता है, उसके बाद अगर कोई और घटना होती है तो उसकी सारी जिम्मेदारी बैंक की होगी।

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