कानपुर में यहां खुले आसमान के नीचे विराजती हैं मां, छत बनाने पर गिर जाती, माता सीता से जुड़ा रहस्य
Navratri 2025 कानपुर के कल्याणपुर में स्थित मां आशा देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहाँ माता खुले आसमान के नीचे विराजती हैं। माना जाता है कि सीता माता ने वाल्मीकि आश्रम जाने से पहले यहाँ पूजा की थी। मां आशा देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं खासकर संतान प्राप्ति के लिए नवविवाहित जोड़े यहां आते हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर। Navratri 2025: कल्याणपुर स्थित मां आशा देवी का मंदिर में स्थापित शिला में मां आशा देवी उकेरी गई छवि में विराजित हैं। मंदिर के अंदर मां खुले आसमान के नीचे विराजती हैं। बताया जाता है कि दो बार मंदिर की छत ढालने का प्रयास किया गया लेकिन काम पूर्ण नहीं हो सका।इसलिए इसे मां की खुले में ही रहने की इच्छा मान लिया गया। अपने नाम के अनुरूप मां भक्तों की आशाओं को पूर्ण करने वाली हैं। नवरात्र पर यहां सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की कतारें मां के दर्शन के लिए लगती हैं। मां अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं।
इतिहास
मां आशा देवी मंदिर का इतिहास त्रेता युगीन रामायण काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है। जब भगवान राम ने मां सीता का पारित्याग किया था तब वाल्मीकि आश्रम जाने से पहले मां सीता ने यहां रुक कर शिला पर मां की छवि उकेर कर पूजा की थी। मुगलों और अंग्रेजों के समय तक यहां पर शिला और दीवारें होती थीं। धीरे-धीरे समय के अनुरूप निर्माण कराया जाता रहा और मंदिर वर्तमान स्वरूप में है।
मान्यता
मान्यता है कि अपने नाम के अनुरूप मां भक्तों की आशाओं को पूर्ण करने वाली हैं। इंद्रानगर की रहने वाली रंजना पांडेय ने बताया कि मां के मंदिर में ही ईट रख कर मांगने से मुराद एक वर्ष में ही पूरी हो जाती है। मंदिर में अधिकांश संख्या में नव विवाहित जोड़े अपनी संतान की कामना लेकर आते हैं।
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मन्दिर जाने का मार्ग
मंदिर प्रसिद्ध जीटी रोड से कुछ कदम की दूरी पर पड़ता है। सड़क मार्ग से जीटी रोड द्वारा कानपुर के प्रत्येक कोने से सीधा इंद्रा नगर मोड़ पर उतरकर पैदल जा सकते हैं। वहीं रेल मार्ग से मंदिर के पास में ही स्थित कल्याणपुर स्टेशन पर उतरकर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मां आशा देवी मंदिर में नवरात्र ही नहीं पूरे साल भक्त अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए दूर-दूर से आते हैं। मां आशा देवी मंदिर में सुबह चार बजे प्रतिदिन मंगला आरती की जाती है। आरती के बाद काजू, किशमिश, मखाना और देशी घी का भोग लगाया जाता है।
-आशुतोष गिरी, महंत आशा देवी मन्दिर
लोग अपनी मुरादें लेकर मां आशा देवी के पूजन के लिए आते हैं। मां आशा देवी सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। इसलिए शहर ही नहीं, आसपास जिलों तक के लोग यहां मां के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्र पर मंदिर में मेला भी लगता है।
-अतुल भाटिया, भक्त
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