UP TET Mandatory: कानपुर में टीईटी अनिवार्यता के विरोध में उतरे शिक्षक, बोले- काले कानून के लिए करेंगे आंदोलन
कानपुर में प्राथमिक शिक्षक संघ ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट तक जुलूस निकाला और सरकार से इस नियम को वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करना अन्यायपूर्ण है क्योंकि वे पहले ही सभी आवश्यक योग्यताएं पूरी कर चुके थे।

जागरण संवाददाता, कानपुर। प्राथमिक और जूनियर कक्षाओं को पढ़ाने वाले यानी कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को दो साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करने और ऐसा न होने पर नौकरीा खत्म करने के आए फैसले पर शिक्षकों में रोष है। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर बड़ी संख्या में शिक्षकों ने मंगलवार को जीएनके इंटर कालेज, सिविल लाइंस से कलेक्ट्रेट तक पैदल जुलूस निकालकर रोष जताया। साथ ही टीईटी की अनिवार्यता खत्म करने को लेकर मांग रखी। शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम के प्रतिनिधि को पीएम और सीएम को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
शिक्षक संघ के संरक्षक राकेश बाबू पाण्डेय ने कहा कि 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवारत रहने एवं पदोन्नति के लिए टीईटी की अनिवार्यता को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सितंबर को निर्णय दिया गया। आदेश में कहा गया कि दो साल बाद टीईटी नही करते हैं तो सभी शिक्षकों को सेवा से बाहर कर दिया जायेगा। जब शिक्षक उस समय नौकरी में आया था तो उसने सभी अर्हताएं पूरी की थीं। अब 20-25 वर्ष बाद सेवा करने के बाद टीईटी को अनिवार्य किया गया।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र व राज्य सरकार ने काला कानून वापस न किया तो शिक्षक लखनऊ और दिल्ली में अनवरत आंदोलन करेगा। यहां शिक्षक नेता हेमराज सिंह गौर, राकेश तिवारी, अनिल सचान, मोहित मनोहर तिवारी, राजेश शर्मा, दिनेश त्रिपाठी, साजिद, सत्येन्द्र कुमार, सुरेन्द्र तिवारी, राजकुमार अग्निहोत्री, अरविन्द शुक्ला, सुशेन्द्र सचान, प्रणव, पुष्पेन्द्र सिंह, पीयूष शुक्ला, शिव गोविन्द, नरेन्द्र द्विवेदी, मुलायम सिंह, प्रदीप अवस्थी, कमलेश वर्मा मौजूद रहे।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जिले के आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में पदस्थ 6195 में से 3742 शिक्षक प्रभावित होने का अंदेशा है। हालांकि, बीएसए कार्यालय को शासन से फैसले पर अमल कराने के लिए पत्र आने का इंतजार है।
यह भी पढ़ें- Akhilesh Dubey Case: अखिलेश दुबे का एक और कारनामा, नोएडा के बिल्डर पर किदवई नगर में मुकदमा करा वसूले थे नौ करोड़
टीईटी की अनिवार्यता का शिक्षक पुरजोर विरोध करेगा। क्योंकि ये न्यायोचित नहीं है। संगठन की मांग है कि वर्ष 2011 के पूर्व नियुक्त पुराने शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता को खत्म किया जाए। ताकि शिक्षकों के सामने नौकरी का संकट न आ सके।
वेद प्रकाश त्रिपाठी, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकारी शिक्षकों के हित में कतई नही है। सरकार से मांग है कि वो सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों के हित में अपना पक्ष रखे। ताकि शिक्षकों के सामने टीईटी की अनिवार्यता खत्म हो सके।
जयवीर सिंह, जिला मंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ।
यह भी पढ़ें- कल्याणपुर के पास रेलवे ट्रैक पर मिला बीज कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर का शव, हत्या की आशंका
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।