कानपुर में उद्योग में निरीक्षण रिपोर्टों के नाम पर अवैध वसूली, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक सहायक निलंबित
कानपुर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी योगेश कुमार द्विवेदी को रिश्वतखोरी के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उन पर औद्योगिक इकाइयों से अवैध वसूली का आरोप है। एक वायरल वीडियो में उन्हें रिश्वत लेते हुए देखा गया जिसके बाद बोर्ड ने जांच के आदेश दिए।

जागरण संवाददाता, कानपुर। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानपुर के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी योगेश कुमार द्विवेदी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि उन्होंने औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषण नियंत्रण की अनुमति और निरीक्षण रिपोर्टों के नाम पर अवैध वसूली की। मामला तब उजागर हुआ जब उनका एक वीडियो और एक आडियो क्लिप इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हुई, जिसमें वह रुपये लेते हुए दिखाई दिए।
वहीं विधायक से बातचीत की एक आडियो क्लिप में वह रुपये लेने की बात स्वीकार करते हुए सुने गए। शिकायत के बाद बोर्ड के सदस्य सचिव संजीव सिंह ने जांच के बाद तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
रतनलाल नगर निवासी मोहित जैन ने छह माह पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय में साक्ष्यों के साथ शिकायत की थी, उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी भीमसेन में पीवीसी पाइप की फैक्ट्री है। आरोपित सहायक वैज्ञानिक एनओसी देने के नाम पर रुपये मांग रहे थे। बोर्ड में शिकायत करने से पहले उन्होंने किदवई नगर विधायक महेश त्रिवेदी से भी शिकायत की। जिसमें उन्होंने फैक्ट्री संचालकों ने आरोप लगाया कि आरोपित सहायक वैज्ञानिक अधिकारी उनसे अनुमति नवीनीकरण और निरीक्षण में रियायत देने के नाम पर पैसे की मांग कर रहे हैं।
इसके बाद विधायक ने व्यापारियों के सामने ही आरोपित सहायक वैज्ञानिक अधिकारी को काल करके बातचीत की। इसी बातचीत में आरोपित ने रुपये लेने की बात स्वीकार करते हुए जल्द लौटाने का आश्वासन भी दिया। बातचीत का यही आडियो शिकायतकर्ता के द्वारा बोर्ड मुख्यालय के अधिकारियों को सौंपा गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक ने भी इस पूरे प्रकरण की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। शिकायत के साथ ही वीडियो और आडियो क्लिप सदस्य सचिव संजीव सिंह तक पहुंचाई गई। उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए वैज्ञानिक सहायक योगेश कुमार द्विवेदी को निलंबित करने का आदेश जारी किया। साथ ही एक उच्च स्तरीय विभागीय जांच समिति गठित की गई है, जो आरोपों की सत्यता की जांच करेगी।
बोर्ड के चेयरमैन आरपी सिंह ने बताया कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अधिकारी का आचरण विभागीय नियमों और सरकारी सेवाओं के आचरण संहिता के विपरीत है। जांच पूरी होने के बाद आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
22 साल था तैनात
आरोपित सहायक वैज्ञानिक अधिकारी योगेश कुमार द्विवेदी बीते 22 सालों से कानपुर कार्यालय में तैनात है। एक वर्ष पूर्व ही उनका स्थानांतरण आजमगढ़ किया गया था। लेकिन उन्होंने नेताओं व अधिकारियों से सिफारिश कराकर वापस आए गए थे। नियम के अनुसार सहायक वैज्ञानिक अधिकारी एक कार्यालय में तीन से पांच साल तक की अवधि तक ही तैनात रह सकते हैं।
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