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    अखिलेश दुबे के हथकंडे रूह कंपाने वाले, Audio Viral- 'पुलिस घर या आफिस में दबिश देगी तो कहीं के नहीं रहोगे'

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 10:11 PM (IST)

    कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे रंगदारी वसूलने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज कराते थे। होटल संचालक से ढाई करोड़ वसूले नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज कराया। ऑडियो में दुबे पुष्पेंद्र को धमका रहा है मदद के नाम पर फंसा रहा था। पुलिस से बचाने के नाम पर वसूली करता था और ऐसा न करने पर बेइज्जती की धमकी देता था।

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    अखिलेश दुबे प्रकरण में एक नया आडियो वायरल हुआ है।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। रंगदारी वसूलने के लिए अधिवक्ता अखिलेश दुबे हर पैंतरा अपनाता था। पहले कारोबार चलाने के बदले रुपये मांगता था। जब उसकी दाल नहीं गलती तो वह कारोबारियों पर लड़कियों के जरिए झूठा मुकदमा दर्ज करा देता और फिर जाल में फंसा उसे पुलिस से बचाने के नाम पर करोड़ों की वसूली करता था। साकेत नगर के होटल संचालक के साथ भी उसने ऐसा ही किया।

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    उन पर नौबस्ता थाने में मुकदमा दर्ज करा उनसे ढाई करोड़ रुपये वसूले। रुपये वसूलने से पहले उसने किस तरह से सुरेश पाल के बेटे पुष्पेंद्र को फोन कर अपने जाल में फंसाया। ये बातचीत से साफ समझ में आ रहा है। शनिवार को दोनों की बातचीत के पांच आडियो प्रचलित हुए। इसमें एक आडियो में अखिलेश ने पुष्पेंद्र को फोन कर मदद के नाम पर धमकाया। कहा कि पिता से कहो भागे नहीं। पूरी बात बताएं, क्या करना है। कैसे करना है ताकि उनकी कोई मदद हो सके...वरना लटक जाएंगे। आखिरी में यह भी कहा कि अगर पुलिस होटल में दबिश देगी तो तुम्हारी बेइज्जती हो जाएगी। घर या आफिस में दबिश दी तो तुम कहीं के नहीं रहोगे।

    प्रचलित एक आडियो में अखिलेश ने होटल संचालक के बेटे को फोन किया और कहा कि पुष्पेंद्र, देखो तुम्हारे पिता के खिलाफ नौबस्ता में गैंगरेप का मुकदमा लिखा हुआ है। मालूम है तुम्हें। पुष्पेंद्र के हां कहने पर अखिलेश बोला कि मैंने इसलिए आपको बता दिया कि ऐसे ही ये करते रहेंगे तो किसी दिन लटक जाएंगे। फिर पता लगे क्या हो गया। किसी के यहां जाने की जरूरत नहीं है। पहले बताएं क्या हुआ है ताकि हम उनकी कुछ मदद कर सकें क्योंकि हमें किसी ने बताया तो लगा मैं तुम्हें पूरी बात बताऊं। ये अक्ल के हैं दुश्मन। इन्हें समझाना बेकार है।

    ये बीमारी को पालकर फोड़े को कैंसर में बदल रहे हैं। पता तो इसके पीछे कौन है। जिसने भी मुकदमा लिखाया, उसने संपर्क किया होगा। ठीक तरह से रास्ता निकालना है। नहीं तो इनका ज्यादा नुकसान हो जाएगा। तुम समझ नहीं पाओगे। इसमें कहां नुकसान हो गया। एक लाइन में तुम्हें पूरी बात बता दी है। ज्यादा टाइम नहीं है। वारंट ले लेंगे। हो नहीं पाएगा कुछ भी मैनेजमेंट। ठीक है बात करना, हमको बताना और तुम मेरे पास अकेले आना तो जिससे भी कहना होगा हम वहां बुलाकर मदद के लिए कह देंगे, जो भी अधिकारी होंगे। और समझ भी लेंगे, पीछे इसके कौन पैरवी कर रहा है ताकि उसको भी समझाया जा सके जो पीछे पैरवी कर रहा है।

    हमें तो मालूम ही नहीं है कि क्या है मामला। अब आप बात कर लेना। नहीं हां हां कर रहे हो तो बेइज्जती हो जाएगी तुम्हारे होटल में। पुलिस ने घर या होटल में दबिश दी तो तुम कहीं के नहीं रहोगे। ठीक है। इस दौरान पुष्पेंद्र बस जी, हां हां और ठीक है ही कहता रहा। इसी तरह से एक आडियो में अखिलेश पुष्पेंद्र से कह रहा है कि मेरी बेटी आंचल और उसके साथ दो गेस्ट आ रहे हैं। नीचे होटल में बोल दो। खाने की व्यवस्था करा दें। रात में उनकी ट्रेन है। चैनल को इंस्टाल करना है उनको। दिखवा लेना कौन स्टाफ या मैनेजर है। उनसे बोल देना उन्हें अटैंड कर ले। ऐसे ही अन्य आडियो में भी उसने उन्हें फोन कर कोई न कोई काम बताया।

    • झांसी के एडिशनल एसपी आए हैं, दो कमरे खुलवा दो...
    • अखिलेश दुबे और पुष्पेंद्र के बीच बातचीत की दूसरे प्रचलित हुए आडियो में पता चल रहा है कि उसने अपना रौब दिखाते हुए किस तरह से उसे व उसके होटल का इस्तेमाल किया। बातचीत के कुछ अंश...
    • अखिलेश दुबे: पुष्पेंद्र, सुनो झांसी से पुलिस बल आया है, दो कमरे खुलवा दीजिएगा।
    • पुष्पेंद्र: अच्छा।
    • अखिलेश दुबे: झांसी के एडिशनल एसपी आए हैं।
    • पुष्पेंद्र: कुछ नाम बताएंगे ?
    • अखिलेश दुबे: हां, अवनीश गौतम के नाम से कर लो।
    • पुष्पेंद्र: ठीक है भइया।
    • अखिलेश दुबे: देखो, चाय की व्यवस्था करा लो। खाना तो हम करा लेंगे। कोई दिक्कत नहीं है। नहीं तो खाना भी तुम अपनी जिम्मेदारी पर रखना।
    • पुष्पेंद्र: ठीक है। मैं देखता हूं। अभी की व्यवस्था मैं करा देता हूं।
    • अखिलेश दुबे: अभी का कुछ नहीं। अभी तो हम खिलाकर भेजेंगे यार। तुम सुबह के लिए दो। कमरे का नंबर बताओ।
    • पुष्पेंद्र: नंबर नहीं भइया, इनको भेज दीजिए। मैं करवा देता हूं।
    • अखिलेश दुबे: मैं भेजूंगा नहीं, मैं खुद आऊंगा यार छोड़ने।
    • पुष्पेंद्र: नहीं नहीं, मैं इनके नाम से दो रूम करवाता हूं।
    • अखिलेश दुबे–: मैं तुम्हारा नंबर भी दे दूंगा। ये दिन में रहेंगे। कुछ आधिकारिक काम से आए हैं। इन्हें वहां के एसएसपी साहब ने भेजा है। यहां के एडीजी साहब ने इनको टाइम दिया है, जो अपने कानपुर पुलिस के हैं।
    • पुष्पेंद्र: अच्छा भइया।
    • अखिलेश दुबे: उनसे कहना कि काम कराकर जाना तो ये लोग काम करा कर जाएंगे। इनको यहां काम कराने में 24 से 36 घंटे लगेंगे। अभी तो काम करा ही रहे हैं। इनका कल तक काम चलेगा। अवनीश गौतम के नाम से दो कमरे करा दो।
    • पुष्पेंद्र: ठीक भइया।

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