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Terrorist Encounter : कानपुर से रची जा रही थी देश को दहलाने की साजिश

आतंकी अब कानपुर को अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना मान यहां से बड़ा नेटवर्क चला रहे थे। मिश्रित आबादी वाले इस शहर से पूरे देश को दहलाने की साजिश आइएस ने रची थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 09 Mar 2017 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 09 Mar 2017 01:01 PM (IST)
Terrorist Encounter : कानपुर से रची जा रही थी देश को दहलाने की साजिश
Terrorist Encounter : कानपुर से रची जा रही थी देश को दहलाने की साजिश
कानपुर (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक नगरी कानपुर में उद्योग-धंधे बदहाल होने के साथ बढ़ रही बेरोजगारी के कारण इसको देश को दहलाने की साजिश रचने का अड्डा बनाया जा रहा है। आतंकी अब कानपुर को अपना सबसे सुरक्षित ठिकाना मान यहां से बड़ा नेटवर्क चला रहे थे। 
मिश्रित आबादी वाले इस शहर से पूरे देश को दहलाने की साजिश आइएस ने रची थी। मुठभेड़ में मारे गए सैफुल्लाह और कानपुर से पकड़े गये फैजल, उसके भाई इमरान और मप्र के पिपरिया से गिरफ्तार उनके भाई दानिश और साथी आतिफ जाजमऊ के ही हैं।
हथियारों से लेकर पैसा मुहैया कराने का पूरा इंतजाम यहां किया गया था। शहर में सात आतंकी एटीएस की टारगेट में थे। एक मारा गया, चार पकड़े गए और दो अजहर और अफजल की अब भी तलाश जारी है। देश भर की खुफिया व जांच एजेंसी पुखरायां रेल हादसे के रहस्योद्घाटन के लिए यहां डेरा डाले थीं, लेकिन किसी को आइएसआइएस की सक्रियता की भनक तक नहीं लगी।
अब पता चला है कि भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में रखे बम का आतंकियों ने फोटो भी खींचा और आइएस के गढ़ सीरिया भेजा दिया और धमका हो गया, जो शहर से बनाकर वहां रखा गया था। लगभग साफ है, क्योंकि लखनऊ में लगभग 12 घंटे की मुठभेड़ के बाद मारे गए आतंकी सैफुल्लाह और मप्र में ट्रेन ब्लास्ट में पकड़े गए दानिश अख्तर उर्फ जफर, आतिश मुजफ्फर उर्फ आतिफ उर्फ अल कासिम, फैजल व इमरान जाजमऊ चकेरी के ही रहने वाले हैं।
फरार चल रहे अजहर व अफजल भी इसी शहर के हैं। वहीं, अलीगढ़ के इंद्रानगर निवासी सैयद मीर हुसैन उर्फ हमजा की भी कानपुर में रिश्तेदारी है। यह सभी लोग सोशल साइट से एक-दूसरे के संपर्क में आए। आतंकी संगठन आइएस द्वारा जारी वीडियो व धर्म के नाम पर युवाओं में नफरत पैदा करने वालों के जाल में फंसकर देश को दहलाने की साजिश का हिस्सा बन गए। खुद का कानपुर और लखनऊ आइएसआइएस खुरासान मॉड्यूल बना लिया। खुफिया एजेंसी में इसका रहस्योद्घाटन भी हुआ है। इसके अनुसार अब केरल, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक आइएस के खुरासान ग्र्रुप के सक्रिय होने के पुख्ता सुबूत मिले हैं। 
ऐसे चल रहा था आतंकियों का नेटवर्क
(आइएसआइएस खुरासान) मॉड्यूल बनाकर आतंकी युवा देश में दहशत फैलाने की रणनीति बना रहे थे। हालांकि समय रहते खुफिया एजेंसी ने उनकी उम्मीदों को नाकाम कर एक बड़ी घटना को अंजाम देने से बचा लिया। इस गिरोह को आतिफ मुज्जफर लीड कर रहा था, जिसको दो भागों में बांटा गया था। एक ग्रुप शस्त्र व वारदात को अंजाम देने के लिए इलेक्ट्रानिक डिवाइस व ठिकाने की व्यवस्था कर रहा था। दूसरा संदेश मिलने पर हथियार पहुंचाने का काम। जीएम खान, अजहर खलीफा और मो. फैसल इन्हें हथियार से लेकर मोबाइल फोन व रुपये की व्यवस्था करा रहे थे।
अजहर इटावा के फखरे आलम के माध्यम से इटावा के ऋषि राजावत और बिधूना के शैलेंद्र से पिस्टल सप्लाई कराता था। इन लोगों से पांच पिस्टल सप्लाई करने की बात समाने आई है। वहीं, दानिश, सैफुल्लाह व हुसैनी घटनाओं को अंजाम देते थे। इसकी पूरी निगरानी आतिफ करता था। ट्रेन में बम का सामान कानपुर में ही तैयार किया गया और उसे सैफुल्लाह ने दानिश तक पहुंचाया। उसके बाद अगले टारगेट पर लखनऊ पहुंच गया।
बैंक व धार्मिक स्थल थे निशाने पर
आतंकी फंडिंग के लिए बैंक को निशाना बनाने की फिराक में थे। साथ ही प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए धार्मिक स्थलों पर धमाके का प्लान था। इसमें लखनऊ, बाराबंकी, सारनाथ और बनारस निशाने पर था। इसकी सूचना पर एटीएस और एसटीएफ की टीम ने उन धार्मिक स्थलों व उसके आसपास पड़ताल भी की।

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