कानपुर में विकसित हुआ दुश्मन का इलाका खंगालने वाला 'सुदर्शन चक्र'
आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार के निर्देशन में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र रजत त्रिपाठी, रामाकृष्णा व सौरभ सिन्हा ने इसे तैयार किया है।
कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। ड्रोन व छोटे मानवरहित एरियल ह्वीकल (यूएवी) के बाद आइआइटी कानपुर ने दुनिया का ऐसा पहला रिमोट कंट्रोल बूमरैंग बनाया है, जो बिना दिखे दुश्मन के इलाके की टोह ले सकेगा।
'सुदर्शन चक्र' की तरह उड़ने वाले इस बूमरैंग के पंखों या ब्लेडों की रफ्तार इतनी तेज होगी कि उड़ने के दौरान यह नजर नहीं आएगा। एक वृत्त में उड़ने के कारण यह किसी भी इलाके की फोटो व वीडियो डिग्री पर लेने की क्षमता रखता है।
आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार के निर्देशन में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र रजत त्रिपाठी, रामाकृष्णा व सौरभ सिन्हा ने इसे तैयार किया है। आइआइटी परिसर में इस खास उपकरण को 50 फुट की ऊंचाई तक उड़ाया जा चुका है। रिमोट से चलने वाले बूमरैंग का प्रयोग सफल होने के बाद डॉ. अभिषेक इसकी तकनीक का पेटेंट भी फाइल कर चुके हैं।
सुदर्शन ड्रोन में 2300 किलोवोल्ट की मोटर, एक-एक फिट के दो ब्लेड या पंख लगे हुए हैं। उड़ान भरने के लिए ड्रोन में छह इंच का प्रोपेलर (सामने लगा पंखा) लगाया गया है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वृत्त में उड़ता है। इसका व्यास बढ़ाकर और व्यापक रूप से उड़ा सकते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि बूमरैंग का इस्तेमाल किसी भी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने व सर्विलांस के लिए किया जा सकता है।
आपदा के दौरान व युद्ध के समय इसे इस्तेमाल करके उस स्थान की फोटो व वहां का वीडियो लेने के साथ यह सुदर्शन ड्रोन उसका लाइव टेलीकास्ट करने में भी सक्षम होगा। इसमें हाई फ्रेम रेट का कैमरा लगाकर 240 फ्रेम प्रति सेकेंड के वीडियो की जबकि कैमरे से एक सेकेंड में 30 फ्रेम का वीडियो ही रिकार्ड होता है।
क्यों रखा सुदर्शन चक्र नाम: यह रिमोट बूमरैंग ठीक सुदर्शन चक्र की तरह घूमता है। उड़ते समय अगर इसे देखा जाए तो यह ऐसे मूवमेंट करता है जैसे सुदर्शन चक्र चल रहा हो। डा. अभिषेक ने इसी गुण के कारण इसका नाम सुदर्शन बूमरैंग रखा है।
हेलीकाप्टर पर शोध करते समय आया आइडिया: डॉ. अभिषेक कुमार को अनमेंड हेलीकाप्टर पर शोध कार्य करने के दौरान सुदर्शन ड्रोन बनाने का आइडिया आया। उन्होंने बताया कि बूमरैंग देखा था, जो कॉलेज टाइम से मेरे जहन में था। शोध कार्य करते समय मैंने सोचा क्यों न सुदर्शन ड्रोन बनाया जाए। इसे बनाने में छह महीने का समय लगा।
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क्या है खासियत:
वजन: 150 ग्राम
दूरी: 1000 मीटर
क्षमता: 50 ग्राम वजन वहन करने की
पिक्चर टेकिंग स्पीड: 240 फ्रेम प्रति सेकेंड
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