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    Gaming App से ठगी का काला खेल, छोटी रकम जिताकर फंसाते, फिर बड़ी बाजी में हरा देते

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 08:16 PM (IST)

    कानपुर पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग ऐप के माध्यम से ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है जबकि सरगना फरार है। आरोपी कार्तिकेय 365 लोटस 365 जैसे ऐप्स के जरिए लोगों को फंसाते थे। गिरोह टेलीग्राम और डार्क वेब का इस्तेमाल करता था। आरोपियों से मोबाइल नकदी एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं। गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं।

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    बर्रा में आनलाइन गेमिंग एप से ठगी में पकड़े गए आरोपित। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। बर्रा पुलिस ने आनलाइन गेमिंग एप और वेबसाइट के जरिए ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जबकि सरगना अभय शुक्ला उर्फ सुल्तान मिर्जा फरार हो गया है। आरोपितों के पास से 22 मोबाइल, 3.21 लाख रुपये नगद, सात एटीएम कार्ड, एक कार और तीन बाइकें बरामद की हैं।

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    डीसीपी दक्षिण दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि बर्रा पुलिस को आरोपितों के आनलाइन गेमिंग एप और वेबसाइट से ठगी कर कमाई गई रकम के बंटवारा करने की सूचना मिली थी। इस पर पुलिस ने बर्रा-6 स्थित प्राचीन शिव मंदिर के सामने मैदान में बैठे गुजैनी का सिद्धार्थ विश्वकर्मा और दीपक वर्मा, रतनलाल नगर के अक्षय सिंह, मूलरूप से बलिया के निगंहुआ और वर्तमान में हैप्पी टावर रतनलाल नगर के हर्ष मिश्रा, मूलरूप से कानपुर देहात के डेरापुर के मवई गांव निवासी उमेश राव और नानोरी गांव के विशाल संखवार, बर्रा-छह निवासी अभिषेक गौड़, दबौली के प्रवीण दुबे को गिरफ्तार किया है।

    डिजिटल अरेस्ट भी करते

    डीसीपी के मुताबिक गिरोह के सदस्य कार्तिकेय 365, लोटस 365 एक्सवाइजेड, रेडी बुक, दुबई इएक्सएच आदि गेमिंग एप के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे। टेलीग्राम और डार्क वेब के माध्यम से लोगों को गेमिंग बेट साइट पर मोटी रकम जीतने का लालच देकर फंसाते थे। इन लाेगों का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है। गिरोह के सदस्य डिजिटल अरेस्ट और बैंक नेटवर्किंग के जरिए ठगी भी करते हैं। ठगी की रकम काे गेमिंग एप और वेबसाइट के जरिए ठिकाने लगाते थे। आरोपितों के मोबाइल से हजारों फर्जी खाते और ट्रांजेक्शन के रिकार्ड मिले हैं।

    कई राज्यों से जुड़े तार

    डीसीपी दक्षिण ने बताया कि पकड़े गए गिराेह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं। वहां बैठे गिरोह के सदस्य लोगों को गेमिंग एप और बेवसाइट के लिए टेलीग्राम ग्रुप से जोड़ने का काम करते थे। छोटी-छोटी रकम लगाने वालों को जीताकर फंसाया जाता है।इसके बाद जैसे ही वह मोटी रकम लगाता तो गिरोह के सदस्य उसे जानबूझकर हराकर उनकी रकम हड़प लेते थे।पुलिस का कहना है कि इस तरह की ठगी का शिकार होने वाले कई लोग आत्महत्या कर जान भी गवां चुके हैं।फिलहाल अभी तक गिरोह के खिलाफ कोई पीड़ित सामने आया है।

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    सरगना की तलाश में दबिश

    डीसीपी दक्षिण ने बताया कि गिरोह का सरगना अभय शुक्ला उर्फ सुल्तान मिर्जा मौके से भागने में कामयाब रहा। उसका मोबाइल भी लगातार स्विच आफ आ रहा है। इसके अलावा पकड़े गए आरोपित भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकेंगे। उसकी गिरफ्तारी के टीमें लगाई है। जबकि शहर का नेटवर्क आरोपित सिद्धार्थ विश्वकर्मा देखता था, जो बीसीए करने के बाद से ही \\I\\Iसरगना अभय शुक्ला के संपर्क में था। 

    25 हजार सैलरी, रहना-खाना फ्री

    \\Iसिद्धार्थ ने गिरोह में काम करने वाले अन्य आरोपितों को सैलरी पर रखा था। सभी को महीने के 25 हजार रुपये और रहना-खाना फ्री था। इसके लिए आरोपित ने रतनलाल नगर स्थित हैप्पी टावर में अपार्टमेंट भी किराए पर ले रखा था। उसी अपार्टमेंट से ठगी का काराेबार भी संचालित हो रहा था। आरोपित सिद्धार्थ ने पूछताछ में बताया कि वह छह महीने से सरगना के लिए काम करा रहा था। 

    तीन महीने में करोड़ों का ट्रांजेक्शन, अकाउंट में मिले 52 लाख

    डीसीपी ने बताया कि आरोपित के पास से मिले एटीएम कार्ड भी दूसरों के नाम पर मिले हैं, जिन्हें आरोपितों ने किराए पर ले रखे थे। इनमें से ज्यादातर अकाउंट प्राइवेट नौकरी करने वाले के पाए गए हैं। आरोपित ने प्राइवेट बैंकों में इनके नाम पर खुलवाए गए अकाउंट से रुपयों का ट्रांजेक्शन करते थे। इसके बदले में किराए के नाम पर कुछ रुपये देते थे। तीन महीनों में इनके खातों से करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन मिले हैं। इसके अलावा खातों में 52 लाख रुपये मिले हैं, जिन्हें फ्रीज कराने की कार्रवाई की जाएगी। आरोपितों के परिवार वालों और रिश्तेदारों के बैंक खातों को भी खंगाला गया है। सभी के खातों में रुपयों के ट्रांजेक्शन मिले हैं। उनके खाते भी फ्रीज कराए जाएंगे।