Eid Miladunnabi 2022: Kanpur में निकला जुलूस ए मोहम्मदी, चंद्रेश्वर हाता के सामने की लेन खाली, देखें तस्वीरें
कानपुर में ईद मिलादुन्नबी पर शान से जुलूस ए मोहम्मदी निकला है। जिसमें इस्लामी झंडों के साथ लाखों अकीदतमंद शामिल हुए है। इस दौरान नई सड़क उपद्रव के दौरान चंद्रेश्वर हाता के सामने की लेन खाली रखी गई है। ड्रोन और पैन टिल्ट जूम कैमरों से अफसरों ने नजर रखी।
कानपुर, जागरण संवाददाता। Eid Miladunnabi 2022 पैग़ंबर-ए-इस्लाम की जन्मदिवस की खुशी में मनाई जाने वाली ईद मिलादुन्नबी पर रविवार को शान से जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया। जुलूस में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। जुलूस में शामिल लोग हाथों में इस्लामी झंडे लेकर और पैगंबर;ए-इस्लाम की शान में नात(कविता) पढ़ते चल रहे थे।
जुलूस में या रसूल अल्लाह के नारे लगाए जा रहे थे। जैसे-जैसे जुलूस आगे बढ़ता गया उसमें शामिल होने वालों की संख्या में भी वृद्धि होती गई। परेड ग्राउंड से दोपहर में निकला जुलूस ए मोहम्मदी अपने परंपरागत रास्तों से होकर गुज़रा।
इस दौरान जगह-जगहजुलूस का स्वागत किया गया। फूलों, इतर व गुलाबजल की बौछार की गई ।
पैग़ंबर-ए- इस्लाम के जन्मदिवस की खुशी में हर वर्ष जमीयत उलमा जुलूस-ए -मोहम्मदी निकालती है।यह जुलूस परेड से शुरू होता है, विभिन्न मार्गों से होकर देर शाम फूल बाग पहुंचता है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने हरी झंडी जुलूस को परेड से रवाना किया। जुलूस में सबसे आगे जमीयत उलेमा के सदस्य थे ।उनके पीछे झंडे लेकर तंजीमें चल रही थी। जुलूस में शामिल लोग लाउडस्पीकर पर पैगंबर-ए- इस्लाम शान बयान करते चल रहे थे। जुलूस के स्वागत के लिए जगह-जगह स्टेज बनाए गए ।
14.5 किलोमीटर लंबा जुलूस
जमीअत उलमा के नेतृत्व में रविवार को 14.5 किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला गया। यह जुलूस परेड, नई सड़क, पेच बाग, तलाक महल, बेगमगंज, कंघी मोहाल, नाला रोड, चमनगंज, बांस मंडी, मूलगंज, शिवाला, पटकापुर होता हुआ फूलबाग तक जाएगा।
दो वर्षों बाद निकला जुलूस
कोरोना की वजह से पिछले दो वर्षों से जुलूस ए मोहम्मदी नहीं निकल पा रहा था।पिछले वर्ष अनधिकृत रूप से कुछ लोगों ने जुलूस निकाला था ।इसको लेकर पुलिस में मुकदमे भी कायम किए थे इस बार परंपरागत तरीके से जुलूस निकाला जा सका।
एशिया का सबसे बड़ा जुलूस माना जाता है
शहर से निकलने वाला जुलूस ए मोहम्मदी एशिया का सबसे बड़ा जुलूस माना जाता है। इस जुलूस में लगभग पांच लाख लोग शिरकत करते हैं।
सौहार्द की मिसाल है जुलूस -ए मोहम्मदी
शहर से निकलने वाला जुलूस ए मोहम्मदी सौहार्द और भाईचारा की मिसाल बन गया है जुलूस में विभिन्न धर्मों के लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं जुलूस का जहां-जहां स्वागत किया जाता है स्वागत करने वालों में सिख इसाई हिंदू धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में होते हैं
अंग्रेजों के जुल्म के खिलाफ निकल था पहला जुलूस
जुलूस के मोहम्मदी का इतिहास अंग्रेजों के जुल्म के खिलाफ मोर्चा लेने से जुड़ा है। मेस्टन रोड पर बीच वाला मंदिर और मस्जिद मछली बाजार आमने-सामने हैं। तकरीबन 110 पहले अंग्रेजों ने सड़क चौड़ी करने के लिए यहां मस्जिद का वुजूखाना तोड़ दिया था। इससे नाराज हिंदू-मुस्लिमों ने एक होकर अंग्रेजों से मोर्चा लिया। अगले वर्ष इसी घटना की याद में जुलूस का निकाला गया, उस दिन 12 रबी उल अव्वल का दिन था। इसी वजह से यह जुलूस-ए-मोहम्मदी कहलाने लगा।
वर्ष 1913 में मस्जिद तोड़ने पर हिंदू-मुस्लिम हुए थे एकजुट
कानपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने वर्ष 1913 में गंगा तट पर सरसैय्याघाट से बांसमंडी को मिलाने वाली सड़क के विस्तार की योजना बनाई। इसकानक्शा तैयार किया गया। इसमें मस्जिद का कुछ भाग भी आ रहा था। सामने मंदिर भी था। अंग्रेजों ने अंग्रेजों ने मस्जिद का भाग तोड़ दिया। इसके विरोध में हिंदू-मुस्लिम एकजुट हो गए।अगले वर्ष इस घटना की याद में जुलूस निकाला गया।
अब भी मस्जिद -मंदिर के सामने से निकलता है जुलूस
एकता की मिसाल जुलूस-ए-मोहम्मदी आज भी मेस्टन रोड से होकर गुजरता है। एक तरफ मंदिर तो दूसरी ओर मस्जिद। जुलूस का नेतृत्व करने वाली संस्था जमीअत उलमा के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमिननुल हक अब्दुल्लाह बताते है कि वर्ष 1913 की मेस्टन रोड पर मस्जिद मछली बाजार की घटना की याद में वर्ष 1914 में 12 रबी उल अव्वल के दिन परेड ग्राउंड पर लोग एकत्रित हुए। मौलाना अब्दुल रज्जाक कानपुरी, मौलाना आजाद सुब्हानी, मौलाना फाखिर इलाहाबादी और मौलाना मोहम्मद उमर के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया। यही जुलूस, जुलूस-ए-मोहम्मदी के नाम से जाना जाने लगा।
अफसरों ने रखी नजर, चंद्रेश्वर हाता के सामने की लेन रखी गई खाली
नई सड़क बवाल के बाद जुलूस-ए- मोहम्मदी पर पुलिस अफसरों की खास नजर रही। नई सड़क पर पुलिस ने विशेष एहतियात बरती। यहां पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। वहीं अधिकारियों ने शहर के सभी जुलूसों की निगरानी के लिए 123 ड्रोन और पैन टिल्ट जूम (पीटीजेड) कैमरों की मदद ली। शांति व्यवस्था कायम रखने के मद्देनजर पुलिस ने चंद्रेश्वर हाता के सामने की लेन पूरी तरह से खाली रखी। जुलूस को सामने वाली लेन से निकालने की व्यवस्था की गई थी।
इस दौरान पुलिस आयुक्त बीपी जोगदण्ड, संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी, डीसीपी पूर्वी रवींद्र कुमार समेत बड़ी संख्या अफसर नई सड़क पर मौजूद रहे। अधिकारी लगातार धर्म गुरुओं से संवाद करते रहे। जुलूस मार्ग पर लगातार पुलिस बल पैदल गश्त करते रहे। एहतियातन यहां पर दमकल के वाहन भी लगाए गए थे। जूलुस के दौरान कुछ पैदल चल रहे लोगों ने चंद्रेश्वर हाता लेन से होकर गुजरने का प्रयास किया तो पुलिस ने उन्हें वापस उसी लेन में भेजा।