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    Cyber Crime: म्यांमार, इंडोनेशिया में चल रहीं साइबर ठगी की फैक्ट्रियां, जालसाजों के मालिक हैं चीनी

    Updated: Sat, 30 Nov 2024 08:33 AM (IST)

    म्यांमार और इंडोनेशिया में साइबर ठगी की फैक्ट्रियां चल रही हैं। इनके मालिक चीनी हैं। भारत और आसपास के देशों के युवाओं को थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर फंसाया जाता है और फिर म्यांमार के जंगलों में साइबर ठगी करने वाली कंपनियों में भेज दिया जाता है। इसका खुलासा कानपुर में एक युवक ने किया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।

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    नौकरी के बहाने युवाओं को साइबर क्राइम में धकेला जा रहा है

     दुर्गा शंकर शुक्ला, जागरण कानपुर। भारत के पड़ोसी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, खासकर म्यांमार और इंडोनेशिया में साइबर ठगी की फैक्ट्रियां चल रही हैं। एक व्यवस्थित कंपनी का रूप देकर इनको संचालित किया जा रहा है। किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह इनका अपना कैंपस, कैंटीन, मार्केट और आवास भी हैं।

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    कंपनी का साल भर का नफा दिखाने की बैलेंस शीट भी जारी होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाता। कंपनियों की अपनी निजी सेना भी है, जो गलती करने पर कर्मचारियों को अपंग बनाने से लेकर मौत तक की सजा देती है।

    बड़ी बात यह है कि भले ही साइबर ठगी की ये फैक्ट्रियां म्यांमार, इंडोनेशिया में चल रहीं हों, लेकिन इनके मालिक चीनी हैं। भारत और आसपास के देशों के युवाओं को थाईलैंड में काल सेंटर में मोटी तनख्वाह पर नौकरी का लालच देकर फंसाया जाता है। यह सनसनीखेज पर्दाफाश कल्याणपुर के रहने वाले शिवेंद्र ने किया है।

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    थाईलैंड में नौकरी का झांसा देकर उन्हें म्यांमार के जंगलों में साइबर ठगी करने वाली कंपनी में भेज दिया गया था। वहां वह एक महीने से फंसे थे। गुरुवार को ही भारतीय दूतावास के प्रयासों से वह आजाद हुए और घर लौटे। उन्होंने बताया कि म्यांमार के जंगलों में कई लाख वर्ग मीटर के दायरे में बने कई कंपनियां हैं, जो अलग-अलग तरीके से ठगी करती हैं। उसे जिस कंपनी में भेजा गया, वहां लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी को अंजाम दिया जाता था।

    शेयर ट्रेडिंग के नाम पर धन दोगुणा करने, रोमांस और डेटिंग के नाम पर फंसाने जैसे तरीकों से लोगों को ठगा जाता है। शिवेंद्र ने बताया कि स्थानीय गूबा गार्डन निवासी प्रभात द्विवेदी ने उनका आनलाइन साक्षात्कार कराया। इसके बाद उन्हें दिल्ली भेजा गया।

    दिल्ली एयरपोर्ट पर संदीप शर्मा, करनदीप और ऋषभ मिले। संदीप ने ऋषभ का परिचय भी नौकरी के लिए जाने वाले व्यक्ति के रूप में कराया। थाईलैंड एयरपोर्ट पहुंचने पर उन्हें वीआइपी कमरे में ठहराया गया। दूसरे दिन चार कारें बदलते हुए बार्डर पार कराया गया। नाव से नदी पार कर म्यांमार के जंगलों में स्थित कंपनी ले गए।

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    पूरी प्रक्रिया ऐसे थी कि उन्हें आभास तक नहीं हुआ कि वह साइबर ठगों के चंगुल में फंस चुके हैं। कंपनी में पहुंचकर पता लगा कि ऋषभ भी ठग गिरोह का हिस्सा है।

    डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस ने शिवेंद्र से पूछताछ की है। देश से बाहर डेरा जमाए ठगों पर कार्रवाई करना संभव नहीं है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जिन लोगों के गिरोह में शामिल हैं उनके खिलाफ जांच के बाद आवश्यक विधिक कार्रवाई की जाएगी।