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    नेपाल में पशु बलि रोकने के लिए सीमा पर निगरानी, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात

    Updated: Sat, 30 Nov 2024 07:45 AM (IST)

    नेपाल के बरियापुर बारा में होने वाले गढ़ीमाई महोत्सव में जानवरों की बलि की प्रथा को रोकने के लिए नेपाल सरकार ने सीमा पर निगरानी बढ़ा दी है। 2019 में हुए महोत्सव में 2.5 लाख से अधिक पशुओं की बलि दी गई थी। नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रथा पर रोक लगाने का आदेश दिया है। भारत से पशुओं की तस्करी रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं।

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    बरियापुर बारा में देवी गढ़ीमाई को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि दी जाती है।

    सतीश पांडेय, जागरण गोरखपुर। नेपाल के बरियापुर बारा में देवी गढ़ीमाई को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि दी जाती है। आठ व नौ दिसंबर को होने वाले आयोजन को लेकर पशुओं के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था के लोग चिंतित हैं। वर्ष 2019 में हुए महोत्सव में 2.50 लाख से अधिक पशुओं की बलि दी गई थी।

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    नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रथा पर रोक लगाने के संबंध में अगस्त में आदेश भी पारित किया है। भारत से कोई भी पशुओं की तस्करी कर नेपाल न ले जा सके, इसको देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी बढ़ा दी है। पुलिस मुख्यालय ने सीमा से सटे सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिख सजग किया है। बलि के लिए 70 प्रतिशत पशुओं काे उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा से सटे जिलों के रास्ते नेपाल के बरियापुर बारा पहुंचाया जाता है।

    सुप्रीम कोर्ट से बलि पर लगी रोक के बाद नेपाल सीमा को नौ दिसंबर तक सील करने के लिए स्वयंसेवी संस्था की ओर से अपील की गई है। पत्र व ईमेल का संज्ञान लेते हुए आइजी कानून-व्यवस्था एलआर कुमार ने सीमा से सटे महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत जिले के पुलिस अधिकारियों को पत्र लिख बताया है कि हर पांच वर्ष पर गढ़ी माई महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु पशुओं की बलि देते हैं। आइजी ने पुलिस अधिकारियों से कहा है कि पशुओं की तस्करी रोकने के साथ ही सीमा पर सक्रिय गिरोह को चिह्नित कर कार्रवाई करें।

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    विरोध के बाद भी हो रहा आयोजन

    पशुओं के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था से जुड़े वर्नित शाह व कुशल जैन ने पुलिस मुख्यालय को ई-मेल भेजकर बताया है कि बलि पर रोक होने और स्थानीय स्तर पर विरोध के बाद भी आठ व नौ दिसंबर को सामूहिक बलि देने का कार्यक्रम है। इस आयोजन में 2000 से अधिक कसाइयों के द्वारा 2.50 से तीन लाख पशुओं की बलि दी जाती है। पशुओं की तस्करी होने से सीमा क्षेत्र में दूध का संकट भी खड़ा होगा। पशु तस्करी पर रोक लगाकर ही इससे बचा जा सकता है।

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    भारत से भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु

    बारा जिला के बरियापुर गांव में गढ़ीमाई मंदिर अति प्राचीन है। पांच वर्ष होने वाले होने वाले महाेत्सव में लोग मन्नत पूरी होने पर पशु के अलावा पक्षियों की बलि देते हैं। इसमें नेपाल के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड समेत कई राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं।