कोलेस्ट्राल की अनदेखी यानी दिल बीमार, युवा वर्गों के लिए खतरे की घंटी
कोलेस्ट्राल लेवल की अनदेखी को हृदय रोगों का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि खराब जीवनशैली के कारण भारतीयों में हृदय रोग का खतरा विदेशियों से 10 साल पहले शुरू हो जाता है। भारत खराब जीवनशैली के मामले में 40वें स्थान पर है। मोटापा और कोलेस्ट्राल लेवल की समय पर जांच कराना आवश्यक है। पढ़ें क्या कहते हैं वरिष्ठ कार्डियोलाजिस्ट डा. जेपीएस साहनी...

जागरण संवाददाता, कानपुर। खराब जीवनशैली के चलते भारतीयों में हृदय रोग (Heart Disease) का खतरा विदेशियों की तुलना में 10 वर्ष पहले ही मंडराने लगता है। हृदय घात (Heart Attack) के ज्यादातर मामले 50 से कम आयुवर्ग के लोगों में सामने आ रहे हैं। शरीर में कोलेस्ट्राल लेवल की अनदेखी करने से 40 वर्ष तक के लोगों का दिल बीमार हो रहा है। खराब जीवनशैली के मामले में विश्व के 48 देशों में भारत 40वें स्थान है।
तेजी से बढ़ रहा मोटापा शरीर में बढ़ते कोलेस्ट्राल का संकेत है। जो हृदय की बीमारियों की ओर ले जाता है। इसलिए जिस प्रकार बीपी (BP) और शुगर (Sugar) की जांच समय पर कराते हैं, ठीक उसी प्रकार कोलेस्ट्राल लेवल की जांच भी कराते रहे। इससे आप अपने दिल की सेहत के बारे में जान सकेंगे। ये बातें लव योर हार्ट प्रिवेंट बिफोर डैमेज में सर गंगाराम हास्पिटल नई दिल्ली के वरिष्ठ कार्डियोलाजिस्ट डा. जेपीएस साहनी ने कहीं।
मर्चेंट्स चैंबर आफ उत्तर प्रदेश की हेल्थ एंड लाइफस्टाइल मैनेजमेंट समिति की विशेष गोष्ठी में डा. साहनी ने कहा कि कोलेस्ट्राल मैनेजमेंट को लेकर तैयार की गई गाइडलाइन में तीन वर्ष तक पूरी दुनिया से सामने आ रहे सडन डेथ के मामलों का अध्ययन किया गया। इसमें चार रिस्क फैक्टर बढ़ता बीपी, शुगर और कोलेस्ट्राल लेवल व स्मोकिंग तथा तंबाकू खाने की आदत सामने आए जो भारतीय में हृदय घात का मुख्य कारण है।
देश में 35 प्रतिशत बीपी, 11 प्रतिशत शुगर और 81 प्रतिशत कोलेस्ट्राल के बढ़ने के मरीजों में हृदय घात की समस्या मिल रही है। खराब कोलेस्ट्राल यानी एलडीएल हृदय की नसों को ब्लाक करता है। यह मीठा खाने वालों में हृदय घात के खतरे को कई गुणा तक बढ़ा देता है। इसलिए जब बच्चा स्कूल से कालेज जाए तो उसके कोलेस्ट्राल लेवल की जांच जरूर कराएं।
उन्होंने बताया कि दक्षिण एशिया में तोंद वाला मोटापा कम उम्र के लोगों में बढ़ा है। यह मोटापा सिर्फ पेट के बीच वाले भाग में दिखता है और हाथ-पैर पतले रहते हैं। इस अवसर पर डा. एएस प्रसाद, डा. अवध दुबे, डा. उमेश पालीवाल, मर्चेंट्स चैंबर के पूर्व अध्यक्ष बीके लाहोटी, अतुल कनोडिया, दीप गर्ग, नवीन खन्ना, गुलशन धूपर आदि उपस्थित रहे।
ये जरूरी है
डा. साहनी ने कहा कि भागदौड़ भरी दिनचर्या, अत्यधिक मानसिक तनाव, असंतुलित आहार तथा शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण हृदय घात के बढ़ते मामले बढ़ रहे हैं। इसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन से कम कर सकते हैं।
ये हैं लक्षण
- सीने में दर्द या भारीपन
- सांस में तकलीफ
- थकान
- कमजोरी
- हाथ-पैरों में सुन्नता
- आंखों के आसपास पीले धब्बे
ये उपाय तत्काल करें
- स्वस्थ आहार
- नियमित व्यायाम
- धूम्रपान और शराब छोड़ें
- वजन कम करें
- नियमित जांच
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