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Air Defence Gun: एडब्ल्यूईआइएल ने विकसित की एयर डिफेंस गन, डेढ़ किमी के दायरे में आते ही ढेर होंगे दुश्मन ड्रोन और यूएवी

रक्षा मंत्रालय के पीएसयू एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कंपनी (एडब्ल्यूईआइएल) कानपुर मुख्यालय के अधीन आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली ने हवाई रक्षा खतरों से निपटने के लिए 25 किलोग्राम वजन की 12.7 मिलीमीटर कैलिबर एयर डिफेंस गन विकसित की है। इस हाइटेक गन के डेढ़ किमी के दायरे में आते ही दुश्मन ड्रोन और यूएवी ढेर होंगे। एक मिनट में 800 राउंड दागने वाली गन 25 किग्रा की है।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraPublished: Wed, 13 Dec 2023 07:07 AM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2023 07:07 AM (IST)
Air Defence Gun: रक्षा मंत्रालय के पीएसयू एडब्ल्यूईआइएल कंपनी द्वारा बनाई गई 12.7 मिमी एयर डिफेंस गन।

विवेक मिश्र, कानपुर। युद्ध के बदलते स्वरूप के साथ अब सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए ताकत और तकनीक के मेल से देश में ऐसे हथियार तैयार किए जा रहे हैं, जो किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। रक्षा मंत्रालय के पीएसयू एडवांस वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कंपनी (एडब्ल्यूईआइएल), कानपुर मुख्यालय के अधीन आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली ने हवाई रक्षा खतरों से निपटने के लिए 25 किलोग्राम वजन की 12.7 मिलीमीटर कैलिबर एयर डिफेंस गन विकसित की है।

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यह सरहद पार से आने वाले ड्रोन और मानव रहित विमान (यूएवी) को डेढ़ किमी के दायरे में आते ही हवा में प्रति मिनट 800 राउंड गोलियां दागकर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। जमीन पर एयर डिफेंस गन दो किमी के दायरे में फायरिंग कर सकती है।यूक्रेन-रूस और इजरायल-हमास युद्ध ने साबित कर दिया है कि जिसकी वायु रक्षा प्रणाली जितनी मजबूत है, वह उतना ही दुश्मन पर भारी पड़ेगा।

भारतीय सेना भी वायु रक्षा को विशेष तरजीह दे रही है। पहाड़ की ऊंची चोटियों, मैदान और रेगिस्तान में तैनात हो सकने वाली एयर डिफेंस गन की जरूरत महसूस होने पर सेना ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से इसकी अपेक्षा की। डीआरडीओ की आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने इस पर 12.7 मिमी कैलिबर की एयर डिफेंस गन का डिजाइन करके एडब्ल्यूईआइएल कंपनी को दी।

एआरडीई की डिजाइन पर एडब्ल्यूईआइएल की आयुध निर्माणी तिरुचिरापल्ली के इंजीनियर बेल्ट फेड एयर डिफेंस गन बनाने में कामयाब रहे। जल्द ही यह गन भारतीय सेना के हथियारों में तो शामिल होगी ही, इसको निर्यात करने की प्रक्रिया चल रही है।अभी तक 40 मिमी कैलिबर की गन बनाती है कंपनीएडब्ल्यूईआइएल अभी तक लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) कंपनी व भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ मिलकर 40 मिमी कैलिबर एयर डिफेंस गन का उत्पादन करती आ रही है।

यह गन 10 किमी से अधिक दूरी तक हवा में मार करने में सक्षम है। इस गन को सेना की मौजूदा गन से बदलने की प्रक्रिया शुरू होने का दावा किया गया है। बेल्ट फेड एयर डिफेंस गन हल्की होने से उसको ऊंची चोटियों पर आसानी से ले जा पाना संभव है। आयुध निर्माणी को गन की आपूर्ति के लिए सेना से आर्डर भी मिल गया है।

वर्तमान समय में हवाई खतरा बढ़ा है, उससे निपटने के लिए हवाई रक्षा हथियारों की मांग भी बढ़ी है। एडब्ल्यूईआइएल ने 40 मिमी कैलिबर के बाद 12.7 मिमी कैलिबर की एयर डिफेंस गन बनाने में सफलता पाई है। जल्द ही मांग के अनुरूप उसका उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा।

राजीव शर्मा, कार्यकारी निदेशक, लघु शस्त्र निर्माणी, कानपुर

एक नजर में

एयर डिफेंस गन- 12.7 मिमी कैलिबर की गन - 25 किलोग्राम वजन- 1500 मीटर प्रभावी मारक क्षमता- 2000 मीटर जमीन पर प्रभावी मारक क्षमता- 800 राउंड प्रति मिनट फायरिंग क्षमता

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