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    न थका, न झुका, पिता ने बेटे के लिए लड़ी 30 साल की जंग, बेची 7 बीघा जमीन, 560 बार काटे थाने के चक्कर

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:35 PM (IST)

    22 वर्षीय बेटे की हत्या के मामले में एक पिता को न्याय के लिए अपनी जमीन बेचनी पड़ी। पिता की मृत्यु के बाद भतीजे ने लड़ाई लड़ी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कोटरा थाने में आठ आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। तीस सालों में परिवार ने 560 से अधिक चक्कर काटे। एसपी ने बताया कि नई पत्रावलियां तैयार कराई गई थीं जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ।

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    घटना की जानकारी देते युवक के भतीजे सोनू साथ में उनके पिता देवेंद्र बाजपेयी। जागरण

    जागरण संवाददाता, उरई। 22 साल के जवान बेटे की पानी में डुबो कर हुई हत्या के मामले में पिता को न्याय पाने की आस में अपनी जमापूंजी के साथ जमीन तक बिक्री कर देनी पड़ी। बीच में न्याय की आस में पिता का निधन भी हो गया। बाद में युवक के भतीजे ने न्याय पाने की लड़ाई लड़ी और अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुधवार सुबह पुरानी तहरीर के आधार पर ही आठ आरोपितों के खिलाफ कोटरा थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।

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    इस बीच जिला मुख्यालय से लेकर कोर्ट तक युवक के पिता व स्वजन ने इन बीते 30 साल में 560 से अधिक चक्कर काटे, सात बीघा खेती बेच दी व 15 लाख तक की जमापूंजी गंवा दी। उसके बाद अब न्याय मिल सका है। युवक के भतीजे का कहना है कि आरोपितों की जब तक गिरफ्तारी नहीं हो जाती तब तक उनसे हमारे परिवार को खतरा है। एसपी डा. दुर्गेश कुमार ने बताया कि इस मामले में नई पत्रावलियां तैयार कराई गई थीं, उसके बाद आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना कराई जा रही है। 

    कोंच कस्बा के सुभाषनगर मुहल्ला में 1995 में नवरात्र के अवसर पर चंद्रकुआं चौराहे के पास देवी प्रतिमा स्थापित हुई थी। पांच अक्टूबर 1995 को प्रतिमा विसर्जन के लिए सुभाषनगर निवासी उमांशंकर बाजपेयी का पुत्र 22 वर्षीय प्रदीप कुमार अपने साथियों के साथ सैदनगर बेतवा नदी पर गया था। वहां शाम करीब पौने छह बजे उसकी डूब कर मौत गई। स्वजन ने पुलिस के साथ शव की तलाश कराई लेकिन पता नहीं चला।

    पिता ने अपने परिवार के ही आठ लोगों पर जमीन के लालच में अपने पुत्र को डुबो कर हत्या करने का आरोप लगा शिकायत की थी। वहीं पुलिस ने इसे हादसा मान कर फाइल बंद कर दी। पिता ने तत्कालीन एसपी से शिकायत की लेकिन शव न मिलने के कारण  मुकदमा नहीं लिखा जा सका। युवक के पिता ने 14 अक्टूबर 1998 को स्थानीय कोर्ट में अपील दायर की।

    कोर्ट ने 14 अक्टूबर 1998 को एफआइआर के कोटरा थाने को आदेश जारी कर दिए थे, उसके बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। इस बीच उमाशंकर लगातार न्याय की आस में पुलिस व अधिकारियों के चक्कर काटते रहे। उन्हें न्याय पाने के लिए अपनी जमापूंजी के साथ सात बीघा जमीन भी बेंचनी पड़ी। 

    लगातार लड़ाई लड़ते हुए आखिर बीमारी से उमाशंकर बाजपेयी की 27 अप्रैल 2021 को मौत हो गई। उसके बाद मामला ठंडा पड़ा रहा। इधर आरोपितों की ओर से लगातार पीड़ित परिवार को धमकी दी जाती रहीं। परेशान होकर युवक प्रदीप के भतीजे सोनू की ओर से पैरवी की गई। 24 जून 2025 को हाईकोर्ट ने जनपद के स्थानीय कोर्ट को आदेश जारी किया कि गायब पत्राविलियों का पता कराएं और आरोपितों पर मुकदमा दर्ज कराएं।

    कोर्ट के आदेश पर एसपी ने नई पत्रावलियां तैयार कराईं। उसके बाद 17 सितंबर को कोटरा थाने में पुरानी तहरीर के आधार पर आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वादी सोनू के पिता देवेंद्र बाजपेयी ने बताया कि आरोपितों की गिरफ्तारी जल्द होनी चाहिए। 

    कोटरा थानाध्यक्ष विमलेश कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपित श्रीराम, राकेश, प्रेमनारायण, प्रकाश नारायण, कुलदीप नारायण, अनिल कुमार, अनूप कुमार, श्याम नारायण के खिलाफ युवक की हत्या व साक्ष्य छिपाने की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें आरोपित प्रकाश नारायण की पूर्व में मौत हो चुकी है, विवेचना में इसका नाम हटा दिया जाएगा। 

    युवक की मूर्ति विसर्जन के दौरान 1995 में मौत हुई थी, काफी तलाश के बाद उस दौरान उसका शव नहीं मिला था, इधर बीच में मामला कोर्ट में चलता रहा, अब कोर्ट के आदेश पर आरोपितों के खिलाफ हत्या व साक्ष्य छिपाने के मामले में मुकदमा दर्ज कर विवेचना कराई जा रही है।

    डा. दुर्गेश कुमार, एसपी जालौन।

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