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    पाना था मुकाम, लिया 'राधारानी' का नाम, दृढ़ संकल्प से 'लखपति' बन गईं हरदोई की ममता जौहरी

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 04:00 PM (IST)

    हरदोई की ममता जौहरी आर्थिक स्थिति को डगमगाते देख वह विचलित नहीं हुईं बल्कि परिवार को मजबूत बनाने के लिए एक संकल्प लिया और राधारानी का नाम लेकर लक्ष्य को साधना शुरू कर दिया। सात सालों के अथक प्रयासों के बाद न सिर्फ वह लखपति दीदी के नाम से मशहूर हुईं बल्कि जनपद की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।

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    ममता जौहरी लखपति दीदी के नाम से मशहूर हुईं।

    जागरण संवाददाता, हरदोई। कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों....कवि दुष्यंत कुमार की यह पंक्तियां सुरसा की ममता जौहरी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। आर्थिक स्थिति को डगमगाते देख वह विचलित नहीं हुईं, बल्कि परिवार को मजबूत बनाने के लिए एक संकल्प लिया और राधारानी का नाम लेकर लक्ष्य को साधना शुरू कर दिया। सात सालों के अथक प्रयासों के बाद न सिर्फ वह लखपति दीदी के नाम से मशहूर हुईं, बल्कि जनपद की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।

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    सुरसा की रहने वाली ममता जौहरी के पति शैलेंद्र कुमार एक स्पोर्ट्स कंपनी में सिलाई का काम करते हैं। घर के खर्च जब बढ़ने लगे तो बजट बिगड़ने लगा, लेकिन इन परिस्थितियों में वह विचलित नहीं हुईं। कुछ करने की ठानी। जब कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने टिफिन बनाने का संकल्प लिया। पहले कुछ लोगों ने मना किया तो कुछ ने उनकी हिम्मत को भी बढ़ाया। पति का सहयोग मिलने के बाद टिफिन बनाने का काम शुरू किया।

    धीरे-धीरे जब इनके टिफिन की मांग बढ़ी तो इन्होंने राधारानी नाम से समूह का गठन किया और मात्र 40 हजार रुपये का लोन लिया। एक-एक करके 20 महिलाओं को जोड़ा। वर्ष 2018 में शुरू किया काम अब तरक्की पर है। यह समूह सालाना एक लाख रुपये से ऊपर की बचत करने लगा है। इसके बाद अध्यक्ष ममता जौहरी को लखपति दीदी का नाम दिया गया।

    बीते 15 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में वह विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित की जा चुकी हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि विपरीत परिस्थितियां आपको तोड़ती नहीं हैं बल्कि आगे बढ़ने का मौका देती हैं। इस मौके का फायदा दृढ़ संकल्प व कड़ी मेहनत से उठाया जा सकता है, जो उन्होंने किया।

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