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अन्तरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के तीन शातिर सदस्य गिरफ्तार, दो फरार

जागरण संवाददाता हापुड़ कोतवाली गढ़मुक्तेश्वर पुलिस ने शुक्रवार रात अंतरराज्यीय वाहन चोर

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 08:32 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 08:32 PM (IST)
अन्तरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के तीन शातिर सदस्य गिरफ्तार, दो फरार

जागरण संवाददाता, हापुड़

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कोतवाली गढ़मुक्तेश्वर पुलिस ने शुक्रवार रात अंतरराज्यीय वाहन चोरी करने वाले गिरोह के तीन शातिर सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों की निशानदेही पर से चोरी की 13 बाइक बरामद हुईं हैं। आरोपित प्रदेश के विभिन्न जनपदों से बाइक चोरी करते थे। इन वाहनों को आरोपित बिना दस्तावेजों के ही लोगों को बिक्री कर बेच देते थे।

अपर पुलिस अधीक्षक सर्वेश कुमार मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार देर रात कोतवाली गढ़मुक्तेश्वर प्रभारी मुकेश कुमार पुलिस बल के साथ क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। इस दौरान मुखबिर ने सूचना दी कि दो बाइकों पर सवार तीन लोग चोरी की बाइक पर सवार होकर गांव बदरखा की ओर आ रहे हैं। सूचना पर पुलिस ने गांव बदरखा स्थित फ्लाईओवर के पास बैरीकेडिग कर चेकिग शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस को दो बाइकों पर सवार तीन संदिग्ध युवक आते दिखाई दिए।रूकने का इशारा करने पर आरोपितों ने फरार होने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने घेराबंदी करते हुए आरोपितों को दबोच लिया।

पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह वाहन चोर गिरोह का सदस्य है। आरोपितों से बरामद हुई दोनों बाइक भी चोरी की गई थी। आरोपितों की निशानदेही पर गांव बदरखा फ्लाईओवर के पास स्थित मोबाइल टावर के पास झुग्गी झोपड़ियों में छिपाकर रखी गई चोरी की 11 अन्य बाइक भी बरामद हुर्इं हैं। आरोपित थाना सिभावली क्षेत्र के गांव देवली निवासी मनोज, थाना गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के गांव शाहपुर चौधरी निवासी आदेश व सुनील हैं।जबकि गिरोह में शामिल जनपद मेरठ के थाना खरखौदा क्षेत्र के गांव कैली निवासी दामोदर व सुनील फरार चल रहे हैं। पुलिस आरोपितों की तलाश में दबिश दे रही है।जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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पांच से दस हजार में बेच देते थे चोरी की बाइक

- गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों ने बताया कि उनके पास से मिली बाइकों को उन्होंने अन्य सदस्यों के साथ मिलकर दिल्ली एनसीआर समेत जनपद गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, मुज्जफरनगर आदि स्थानों से चोरी की हैं। उन्होंने बरामद बाइकों को बेचने के इरादे से झुग्गी झोपड़ियों में छिपा कर रखा था। पांच से दस हजार में वह लोगों को बिना दस्तावेजों के ही बाइक बेच देते थे। बाइक बेचकर मिली रकम को आपस में बांट लिया जाता था।


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