हापुड़ के किसानों के लिए गुड न्यूज, गन्ना भुगतान के लिए चीनी मिलों ने बनाया मास्टर प्लान
हापुड़ की सिंभावली और बैजनाथपुर चीनी मिलें गन्ना किसानों को भुगतान करने की तैयारी में हैं। मिल प्रबंधन और आइआरपी अधिकारी कार्ययोजना प्रस्तुत करेंगे ताकि किसानों का भ्रम दूर हो। पिछले साल का भुगतान बाकी है और नया सत्र शुरू होने वाला है जिससे किसानों की स्थिति दयनीय है। किसान दूसरे जिलों में गन्ना देने की अपील कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ जिले में सिंभावली और बैजनाथपुर शुगर मिल ने नियमानुसार गन्ना भुगतान करने और आगामी सत्र में मानकों के अनुसार संचालन की तैयारी कर ली हैं। इसके लिए मिल प्रबंधन और आइआरपी (दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) के अधिकारी अपनी कार्ययोजना सोमवार को प्रस्तुत करेंगे।
वहीं, इससे किसानों में बढ़ रही भ्रम की स्थिति को दूर किया जा सकेगा। दरअसल, किसानों में मिल से भुगतान को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
हापुड़ प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में शामिल है। यहां पर अधिकतम किसान गन्ने का उत्पादन करते हैं। गन्ने की प्रमुख खरीदारी सिंभावली और उसकी सहायक ब्रजनाथपुर शुगर मिल करती हैं। पिछले दिनों बैंकों की कर्ज अदायगी नहीं कर पाने के कारण मामला न्यायालय में चला गया था। उसके बाद से मिल का संचालन आइआरपी द्वारा गठित कमेटी के द्वारा किया जा रहा है।
पिछले साल का किसानों का गन्ना भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। वही अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में मिल में नया सत्र आरंभ होने वाला है। ऐसे में नए खरीद सत्र का भुगतान और चढ़ता जाएगा। गन्ना भुगतान नहीं मिलने से किसानों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। इसको लेकर कई किसान संगठन हाईकोर्ट गए हुए हैं।
किसानों की मुलाकात मिल के अधिकारियों से होती है, जिनके हाथ इस समय बधे हुए हैं। पूरा मामला आइआरपी के अधिकारियों के हाथों में है। वहीं किसानों की आइआरपी के अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाती है। ऐसे में किसानों में भ्रम की स्थिति है कि उनके गन्ने का भुगतान कौन करेगा? ऐसे में किसानों ने अपना गन्ना दूसरे जिलों के शुगर मिल को देने की अपील करनी आरंभ कर दी है।
इस प्रकार की अपील जिला गन्ना अधिकारी और जिलाधिकारी के कार्यालयों में की जा रही हैं। किसान सम्मेलन में भी इस तरह की मांग उठ रही हैं। किसानों का मानना है कि मिल के अधिकारियों और आइआरपी के अधिकारियों में सामजस्य नहीं है। दोनों की खींचतान में किसानों का भुगतान अधर में लटका हुआ है। यदि इस हाल में मिल का संचालन होता है तो नए सत्र का भुगतान और बढ़ जाने से देनदारी ज्यादा होती जाएगी। ऐसे में मिल नीलाम होने की स्थिति में किसानों की परेशानी बढ़ सकती हैं।
यह भी पढ़ें- विधायक जी! अपने गांव की ही सड़क नहीं बनवा पा रहे... सोचिए आम लोगों का क्या हाल होगा?
अब मिल के अधिकारी और आइआरपी के अधिकारी सयुक्त रूप से किसानों के सामने गन्ना भुगतान और नए सत्र के संचालन पर अपनी रणनीति स्पष्ट करेंगे। मिल के पदाधिकारी दिनेश शर्मा का कहना है कि चीनी बिक्री का 85 प्रतिशत का भुगतान किसानों को मानकों के अनुरूप दिया जा रहा है। कुछ संगठन मिल और संचालन समिति को बदनाम करने के लिए नए-नए शिगुफा छोड़ रहे हैं।
इसके लिए आइआरपी के अधिकारियों के साथ ही सीईओ एसएच मिश्रा, जीएम अतुल शर्मा, एडवाइजर सतीश शर्मा, जीएम करन सिंह और दिनेश शर्मा किसानों के बकाया भुगतान और नए सत्र के संचालन पर पूरी प्रक्रिया को सोमवार को स्पष्ट करेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।