'मृत नवजात को जिंदा बताकर अस्पताल ने वसूली रकम', हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने संभाला मामला
हापुड़ के एक निजी अस्पताल में परिजनों ने नवजात शिशु की मृत्यु के बाद भी उसे जीवित बताकर बिल वसूलने का आरोप लगाया जिससे हंगामा हुआ। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद बच्चे को मेरठ के अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है जबकि अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को निराधार बताया है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में थाना देहात क्षेत्र के गढ़ रोड स्थित निजी अस्पताल में मंगलवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। जिसमें परिजनों ने नवजात शिशु के मृत होने के बावजूद उसे जिंदा दर्शा अस्पताल प्रबंधन द्वारा बिल वसूलने का गंभीर आरोप लगा हंगामा शुरू कर दिया।
इसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जिसके बाद नवजात को मेरठ के एक अस्पताल में ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया है। फिलहाल परिजनों ने मामले में कार्रवाई से इनकार कर दिया है।
थाना धौलाना क्षेत्र के गांव सौलाना के लोकेश ने बताया कि 18 सितंबर को प्रसव पीड़िता के चलते उसने पत्नी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पत्नी के पुत्र को जन्म दिया। सोमवार तड़के करीब तीन बजे नवजात की हालत बिगड़ने पर उसे थाना देहात क्षेत्र के गढ़ रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। नवजात की हालत गंभीर होने के कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया।
आरोप है कि नवजात की मौत के बाद भी डेढ़ लाख रुपये का बिल बनाने के लिए उसे मशीनों पर जिंदा दिखाने की कोशिश की। चिकित्सकों ने उसे व उसके स्वजन को नवजात से मिलने नहीं दिया। जिससे सभी की शंकाएं और बढ़ गईं।
इस पर गुस्साए स्वजन ने हंगामा करते हुए नवजात से मिलने की जिद की। हंगामे की सूचना मिलते ही थाना देहात प्रभारी विजय गुप्ता पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने पीड़ित के साथ नवजात की स्थिति देखी और पाया कि वह मूवमेंट कर रहा था और उसकी धड़कनें भी चल रही थीं। इस पर स्वजन ने दावा किया कि नवजात को केवल मशीनों के सहारे जिंदा करने का दिखावा किया जा रहा था।
उन्होंने मांग की कि अगर, नवजात वाकई जीवित है, तो वह उसका इलाज किसी अन्य चिकित्सक से करवाएंगे। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने नवजात के डिस्चार्ज पेपर तैयार किए। 36 घंटे के इलाज के लिए 16,800 रुपये का बिल बनाया। इसमें से पीड़ित द्वारा पहले जमा किए गए दस हजार रुपये ले लिए गए और शेष 6,800 रुपये अस्पताल ने माफ कर दिए। नवजात को एंबुलेंस में लेकर स्वजन मेरठ के अस्पताल में पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे की काफी समय पहले ही मौत हो चुकी है। जिसके बाद पीड़ित नवजात के शव को लेकर घर वापस लौट आया।
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नवजात की हालत भर्ती के समय से ही बेहद नाजुक थी, और उसका इलाज पूरी गंभीरता से किया गया। प्रबंधन ने डेढ़ लाख रुपये के बिल के दावे को पूरी तरह झूठा बताया और कहा कि कुल बिल 16,800 रुपये था, जिसमें से 6,800 रुपये माफ कर दिए गए। बच्चे को भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक उचित चिकित्सा दी गई।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया था। फिलहाल कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। - विजय गुप्ता, प्रभारी, थाना हापुड़ देहात
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