हापुड़ में लापरवाही की इंतहा... जर्जर हुई हाईवे की सड़क, सामने आई ये बड़ी वजह
हापुड़ में नए बने हाईवे पर जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण जलभराव की समस्या बनी हुई है। इंजीनियरिंग की लापरवाही के कारण सड़कें जर्जर हो रही हैं। पानी भरने से तारकोल वाली सड़कें कमजोर हो रही हैं और किनारों की सड़क धंसने लगी है। एनएचएआई द्वारा कराई जा रही मरम्मत भी घटिया स्तर की है जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में नए बने हाईवे पर भी एक्सपर्ट जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं कर पाए। लापरवाही की इंतहा यह है कि जल निकासी को हाईवे की सड़कों का लेवल भी ठीक नहीं किया गया। इससे हाईवे पर वर्षा के बाद कई दिन तक जलभराव की स्थिति बनी रही।
दिल्ली-लखनऊ हाईवे का बाईपास भले ही दो साल पहले बना हो, लेकिन इसका सफर सुहाना नहीं रह गया है। इंजीनियरिंग की गड़बड़ी से हाईवे जर्जर होने लगा है। यहां पर न तो अंडरपास की जल निकासी है और न ही बाईपास की। हल्की वर्षा में ही हाईवे पर जगह-जगह पानी भर जाता है, जोकि कई दिन तक भरा रहता है। तारकोल वाले हाईवे पर पानी भरा रहने से वह जर्जर होने लगा है। जिन क्षेत्रों में पानी भर रहा है, वहां पर हाईवे के किनारों की सड़क धंसने लगी है।
सड़क दूर तक फट रही है और उसमें गड्ढे हो रहे हैं। वहीं, टूटने-धंसने वाले स्थानों पर एनएचएआई द्वारा जो मरम्मत कराई जा रही है, वह भी बेहद घटिया स्तर की है। तारकोल मिलाकर पत्थर को यों ही ढेर लगाकर छोड़ दिया गया है। उसको समतल करने का भी प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में तेज रफ्तार वाहन का पहिया साइड में आया तो वह पलट सकता है। वहीं भारी वाहन- बड़े यात्री वाहन साइड़ में आए तो सड़क के नीचे बैठने से वह पलट सकते हैं। ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है।
दैनिक जागरण ने रविवार को दोबारा से हाईवे का निरीक्षण किया। एक बार वर्षा होते समय भी जल निकासी नहीं होने पर जिम्मेदारों को जागरूक करने के साथ पड़ताल की गई थी। उसके बावजूद जिम्मेदारों ने संज्ञान नहीं लिया। इससे कराेड़ों की लागत से बना हाईवे जर्जर होने लगा है।
जल निकासी को नहीं है समतल
दो साल पहले ही बनें बाईपास पर सबसे ज्यादा कमी लेवलिंग की है। यह हाईवे तारकोल से बना हैं। तारकोल का निर्माण पानी के प्रति संवेदनशील होता है। जो हाईवे सीमेंटेड हैं, उनको जलभराव से खतरा नहीं होता है। इस तारकोल वाले हाईवे पर पांच अंडरपास बनें हैं, इनमें से किसी में भी जल निकासी की व्यवस्था नहीं है।
वहीं, हाईवे के ऊपर भी दोनों किनारों पर पानी भरा रहता है। रविवार को हल्की वर्षा होने के बाद सोमवार को भी हाईवे के किनारों पर पानी भरा हुआ था। इससे तारकोल कमजोर हो जाता है और सड़क टूटने, धसने व चटकने लगती हैं।
किनारों पर टूटना-धसना आरंभ
हाईवे पर सड़क दोनों किनारों से धसने लगी है। वह दूर तक चटक भी रही है। जिससे वाहनों को खतरा हो सकता है। सड़क कहीं पर एकाएक धस सकती है। जिससे तेज रफ्तार वाले व भारी वाहनों को एकाएक परेशानी हाे सकती है। ऐसे में हाईवे पर वाहनों को बीच में चलाने में ही समझदारी है। किनारों की ओर हाईवे कमजोर नजर आ रहा है। ऐसे में बड़ा हादसा भी हो सकता है। वर्षा होने की स्थिति में तो वाहन किनारों की ओर बिल्कुल ना चलाएं।
मरम्मत वाले स्थान भी हैं खतरनाक
हाईवे पर सड़कों के टूटने-धसने वाले स्थानों की मरम्मत एनएसएआइ द्वारा कराई गई है। वहां पर नियमानुसार लेवलिंग करने की जरूरत ही नहीं समझी गई। तारकोल में पत्थर मिलाकर यों ही ढ़ेर लगा दिए गए हैं। यदि कोई भारी वाहन या तेज गति से आ रहा वाहन एकाएक ऐसे स्थानों पर आता है तो बड़ा हादसा हो सकता है। वाहन किनारों पर पत्थर वाले ढ़ेर पर चढ़ता तो भी हादसे का डर है और उसको एकाएक दूसरी लेन की ओर काटा जाता है तो भी हादसों का डर रहता है।
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वर्षा हाेने के चलते हाईवे पर मरम्मत का कार्य नहीं हो सका था। अब वर्षा हटने के बाद में हाईवे का लेवल चेक कराया जाएगा। जहां पर भी जरूरत होगी लेवल ठीक कराया जाएगा। वहीं हाईवे पर जल निकासी की व्यवस्था को मजबूत कराया जाएगा। जिन स्थानों पर मरम्मत होगी, उसको भी मानक के अनुरूप कराया जाएगा। हम इसको गंभीरता से ले रहे हैं। - अरविंद कुमार- पीडी-एनएचएआई- गाजियाबाद संभाग
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