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    यूपी में नहीं रूक रहे पराली जलाने के मामले, इस जिले में 11 किसानों पर कार्रवाई

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:40 PM (IST)

    हमीरपुर जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर कृषि विभाग सख्त है। अब तक 12 मामलों में 19 किसानों पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उप कृषि निदेशक ने किसानों से पराली न जलाने और कृषि विभाग द्वारा बताये गए नियमों का पालन करने की अपील की है। पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है।

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    कुरारा क्षेत्र के खरौंज गांव के खेतों में जलाई गई पयार को देखते कृषि विभाग के कर्मी। जागरण

    जागरण संवाददाता, हमीरपुर। लगातार हो रही पराली जलाने की घटनाओं को लेकर कृषि विभाग सतर्क है। अब तक जिले में पराली जलाने की कुल 12 घटनाएं प्रकाश में आई हैं। जिसमें कुल 19 किसानों पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उप कृषि निदेशक डा.प्रमोद कुमार ने बताया कि इस वर्ष अभी तक पराली जलाने की कुल 12 घटनाएं हो चुकी हैं। सदर तहसील में 07, मौदहा में 01 व सरीला में 04 शामिल हैं।

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    बीते दिनों नौ घटनाएं सामने आई थीं, जिस पर जांच में पराली जलाने की पुष्टि होने पर आठ किसानों पर 65 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। वहीं पराली जलाने वाले 11 किसान और चिन्हित किए गए थे, जो जांच में दोषी पाए गए हैं। जिसमें सदर के सुमेरपुर विकासखंड के पचखुरा बुजुर्ग के मूलचंद व रमेश पुत्रगण हुन्नर पर 10 हजार, पचखुरा के ही कुबेर पुत्र सुखदेव पर 30 हजारा, कुरारा के खरौंज गांव के चुनूबद्दी पुत्र गजराज पर पांच हजार, मुस्करा के उमरी गांव के भवानीदीन पुत्र मूलचंद, मूलचंद पुत्र दुर्जन, घसिटिया पत्नी दुर्जन पर पांच हजार तथा तहसील सरीला में अशोक कुमार पुत्र नाथूराम, उदयभान व राजकुमार पुत्र रामसनेही और कुसमा पत्नी रामसनेही पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

     

    सुपर सीडर से करें बुआई, पयार मिट्टी में मिलकर बनेगी खाद

    पयार जलाने से रोकने के लिए कृषि विभाग तरह तरह के प्रयास कर रहा है। कुरारा क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सुपर सीडर से सीधी बुआई करने के लाभ बताए हैं। उप कृषि निदेशक डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि किसान अक्सर खेतों में खड़ी पयार या अन्य खरपतवार को जला देते हैं, जिससे उपजाऊ जमीन को बहुत नुकसान होता है। पयार जलाने से खेतों में होने वाले मित्र कीटों की भी मौत हो जाती है जिससे फसल उत्पादन में कमी होती है। किसानों को समझाते हुए उन्होंने बताया कि किसान पयार या फसल अवशेष जलाने की बजाय आधुनिक प्रणाली सुपर सीडर का प्रयोग करें। जिससे कैसी भी खरपतवार हो एक ही बार में कुतरकर खेतों में मिल जाती है जो सड़ने के बाद जैविक खाद बन जाती है।सुपर सीडर से सीधी बुआई करने से बार बार खेत में की जुताई का झंझट भी खत्म हो जाता है क्योंकि इसके तहत एक ही बार में खेत की जुताई के साथ बुआई हो जाती है।

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