Gorakhpur News: होली के विवाद में थाने बुलाने से सहमी महिला, रात में फंदे से लटक कर दे दी जान
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां होली के रंग में हुए विवाद के बाद पुलिस ने जब एक महिला को थाने बुलाया तो वह डर गई। डर से उसने रात में आत्महत्या कर ली। महिला के चार बच्चे हैं और उसका पति भी बोलने-सुनने में असमर्थ है। परिवार इस घटना से सदमे में है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। होली के रंग में हुए विवाद ने एक महिला की जिंदगी के सारे रंग छीन ले लिए। पट्टीदारों से हुए झगड़े के बाद जब पुलिस ने उसे थाने बुलाया, तो डर और अपमान की से सहमी 35 वर्षीय जानकी ने शनिवार की रात को अपने कमरे में फंदा लगाकर जान दे दी। जब तक परिवार के लोग कुछ समझ पाते, तब तक चार बच्चों की मां दुनिया छोड़ चुकी थी। तिवारीपुर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।
घटना तिवारीपुर थाना क्षेत्र के डोमिनगढ़ की है। जानकी देवी व उसके पति मनोज बोलने और सुनने में असमर्थ थे, लेकिन परिवार की खुशियों में कोई कमी नहीं थी। तीन बेटियां और एक बेटा उनकी दुनिया थी। लेकिन, होली के दिन खेल-खेल में हुए विवाद ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया।
होली के दिन जानकी का दस वर्ष का बेटा रंग खेल रहा था। गलती से उसने पट्टीदारी की महिला पर रंग फेंक दिया। इसको लेकर विवाद हो गया। मामला बढ़ने पर पट्टीदारों ने डायल 112 पर फोन किया। पुलिसकर्मियों ने दोनों पक्ष को थाने पर बुलाया।
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महिला के सुसाइड से जिले में हड़कंप मच गया। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)
शनिवार को फिर से विवाद हो गया, जिसके बाद पट्टीदारों ने फिर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने रविवार की सुबह दोनों पक्षों को थाने बुलाया। आरोप है कि इसके बाद डर की वजह से जानकी सहम गईं, पट्टीदार भी मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दे रहे थे।
परिवारवालों ने जानकी को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका डर बढ़ता जा रहा था। शनिवार की रात जब परिवार के लोग सो गए, तो कमरे में कुंडी में बंधे दुपट्टा से लटक गई। सुबह ससुर रामहित ने दरवाजा खटखटाया। अंदर से कोई जवाब नहीं मिला, तो घबराए घरवालों ने दरवाजा तोड़ा। सामने का मंजर देख हर कोई सन्न रह गया।
जानकी छत की कुंडी से दुपट्टे के फंदे से झूल रही थी। परिवार वालों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग जुट गए। पुलिस को सूचना दी गई। फोरेंसिक टीम के साथ पहुंची तिवारीपुर थाना पुलिस ने शव को नीचे उतारा और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
पट्टीदारों की धमकी से डरी थी बहू
जानकी के ससुर रामहित का कहना है कि पुलिस द्वारा थाने बुलाए जाने के बाद से ही उनकी बहू डरी हुई थी। ऊपर से पट्टीदार लगातार धमकियां दे रहे थे, जिससे उसका भय और बढ़ गया। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और उनकी बहू को न्याय मिले।
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चार बच्चों का क्या कसूर?
इस हादसे के बाद सबसे बड़ी चिंता जानकी के मासूम बच्चों को लेकर है। बड़ी बेटी सिर्फ 15 वर्ष,12 व सात वर्ष की तीन बेटियां व 10 वर्ष का एक बेटा है। घटना के बाद बच्चों के साथ ही पति मनोज का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकी के आत्महत्या करने से न केवल उसका परिवार, बल्कि पूरा मोहल्ला सदमे में है। होली का रंग उड़ चुका है और अब सिर्फ मातम बचा है।
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