Waqf Amendment Bill: गोरखपुर में 967 वक्फ संपत्ति, आधे से अधिक पर अवैध कब्जेदार; शासन को भेजी जा चुकी है रिपोर्ट
गोरखपुर में वक्फ संपत्तियों पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में कुल 967 वक्फ संपत्तियां हैं जिनमें से आधे से अधिक पर अवैध कब्जा है। कई सरकारी भूमि पर भी वक्फ की आड़ में कब्जा किया गया है। तहसीलों की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में 346 ग्राम सभा की संपत्ति वक्फ के नाम पर कब्जे में है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिले में कुल 967 वक्फ संपत्ति हैं। इनमें आधे से अधिक पर अवैध कब्जेदार काबिज हैं तो कई सरकारी भूमि पर भी वक्फ की आड़ में कब्जा है। तहसीलों की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में ऐसी 346 ग्राम सभा की संपत्ति वक्फ के नाम पर कब्जे में है। इनमें सर्वाधिक 115 सदर तहसील की है तो 63 सहजनवां, 37 चौरीचौरा, 34 बांसगांव, 33 खजनी, 31 कैंपियरगंज और 33 संपत्ति गोला तहसील की है। ज्यादातर राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान के रूप में दर्ज हैं।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मुताबिक वर्ष 1986 में हुए गजट प्रकाशन में वक्फ संपत्तियों की संख्या जिले में 1466 थी, लेकिन तब मंडल के अन्य जिलों की भी कुछ वक्फ संपत्तियां इसमें शामिल कर ली गईं थी, क्योंकि गोरखपुर का दायरा उस समय मंडल के दूसरे जिलों तक था। वक्फ संशोधन बिल को लेकर शासन स्तर पर शुरू हुई कवायद के क्रम में सर्वे कर जो रिपोर्ट शासन को भेजी गई, उसमें गोरखपुर में वक्फ संपत्ति की संख्या 967 ही दर्ज की गई है।
इनमें तीन शिया वक्फ जबकि बाकी 964 सुन्नी वक्फ की। जिले में सर्वाधिक 503 संपत्ति सदर तहसील में तो सबसे कम 54 वक्फ संपत्ति कैंपियरगंज में है। जिला प्रशासन के मुताबिक वक्फ संपत्ति से संबंधित रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। वहां से जैसा दिशा निर्देश जारी होगा, उसी अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
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उधर, लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पास होने के साथ ही मुस्लिम समाज में बेचैनी बढ़ गई है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग समेत तहसीलों में भी वक्फ की संपत्ति को लेकर गहमागहमी का माहौल रहा। लोग वक्फ संपत्ति से संबंधित मामलों में पैरवी, शिकायत की स्थित आदि पर चर्चा करते सुने गए।
जमीन। जागरण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तहसील | वक्फ संपत्ति |
सदर | 503 |
चौरीचौरा | 66 |
सहजनवां | 108 |
कैंपियरगंज | 54 |
गोला | 65 |
बांसगांव | 112 |
खजनी | 56 |
वक्फ संपत्तियों पर कई जगह विवाद, खड़ी हो गई हैं इमारतें
वक्फ की सर्वाधिक कीमती संपत्तियां सदर तहसील में हैं। इनमें भी शहरी क्षेत्र में ज्यादा संपत्तियां है। 60 प्रतिशत से अधिक संपत्ति पर विवाद है। तथ्य छिपाकर कई स्थानों पर वक्फ के लिए दान की गई संपत्तियों का भी बैनामा कर दिया गया। कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी इमारतें भी खड़ी हो गई हैं। तमाम ऐसे मकान हैं जहां लोगों की दो से तीन पीढ़ियां रहते आ रही हैं।
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कब्रिस्तान तेलगढ़िया तुर्कमानपुर-बेतियाहाता राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज है, लेकिन कई लोगों ने मकान बनवा लिया है। वहां कुछ भूखंड पर भी अतिक्रमण है। इसी तरह शहर के मोहद्दीपुर, बक्शीपुर, मुफ्तीपुर, मियां बाजार, कुसम्ही, बहरामपुर, रामनगर करजहां, ताज पिपरा, मुडेरी गढवा, पिपराइच, जंगल अहमद अली शाह उर्फ तुरा और दीवान बाजार आदि में वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जा है।
अवध के नवाब आसिफद्दौला ने मियां बाजार में दान की थी संपत्ति
अवध के नवाब आसिफुद्दौला ने 18वीं शताब्दी में किए वक्फनामे में ‘मुकम्मल मियां बाजार’ लिखकर संपत्ति दान की थी। यानी संपूर्ण मियां बाजार वक्फ में था, लेकिन कालांतर में यहां की जमीन बिकती गई और दूसरे लोगों के नाम दर्ज होते गए। इस मोहल्ले में वक्फ के नाम पर अब इमामबाड़ा व कुछ अन्य संपत्तियां बची हैं। दूसरी जगहों पर विधिक रूप से अन्य लोग निवास कर रहे हैं।
डोमिनगढ़ में भी 39 एकड़ भूमि वक्फ की, बन गए हैं मकान
अभिलेखों के मुताबिक डोमिनगढ़ में भी 39 एकड़ भूमि वक्फ के नाम दर्ज है। लेकिन, मौके पर कई मकान बन चुके हैं। राजस्व अभिलेखों में सभी के नाम भी दर्ज है। वक्फ संख्या 129 दरगाह हज़रत सैयद सालार मसूद गाजी बाले मियां बहरामपुर का वक्फ क्षेत्रफल करीब 45 बीघा है। वहां भी कई लोगों का अतिक्रमण है। ट्रिब्यूनल ने फैसले में इसे वक्फ संपत्ति नहीं बताया है। मामला अभी बोर्ड को संदर्भित है।
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