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    UP News: यूपी में 'जहरीली' चाय की पत्ती मिलने से हड़कंप, 23 लाख का माल किया गया सीज

    जागरूक रहें! गोरखपुर में मिलावटी चाय की पत्ती का भंडाफोड़ हुआ है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने 180 क्विंटल मिलावटी चाय पत्ती और 700 किलोग्राम चाय रंगने का केमिकल जब्त किया है। इस मिलावटी चाय की कीमत 23 लाख 40 हजार रुपये है।खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग अब खुली चाय पत्ती बेचने वालों की जांच शुरू करेगा।

    By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 25 Jan 2025 05:09 PM (IST)
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    चाय की पत्ती में मिलाया जाने वाला केमिकल देखते सहायक आयुक्त खाद्य डॉ. सुधीर कुमार सिंह। सौजन्य खाद्य सुरक्षा विभाग

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चाय की चुस्की भी जहरीली हो गई है। महानगर में चाय की पत्ती में केमिकल मिलाकर बेचने की पुष्टि हुई है। सिलीगुड़ी से चाय की पत्ती के साथ केमिकल मंगाकर कारोबारी मिलावटी चाय की पत्ती बेच रहे थे। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने 180 क्विंटल चाय की पत्ती और सात सौ किलोग्राम चाय रंगने का केमिकल जब्त किया है।

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    इसक कीमत 23 लाख 40 हजार रुपये है। नौसढ़ में बने गोदाम को सील कर दिया गया है। नौ नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। कुछ चाय की पत्ती देवरिया के गौरी बाजार में लक्ष्मी इंटरप्राइजेज पर भेजने की पुष्टि के बाद वहां की टीम को सूचना दी गई। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग अब खुली चाय पत्ती बेचने वालों की जांच शुरू करेगा।

    खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त डा. सुधीर कुमार सिंह को मिलावटी चाय की पत्ती बेचने की सूचना मिली थी। कई दिनों से टीम चाय की पत्ती बेचने वालों का नेटवर्क खंगाल रही थी। जानकारी मिली की नौसढ़ में सिलीगुड़ी की ट्रांसपार्ट कंपनी डीएचटीसी के गोदाम में मिलावटी चाय की पत्ती की बड़ी खेप पहुंची थी।

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    शुक्रवार को टीम ने छापा मारा तो हैरान रह गई। चाय की पत्ती के साथ जूट के बोरे में छोटे दाने की चाय की पत्ती की तरह का कुछ सामान दिखा। टीम ने इसे ठंडे पानी में डाला तो रंग लाल हो गया। इसके बाद गहनता से जांच की गई। पता चला कि छोटे दाने वाला केमिकल चाय की पत्ती में मिलाया जाता था। इससे चाय का रंग बहुत अच्छा हो जाता था।

    चाय की हरी पत्ती 250 रुपये किलो, चाय की पत्ती 100 रुपये

    चाय की हरी पत्ती की कीमत 240-250 रुपये है। मिलावट के बाद यही चाय सौ से दो सौ रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेची जाती थी। पड़ताल में पता चला कि मिलावटखोर सस्ती चाय की पत्ती में केमिकल मिलाकर कम दर पर बेचते थे।

    चमड़े को पालिश करने में इस्तेमाल

    चाय की पत्ती में जो केमिकल मिलाया जाता है उसके बोरे में इसके चमड़े को पालिश करने में इस्तेमाल की बात लिखी है। बोरे पर इसके अखाद्य होने की भी सूचना दर्ज है। इसका इस्तेमाल चमड़े को पालिश करने में किया जाता है।

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    ऐसे पहचानें मिलावटी चाय की पत्ती

    शीशे की गिलास लें। इसमें आधा गिलास ठंडा पानी रखें। इस पानी में एक चम्मच चाय की पत्ती डालें। यदि पानी का रंग लाल हो जाता है तो चाय की पत्ती में मिलावट है। शुद्ध चाय की पत्ती ठंडे पानी में रंग नहीं छोड़ती। यह सिर्फ गर्म पानी में ही अपना रंग छोड़ती है।

    चाय की पत्ती में केमिकल मिलाकर बेचा जाता था। इसे गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर के साथ ही अन्य जिलों से होते हुए कानपुर तक पहुंचाया जाता था। सिलीगुड़ी से चाय की पत्ती व केमिकल मंगाई जा रही थी। देवरिया की टीम को सूचना दे दी गई थी। अब खुली चाय की पत्ती बेचने वालों की जांच की जाएगी। जांच के दौरान वाहन भी रहेगा ताकि तत्काल रिपोर्ट आ जाए।-डा. सुधीर कुमार सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन