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    Toll Tax Scam: गोरखपुर के इस टोल प्लाजा संचालक पर लगा 10 लाख का जुर्माना, ब्लैक लिस्ट होगी फर्म

    Updated: Thu, 20 Feb 2025 12:15 PM (IST)

    एनएचएआइ ने गोरखपुर के नयनसर टोल प्लाजा पर बड़ी कार्रवाई की है। टोल टैक्स में घोटाले के आरोप में प्लाजा संचालक फर्म पर 10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही फर्म को ब्लैक लिस्ट करने की संस्तुति की गई है। जांच में पाया गया कि टोल प्लाजा पर बिना फास्टैग वाली गाड़ियों से वसूली में गड़बड़ी की जा रही थी।

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    एनएचएआइ के गोरखपुर परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआइयू) ने भी बड़ी कार्रवाई की है। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    अरुण चन्द, जागरण, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में टोल प्लाजा पर वसूले जाने वाले टोल टैक्स में घोटाले को लेकर पिछले माह स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्रवाई के बाद एनएचएआइ के गोरखपुर परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआइयू) ने भी बड़ी कार्रवाई की है।

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    गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर पीपीगंज स्थित नयनसर टोल प्लाजा के संचालक फर्म पर 10 लाख का जुर्माना लगाने के साथ ही एनएचएआइ के परियोजना निदेशक ललित पाल ने फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के लिए मुख्यालय को संस्तुति की है। जल्द ही कार्रवाई हो जाने की उम्मीद है।

    परियोजना निदेशक ने यह कार्रवाई नयनसर टोल प्लाजा से जुड़े दो साल के अभिलेखों की जांच में कई गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाएं जाने के बाद की है। विभाग ने संबंधित अभिलेख एसटीएफ को भी भेजे हैं। नयनसर टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने 22 जनवरी की देर रात छापा मारा था।

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    पांच घंटे तक की पूछताछ के बाद एसटीएफ की टीम टोल प्लाजा से लैपटाप और कंप्यूटर आदि जब्त कर साथ लेते गई थी। इसके बाद से ही एनएचएआइ के परियोजना निदेशक की इस टोल प्लाजा पर नजर थी। यद्यपि, एसटीएफ की कार्रवाई के करीब 15 दिन पहले ही उन्होंने इस टोल प्लाजा की जांच की थी। लेकिन, उस समय उनके हाथ कुछ नहीं लगा था।

    एसटीएफ की कार्रवाई के बाद उन्होंने टोल प्लाजा का संचालन करने वाली फर्म आशीष अग्रवाल के दो साल के सभी अभिलेखों की बारीकी से जांच कराई, जिसमें दो साल से वहां बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों से वसूले जाने वाले कैश में खेल के अलावा कुछ और भी गड़बड़ी सामने आई है। इसपर उन्होंने टोल प्लाजा संचालक फर्म पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही इसे ब्लैक लिस्ट करने के लिए दिल्ली मुख्यालय को संस्तुति भेजी है।

    टोल प्लाजा पर वसूले जाने वाले टोल टैक्स में घोटाला। जागरण


    बाकी टोल प्लाजा पर भी तेज हुई निगरानी

    एसटीएफ की कार्रवाई में गड़बड़ी सामने आने के बाद विभाग ने बाकी टोल प्लाजा की भी निगरानी तेज कर दी है। विभाग गोरखपुर क्षेत्र में पड़ने वाले सभी 15 टोल प्लाजा की खुद के साथ ही दूसरे क्षेत्र के एनएचएआइ के तकनीकी कर्मचारियों से भी रेंडम जांच कराई जा रही है।

    बिना फास्टटैग वाली गाड़ियों से वसूली में चल रहा था खेल

    टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में घोटाले का मामला पकड़ में आने के बाद एसटीएफ ने पिछले माह से अभी तक प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कई लोगों को हिरासत में लिया है। दावा किया जा रहा है कि जिस साफ्टवेयर के जरिए यह पूरा खेल संचालित होता था, उसे बनाने और इंस्टाल करने वालों की सूची में गोरखपुर के नयनसर टोल प्लाजा का भी नाम था। इसी आधार पर एसटीएफ ने यहां कार्रवाई की थी।

    एनएचएआइ विभाग के सूत्रों के मुताबिक नयनसर के साथ ही यूपी समेत अन्य प्रदेशों के टोल प्लाजा में हुए घोटाले की पूरी पड़ताल में जो तथ्य सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। टोल प्लाजा पर लगे एनएचएआइ के कंप्यूटर में आरोपी अपना साफ्टवेयर इंस्टाल करते थे, जिसके जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के गुजरने वाले वाहनों से वसूले जा रहे रुपये में धांधली की जा रही थी।

    एसटीएफ की कार्रवाई के बाद नयनसर टोल प्लाजा पर निरंतर नजर रखी जा रही थी। एसटीएफ की कार्रवाई के बाद तो प्लाजा संचालक की ओर से कोई गड़बड़ी नहीं की जा रही थी, लेकिन जब उनके पिछले दो साल के अभिलेखों की जांच की गई तो कई गंभीर गड़बड़ी पकड़ में आई है। इसपर टोल प्लाजा का संचालन करने वाली फर्म पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही इसे ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है, जल्द ही वहां से कार्रवाई हो जाएगी। इसके अलावा भी टोल प्लाजा की गहन निगरानी की जा रही है। गड़बड़ी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। - ललित पाल, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ गोरखपुर पीआइयू

    टोल प्लाजा से बिना फास्टैग वाले वाहनों से विशेष साफ्टवेयर से वसूली की जाती थी। उसकी प्रिंट पर्ची एनएचएआइ के साफ्टवेयर से मिलने वाली पर्ची के समान ही होती थी, जिससे आमजन को भी संदेह नहीं होता था। बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन पांच प्रतिशत धनराशि एनएचएआइ के असली साफ्टवेयर से वसूली जाती थी, ताकि किसी को शक न हो।

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    बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिया गया टैक्स सरकारी खाते में नहीं जा रहा था जबकि नियमानुसार बिना फास्टैग वाले वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50 प्रतिशत एनएचएआइ के खाते में जमा करना होता है।