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    यूपी के इस शहर में सूदखोरों से परेशान सब्जी विक्रेता ने दे दी जान, मरने से पहले वीडियो में बोला- थक चुका हूं...

    साऊखोर गांव के अजय तिवारी ने सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने मोबाइल पर दो वीडियो रिकार्ड किए जिसमें उन्होंने बगल के गांव के दो युवकों को अपनी मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया। अजय तिवारी की पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

    By Satish pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 20 Mar 2025 01:52 PM (IST)
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    मृतक अजय तिवारी की फाइल फोटाे। जागरण

    जागरण संवाददाता, महुआपार। सूदखोरों की प्रताड़ना से तंग आकर साऊखोर गांव के अजय तिवारी (48) ने मंगलवार की रात घर के सामने स्थित घारी (पशुओं के रहने का स्थान) में फंदे से लटककर जान दे दी। आत्मघाती कदम उठाने से पहले उन्होंने अपने मोबाइल पर दो वीडियो रिकार्ड किए, जिसमें बगल के गांव के दो युवकों को अपनी मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।

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    अजय तिवारी की साऊखोर चौराहे पर सब्जी की दुकान थी, जिससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। परिजनों के मुताबिक, उन्होंने कुछ समय पहले सूद पर रुपये लिए थे और मूलधन से अधिक रकम चुका चुके थे। बावजूद इसके सूदखोरों की प्रताड़ना कम नहीं हुई।

    रुपये लौटाने के बावजूद दोनों युवक उनसे और अधिक रुपये की मांग कर रहे थे। इस मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी से जूझते हुए अजय तिवारी ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया। फंदे पर लटकने से पहले अपने मोबाइल में अजय ने 55 सेकंड और 1.05 मिनट के दो वीडियो बनाए थे।

    जिसमें वह कह रहे हैं कि जितने रुपये लिए थे,उससे ज्यादा लौटा चुका हूं। फिर भी रोज-रोज पैसे के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। अब हिम्मत नहीं बची। किसी तरह नमक-रोटी खाकर जी रहा था, लेकिन अब ऊब चुका हूं। घर में भी रोज झगड़ा हो रहा है। मेरी मृत्यु के लिए वही दोनों लोग जिम्मेदार हैं।

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    अजय तिवारी की पत्नी अनुराधा,बेटियां अंशु,अंजली और बेटे आयुष का रो-रोकर बुरा हाल है। एसपी दक्षिणी जितेंद्र कुमार ने बताया स्वजन ने आत्महत्या करने की जानकारी दी थी।वीडियो मिलने की जानकारी नहीं है।तहरीर मिलने पर मामले की जांच कराई जाएगी।

    पुलिस मामले की जांच कर रही है। जागरण


    ब्याज के बोझ तले दब गया एक और पिता,छोड़ गया दर्द भरी यादें

     "मैंने जो लिया, उससे ज्यादा चुका दिया... अब और नहीं सह सकता।" यह शब्द थे अजय तिवारी के, जो सूदखोरों की बेदर्दी के आगे हार गए। परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ, समाज का तिरस्कार और रोज-रोज की प्रताड़ना ने उन्हें इस हद तक तोड़ दिया कि उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लिया।

    अजय तिवारी एक मेहनती इंसान थे। भोर होते ही वह सब्जी मंडी चले जाते, ताजी सब्जियां खरीदकर साऊखोर चौराहे पर अपनी दुकान लगाते। दिनभर ग्राहकों को सब्जी बेचकर जो भी आमदनी होती, उससे घर चलता। तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। लेकिन कुछ वक्त पहले उन्हें मजबूरी में कर्ज लेना पड़ा।

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    स्वजन का कहना है कि उन्होंने ईमानदारी से हर महीने रुपये लौटाए, लेकिन सूदखोरों की भूख बढ़ती गई। मूलधन चुकता होने के बावजूद ब्याज का खेल खत्म नहीं हुआ। हर दिन नए-नए ताने, धमकियां और गालियां उन्हें मिलतीं। घर में कलह बढ़ती गई।

    मंगलवार की रात, जब अंधेरा गहरा रहा था, अजय तिवारी की आंखों में भी जीवन की रोशनी बुझने लगी। उन्होंने अपने घर के सामने घारी में फांसी लगा ली। जाते-जाते अपने मोबाइल पर अपनी पीड़ा दर्ज कर गए, ताकि दुनिया को बता सकें कि उनकी मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और सूदखोरों की वहशी प्रवृत्ति का नतीजा है।