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    UP News: रोहिंग्या घुसपैठ की आशंका के बीच झुग्गीवासियों का पलायन, पुलिस-प्रशासन में मचा हड़कंप

    पिपराइच में रोहिंग्या मुसलमानों की मौजूदगी की आशंका से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग पलायन कर गए हैं। पुलिस और प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक रोहिंग्या होने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। अल्पसंख्यक समुदाय का कहना है कि यह सिर्फ कुछ लोगों के बीच का भूमि विवाद है जिसे बेवजह सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

    By Satish pandey Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 05 Mar 2025 02:37 PM (IST)
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    गढ़वा गांव में खाली पड़ी झुग्गी के अंदर बिखरे सामान- जागरण

    जागरण संवाददाता, पिपराइच। खाली भूमि पर कब्जा कर झोपड़ी बनाकर रहने वाले लोग सोमवार की रात में सामान लेकर लौट गए। मंगलवार को पुलिस व प्रशासन की टीम पहुंची तो मौके पर खाली झोपड़ियां व बिखरा हुआ सामान बचा था। भाजपा नेता की शिकायत के बाद आशंका जताई जा रही थी इस झोपड़ी में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं।

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    नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्ष अनुपमा आर्या ने पांच नामजद, 50 रोहिंग्या के विरुद्ध पिपराइच थाने में मारपीट व जानलेवा हमला करने का मुकदमा दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि भूमि विवाद में रोहिंग्या की मदद से उनके ऊपर जानलेवा हमला किया गया।

    मामला सामने आने के बाद एलआइयू, एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसी सक्रिय हो गईं और मौके पर पहुंचकर पूछताछ व जांच शुरू कर दिया। जिसमें सामने आया कि झोपड़ी में रहने वाले लोग भीख मांगने के साथ ही कबाड़ बीनकर और मजदूरी करके गुजारा करते हैं।

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    वहां कहां के रहने वाले हैं यहां कैसे पहुंचे इसका जवाब नहीं दे सके।जांच और संभावित कार्रवाई के डर से मंगलवार की रात में यह लोग अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर भाग गए।मंगलवार सुबह जब पुलिस टीम जब दोबारा जांच के लिए पहुंची, तो वहां सिर्फ खाली झोपड़ियां और बिखरे हुए घरेलू सामान मिले।

    आसपास की कुछ महिलाएं टूटे-फूटे झोपड़ों से लकड़ियां और अन्य जरूरी सामान समेटते दिखीं। पूछने पर उन्होंने कहा रात में कुछ लोग चले गए, बाकी सुबह बोरिया-बिस्तर लेकर निकल गए। पुलिस बार-बार आ रही थी, इसलिए सब डर गए।

    पुलिस मामले की जांच कर रही है।- जागरण


    अब तक की जांच में रोहिंग्या होने का नहीं मिला साक्ष्य :

    एलआइयू (स्थानीय अभिसूचना इकाई) की जांच में अब तक रोहिंग्या घुसपैठ के ठोस सबूत नहीं मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, यहां रहने वाले अधिकतर लोग चौरीचौरा, आसपास के गांवों और बिहार के विभिन्न इलाकों से आए मजदूर थे।एलआइयू अधिकारियों ने यहां रहने वाले करीब 30 परिवारों के आधार कार्ड की छायाप्रतियां जमा की हैं, ताकि उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके। सोमवार को एलआइयू के इंस्पेक्टर ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

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    अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी, बताया जमीन विवाद

    गढ़वा चौक में रोहिंग्या मुसलमानों की मौजूदगी को लेकर हो रही चर्चा से अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी है। उनका कहना है कि यह सिर्फ कुछ लोगों के बीच का भूमि विवाद है, जिसे बेवजह सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।

    इलाके में चर्चा थी कि मंगलवार को इस प्रकरण की जांच के लिए बड़े अधिकारी गांव में पहुंच सकते हैं, लेकिन कोई नहीं आया।पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस विवाद को कैसे हल करता है और क्या कोई कानूनी कार्रवाई होती है।