गोरखपुर में रोहिंग्या घुसपैठ की ATS और खुफिया एजेंसी ने शुरू की जांच, आखिर कहां से आ रहे हैं ये संदिग्ध?
गोरखपुर में रोहिंग्या घुसपैठ की जांच तेज हो गई है। एटीएस और खुफिया विभाग की टीम ने संदिग्धों से पूछताछ की है। कई लोग पुलिस के आने की आहट पाकर खेतों में छिप गए। पुलिस को संदेह है कि ये लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। आखिर कहां से आ रहे हैं ये संदिग्ध लोग? भूमि के मालिकों ने अतिक्रमण हटाने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पिपराइच के गढ़वा चौक के पास करोड़ों की भूमि पर कब्जे के विवाद में रोहिंग्या की संलिप्तता की जांच तेज हो गई है। सोमवार को पुलिस, प्रशासन, राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ता) और खुफिया विभाग की टीम मौके पर पहुंची और संदिग्ध लोगों से पूछताछ की। झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे करीब 18 परिवारों में खलबली मच गई।
कई लोग पुलिस के आने की आहट पाकर खेतों में छिप गए। पुलिस ने इलाके का निरीक्षण किया और वहां रहने वाले लोगों से उनकी पहचान और कागजात मांगे। ज्यादातर लोगों के पास वैध दस्तावेज नहीं मिला। सुबास और कुंती नामक दो लोगों ने खुद को बुआ-भतीजा बताया, लेकिन उनके बयान लगातार बदलते रहे। उनके साथ एक छोटा बच्चा डोका भी था, जिसे अपना नाती बता रहे थे।
पुलिस को संदेह है कि ये लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। सुबास ने खुद को चौरीचौरा क्षेत्र के बाले गांव का निवासी बताया, लेकिन न तो उसके पास कोई पहचान पत्र था और न ही माता-पिता का नाम सही तरीके से बता सका। जांच टीम ने आसपास के लोगों से भी पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि ये लोग कबाड़ बीनने, मजदूरी करने और भीख मांगने का काम करते हैं।
आखिर कहां से आ रहे हैं ये संदिग्ध
लोगगढ़वा चौक का विवाद अब एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। विवाद की शुरुआत एक मार्च को तब हुई, जब करोड़ों की भूमि पर कब्जे को लेकर झड़प हो गई। झड़प में पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष और भाजपा नेत्री अनुपमा आर्या, उनके पति मुरारी लाल और पुत्र सूर्यांश गुप्ता घायल हो गए। इसके बाद दो मार्च को अनुपमा आर्या की तहरीर पर 50 रोहिंग्या मुसलमानों सहित कुल 67 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
स्थानीय लोगों ने कहा चार वर्ष के भीतर अवैध रूप से बस गए बाहरी लोग
बंद रेलवे डिपो से सटी एक एकड़ से अधिक भूमि पर अवैध रूप से रह रहे प्रवासी लोगों को जल्द हटाया जाएगा।भूमि के मालिक पूर्व प्रधान सदानंद गुप्ता, एडवोकेट राकेश गुप्ता और दीनदयाल गुप्ता ने प्रशासन से राजस्व और पुलिस विभाग के सहयोग से अतिक्रमण हटाने की गुहार लगाई है।
पूर्व प्रधान सदानंद गुप्ता ने बताया कि पहले इस जमीन पर अरहर की खेती होती थी। लेकिन नीलगाय और छुट्टा जानवरों द्वारा फसल बर्बाद किए जाने के कारण यह परती पड़ी थी। कुछ साल पहले एक परिवार ने यहां रहना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई। पिछले डेढ़ साल में 18 झोपड़ियां डालकर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया।
फौटो। मुड़ेरी गढ़वा टोले पर रहने वाले ग्रामीण
सोमवार को राजस्व निरीक्षक विनय श्रीवास्तव और लेखपाल संजय मौके पर पहुंचे। प्रशासन ने स्थिति का जायजा लिया और जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया।प्रशासन की ओर से संकेत मिले हैं कि अवैध रूप से रह रहे लोगों को जल्द जमीन खाली करने का नोटिस दिया जाएगा।
इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे की गड्ढे वाली भूमि और आसपास के इलाके में कुछ बाहरी लोग बीते चार वर्ष से घर बनवाकर रह रहे हैं।यदि समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो यह अवैध बस्ती और बढ़ सकती है।
एफआइआर में नाम नहीं, भाजपा नेता ने जताई आपत्ति
भाजपा नेता अनुपमा ने बताया कि उन्होंने थानेदार से फोन पर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन जिन मुख्य लोगों के विरुद्ध प्रार्थना पत्र दिया था उनके नाम एफआईआर में दर्ज नहीं किए गए। इस पर उन्होंने एसपी उत्तरी से मुलाकात की और विवेचना में सुधार की मांग की। थानेदार ने जांच के बाद उचित संशोधन का आश्वासन दिया है।सोमवार को पुलिस ने अनुपमा व उनके बेटे सूर्यांश का मेडिकल परीक्षण भी कराया है।
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