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    गोरखपुर के RKM हाॅस्पिटल पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम, लाइसेंस होगा निरस्त; बिना डॉक्टर के होता था ऑपरेशन

    Updated: Wed, 26 Feb 2025 08:49 PM (IST)

    अस्पताल के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया। मौके पर न तो पंजीकृत डॉक्टर मिले और न ही संचालक। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी है। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि गुरुवार को अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। जागरण ने चालक से बना हाॅस्पिटल संचालक रोगियों का कर रहा आपरेशन शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।

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    आकेएम हाॅस्पिटल का लाइसेंस निरस्त होगा। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चिलुआताल क्षेत्र और गुलरिहा थाने से सटे झुंगिया बाजार में चल रहे आकेएम हाॅस्पिटल का लाइसेंस निरस्त होगा। जागरण की खबर का संज्ञान लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम हाॅस्पिटल पहुंची। मौके पर न पंजीकरण कराने वाले डा. फैज अहमद मिले और न ही फर्जी डा. बना संचालक एमएस चौधरी।

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    जांच टीम ने रिपोर्ट सीएमओं के सामने प्रस्तुत कर दी है। नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमओं अनिल सिंह ने कहा कि बुधवार को अवकाश होने के चलते कार्रवाई नहीं की गयी। गुरुवार को इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।

    जागरण ने अपने समाचारीय अभियान के तहत बुधवार के अंक में ''चालक से बना हास्पिटल संचालक, रोगियों का कर रहा आपरेशन'' शीर्षक से खबर प्रकाशित की। बताया कि किस तरह से एक आटो चालक लगातार हास्पिटल खोलकर रोगियों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। 15 वर्ष पहले वह आटो चलाता था।

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    इसके बाद एक निजी हास्पिटल में काम किया। कुछ दिन बाद उसे निकाल दिया गया। इसके बाद वह भटहट कस्बे में राज नाम से हास्पिटल खाेला। एक रोगी की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बंद करा दिया। फिर ठिकाना बदलकर न्यू राज नाम से हास्पिटल खोला।

    बिना डॉक्टर के होता था ऑपरेशन। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    वर्ष 2020 में जावइंट मजिस्ट्रेट ने पंजीकरण नहीं होने पर सील कर दिया। कुछ महीने बाद उसने डाइबटीज के चिकित्सक डा. फैज अहमद की डिग्री पर झुंगिया बाजार में आरकेएम हास्पिटल खोला। प्रकाशित इस खबर का संज्ञान लेने के बाद डिप्टी सीएमओं ने एक टीम को जांच के लिए भेजा तो वहां पर कोई डा. नहीं मिला।

    ऑपरेशन के बाद गंभीर हुआ था रोगी

    आरकेएम हास्पिटल में आशा कार्यकर्ता रोगी को लेकर आती थी। कुछ दिन पहले हास्पिटल में एक रोगी का आपरेशन हुआ था, उसे आशा कार्यकर्ता ही लेकर आयी थी। आपरेशन के बाद जब रोगी की हालत गंभीर हुयी तो उसे बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था।

    आरकेएम हाॅस्पिटल की जांच करने एक टीम गयी थी। उस समय वहां पर कोई नहीं मिला। नियमानुसार हास्पिटल का रजिस्ट्रेशन कराने वाले डा. फैज अहमद को होना चाहिए था। इस लापरवाही पर हास्पिटल का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। संचालक डा. है या नहीं इसकी जांच पुलिस की मदद से की जाएगी। -अनिल सिंह, डिप्टी सीएमओं व नोडल अधिकारी नर्सिंग होम।

    इस बार एमएस चौधरी की है चालाकी

    डा. न होते हुए हास्पिटल संचालक ने आला के साथ अपना कई फोटो इंटरनेट मीडिया पर डाल रखा है, जिसमें उसने खुद को भी डा. एमएस चौधरी के नाम से संबाेधित किया है। नाम के नीचे उसने खुद को बीएएमएस डीवाईएनएस फिजिशियन व सर्जन बताया है।

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    हॉस्पिटल के बोर्ड पर सिर्फ रजिस्ट्रेशन वाले डा. की फोटो लगा रखी है, मोबाइल नंबर अपना दिया है। इसके अलावा इस बार उसने हास्पिटल खोलते समय एक चालाकी भी की है। बीते दो बार बंद हुआ उसका हास्पिटल गुलरिहा थाना क्षेत्र में था। लेकिन इस बार गुलरिहा थाने के बगल में है लेकिन थाना क्षेत्र चिलुआताल पड़ता है।

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