UP News: गोरखपुर चिड़ियाघर के बाघ केसरी की मौत का पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा, इस चोट से गई थी जान
बाघा की मौत का कारण सामने आ गया है। उग्रता के कारण उसके शरीर में आई गंभीर चोटों से हुई है। बाघ ने नाइटसेल के ग्रिल को दांत से तोड़ने की कोशिश की थी जिससे उसके जबड़े में चोट आ गई थी। इसके बाद उसने बाघ बाड़े के नाइट सेल में लगे ग्रिल टायल्स और दरवाजों पर लगी लोहे की शीट को तोड़ना शुरू कर दिया था।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जबड़े व शरीर में आई चोट से बाघा केसरी हाइपावोलुमिक शाक से ग्रसित हो चुका था। इससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया और चिड़ियाघर में 30 मार्च की सुबह उसकी मौत हो गई। आइवीआरआइ, बरेली से आई विसरा जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है।
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) प्रशासन के अनुसार बाघ केसरी की 29 मार्च को तबीयत बिगड़ गई। वह सुबह से ही बेचैन था। नाइटसेल में वह काफी उग्र हो गया था। उसने नाइटसेल के ग्रिल को दांत से तोड़ने की कोशिश की, जिससे उसके जबड़े में चोट आ गई। अत्यधिक उग्रता के कारण उसने बाघ बाड़े के नाइट सेल में लगे ग्रिल, टायल्स और दरवाजों पर लगी लोहे की शीट को तोड़ने लगा।
चिकित्सकों ने उसे शांत करने का प्रयास किया, लेकिन उसकी उग्रता कम नहीं हुई। इससे वह घायल होता गया। अंतत: मार्च की सुबह अचानक उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम में मौत की वजह सामने नहीं आने पर इंडियन वेटनेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ), बरेली को उसका विसरा भेजा गया।
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चिड़ियाघर के उपनिदेशक डा. योगेश सिंह ने बताया कि आइवीआरआइ की लैब में हुई जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि पीलीभीत से रेस्क्यू किए गए बाघ की मृत्यु किसी भी इंफेक्शन से नहीं हुई है। उसके अंदर किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया, वायरस या फंगल संक्रमण भी नहीं पाया गया। रिपोर्ट में बाघ की मृत्यु का कारण अत्यधिक उग्रता के कारण उसके शरीर में आई गंभीर चोट की वजह से हाइपावोलुमिक शाक होना दर्शाया गया है।
गोरखपुर चिड़ियाघर। जागरण (फाइल फोटो)
तो इन आरोपों से लापरवाही बरते जाने की आशंका
चिड़ियाघर प्रशासन पर आरोप है कि जांच में उसने 'आइवीआरआइ' का साथ नहीं दिया। इससे रिपोर्ट आने में देरी हुई। 'विसरा' जांच के दौरान 'आइवीआरआइ' ने बाघ के भोजन के बारे में पूछा था, जिसमें बताया गया कि 27 की शाम को बाघ ने 12 किलो गोश्त खाया था। लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पेट खाली मिला। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसने एक हफ्ते से भोजन करना बंद कर दिया था।
इसके अलावा छह माह में बाघ की ब्लड रिपोर्ट, बुखार, तापमान व अन्य वाइटल, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफ, दवा, किस चिकित्सक ने उपचार किया, हालत बिगड़ने पर लखनऊ, कानपुर चिड़ियाघर के किस चिकित्सक व विज्ञानी से संपर्क किया गया आदि के बारे में भी आइवीआरआइ ने पूछा था। जबकि चिड़ियाघर के उपनिदेशक डा. योगेश प्रताप का कहना है कि जो सूचना उनसे मांगी गई वह तत्काल फोन व वाट्सएप के माध्यम से भेज दी थी।
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यह होता है हाइपोवोलेमिक शाक
'हाइपोवोलेमिक शाक' तब होती है जब शरीर में रक्त या पानी की मात्रा इतनी कम हो जाती है, जिससे दिल पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता और शरीर के अंगों तक आक्सीजन नहीं पहुंच पाती। इससे आमतौर पर काफी रक्तस्राव जैसे बाहरी रक्तस्राव (चोट, दुर्घटना), आंतरिक रक्तस्राव (पेट के अंदर खून बहना) होता है। इससे पीड़ित जानवर का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।
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