Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Railway News: अब एसी इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगी पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनें, पायलटों को मिलेगी बड़ी राहत

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 02:50 PM (IST)

    Railway News पूर्वोत्तर रेलवे की रेल लाइनों का शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो जाने के बाद ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजनों से चलने लगी हैं। डीजल इंजन अब इतिहास बनने की तरफ अग्रसर हैं। इलेक्ट्रिक इंजन के आ जाने से संरक्षा तो बेहतर हुई ही है ट्रेनों का संचालन भी सुविधाजनक हुआ है। गर्मी के दिनों में लोको पायलटों की परेशानियां बढ़ जाती हैं।

    Hero Image
    एसी इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगी पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनें। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे की सभी ट्रेनें एसी इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगी। लोको पायलटों को राहत प्रदान करने तथा संरक्षा को और पुख्ता करने के उद्देश्य से रेलवे प्रशासन ने कुल 349 इलेक्ट्रिक इंजनों में एसी लगाने की योजना तैयार की है। इनमें 176 इंजनों में एसी कार्य करने लगे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रेलवे बोर्ड ने 90 और इलेक्ट्रिक इंजनों में एसी लगाने की हरी झंडी दे दी है। रेलवे प्रशासन ने 15 इंजनों में भी एसी लगाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। आने वाले दिनों में सभी इलेक्ट्रिक इंजन एसी युक्त हो जाएंगे। नए इलेक्ट्रिक इंजनों में एसी लगकर ही आ रहे हैं।

    अब रेल मंत्रालय संरक्षा को और मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। नए इलेक्ट्रिक इंजन पूरी तरह वातानुकूलित तैयार हो रहे हैं। पुराने वाले इलेक्ट्रिक इंजन में अलग से एसी लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा कोहरे में सुरक्षा के लिए फाग सेफ्टी उपकरण, कवच, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम और इंप्रूव्ड ब्रेकिंग सिस्टम जैसी तकनीकों से संरक्षा को उच्चस्तरीय बनाया जा रहा है।

    इसे भी पढ़ें- Janta Darshan: सीएम योगी ने सुनी जनता की फरियाद, बोले- गरीबों की जमीन कब्जाने वालों पर हो कार्रवाई

    भारतीय रेल। जागरण


    ऑनबोर्ड सुविधाएं, उन्नत तकनीकी और रेस्ट के लिए पर्याप्त समय से लोको पायलटों के कार्य वातावरण लगातार बेहतर हुए हैं। दरअसल, गर्मी के दिनों में लोको पायलटों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। लोको पायलट की परेशानी बढ़ने से संरक्षा प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है।

    बाहर के तापमान से इलेक्ट्रिक इंजन के अंदर का तापमान पांच से सात डिग्री बढ़ जाता है। बाहर का तापमान 40 डिग्री होते ही इंजन के अंदर का तापमान 45 से 47 पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में लोको पायलटों के लिए ट्रेन चलाना मुश्किल हो जाता है। पंखों से निकलने वाली हवा शरीर को झुलसाती है। इंजनों के अंदर खड़े लोको पायलट उबल जाते हैं।

    इसे भी पढ़ें- फोन पर पति ने दिया तीन तलाक, आहत महिला ने दे दी जान; मचा हड़कंप

    इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के आ जाने से लोको पायलट के वर्किंग कंडीशन में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, जैसे कि डीजल लोकोमोटिव की तरह इसमें शोर नहीं होता है। इसकी कैब में पर्याप्त जगह है। लोको पायलट की सीट आरामदायक है। बड़ी विंडो साइज होने से दृश्यता भी बेहतर है। लोको पायलट की सुविधाएं बढ़ी हैं। लोको पायलट को पर्याप्त रेस्ट मिल पाए, इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे में स्थित सभी 18 रनिंग रूम में एसी लगाए गए हैं। 50 प्रतिशत इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में भी जल्द ही एसी कार्य करने लगेंगे। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे

    comedy show banner
    comedy show banner