Natural Water Purification: पत्थरों से फिल्टर होगा नाले का पानी, गंदगी सोख लेंगे पौधे
गोरखपुर में प्राकृतिक जलशोधन तंत्र परियोजना ( Natural Water Purification Project) की शुरुआत हुई है। इस परियोजना के तहत प्रतिदिन 15 मिलियन लीटर नाले के पानी को प्राकृतिक रूप से शोधित करके राप्ती नदी में छोड़ा जाएगा। इस तंत्र पर सिर्फ 2.70 करोड़ की लागत आई है जबकि इस क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर तीन वर्ष में 78 करोड़ खर्च होते।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नदियों के संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल हुई है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के पहले प्राकृतिक जलशोधन तंत्र परियोजना का लोकार्पण किया। राप्ती तट पर क्रियाशील हुए तंत्र के द्वारा प्राकृतिक रूप से प्रतिदिन 15 मिलियन लीटर नाले का पानी शोधित करके नदी में छोड़ा जाएगा। इस क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर जहां तीन वर्ष में 78 करोड़ खर्च होते, वहीं इस तंत्र पर सिर्फ 2.70 करोड़ की लागत ही आई है।
मुख्यमंत्री ने लोकार्पण समारोह के दौरान नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल से प्राकृतिक जलशोधन तंत्र की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अन्य नालों को भी इंटरसेप्ट कर प्राकृतिक विधि से जल शोधन का सुझाव दिया। मुख्य अभियंता संजय चौहान ने बताया कि फाइटोरेमेडिएशन विधि से ठेका फर्म तीन वर्ष तक इसे चलाएगी। एसटीपी निर्माण के लिए बहुत ज्यादा भूमि की जरूरत होती है। अनुरक्षण एवं तकनीकी कमी के कारण इसकी क्षमता कम हो सकती है।
एसटीपी की स्थापना में ज्यादा समय लगता है और संचालन के लिए ज्यादा श्रम शक्ति व बिजली की आवश्यकता होती है। वहीं, प्राकृतिक जलशोधन तंत्र के लिए भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। स्थापना में कम समय लगता है। शत प्रतिशत कार्य क्षमता रहती है। संचालन में कोई खर्च नहीं होता।
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ऐसे काम करता है प्राकृतिक जलशोधन तंत्र
- तीन किमी लंबे नाले में 30 से 40 मीटर की दूरी पर राक फिल्टर (गेबियन) लगे हैं।
- नाले में 77 जगह पत्थरों से गंदे पानी को गुजारा जाता है।
- मुख्य नाले व चार ब्रांच नालों और दो अन्य ब्रांच नालों पर प्री फिल्टर लगाए गए हैं।
- नाले में एक्वेटिक प्लांट (टाइफा, फ्रेगमाइट्स, स्क्रिपस, अल्टरनन्थरा, एकोरस आदि) लगाए गए हैं।
- जलीय पौधे पानी की गंदगी को साफ करते हैं।
गोरखपुर के राप्ती नदी के तट पर स्थित तकियाघाट पर प्राकृतिक विधि से नाले के गंदे पानी की सफाई की व्यवस्था का निरीक्षण करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण
नंबर गेम
- 4 करोड़ है एसटीपी की भूमि समेत प्रति एमएलडी लागत
- 6 करोड़ प्रतिवर्ष 15 एमएलडी एसटीपी अनुरक्षण का खर्च
- 2.5 लाख प्रति एमएलडी खर्च है प्राकृतिक विधि पर
- 0 खर्च आता है प्राकृतिक विधि शोधन तंत्र के अनुरक्षण पर
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पिछले वर्ष इस दिशा में शुरू हुआ था काम
दिल्ली विश्वविद्यालय के जाने-माने पर्यावरणविद् और प्रोफेसर एमेरिटस प्रो. सीआर बाबू को पिछले वर्ष नगर निगम के नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने गोरखपुर आमंत्रित किया था। यहां उन्होंने तालाब के पानी को साफ करने और तकियाघाट पर प्राकृतिक विधि से गंदे पानी के शोधन की विधि बताई। उनके मार्गदर्शन में नगर निगम ने काम शुरू किया। अब तकियाघाट पर प्रतिदिन 15 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) गंदे पानी के शोधन की क्षमता वाली परियोजना क्रियाशील हो चुकी है।
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