Flood Warning: गोरखपुर में बाढ़ और जलजमाव से निपटने की तैयारी पूरी, नाले, संपवेल में लगे सेंसर से मिलेगी पल-पल की जानकारी
गोरखपुर में बाढ़ और जलभराव की समस्या से निपटने के लिए शहरी बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली (यूएफईडब्ल्यूएस) तैयार की गई है। इस सिस्टम के तहत नदी नाला ही नहीं संपवेल में भी सेंसर लगाए गए हैं। जैसे ही जलस्तर बढ़ने लगेगा इसकी सूचना तत्काल नगर निगम के कंट्रोल रूम तक आ जाएगी। इससे जलभराव की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मानसून के दौरान बाढ़ और जलभराव जैसी विभीषिका से शहर के लोगों को इस साल काफी हद तक निजात मिलने की संभावना है। एक तरफ नगर निगम की ओर से शहर में नालियों का जाल तैयार कर दिया गया है।
वहीं, नगर निगम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन निधि के सहयोग से शहरी बाढ़ की पूर्व चेतावनी प्रणाली (यूएफईडब्ल्यूएस) पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है। करीब एक साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 56.76 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना का शिलान्यास किया था।
द अर्बन फ्लड अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत नदी, नाला ही नहीं संपवेल में भी सेंसर को इस तरह से लगाया गया है कि जैसे ही जलस्तर बढ़ने लगेगा, इसकी सूचना तत्काल ही नगर निगम में बनाए गए कंट्रोल रूम तक आ जाएगी। इसके बाद नगर निगम की क्विक रिस्पांस टीम जलभराव की समस्या को दूर करने में जुट जाएगी। इस सिस्टम को तैयार करने वाली कंपनी एक ऐप भी तैयार कर चुकी है।
गोरखपुर को जलजमाव से मिलेगी मुक्ति। जागरण (फाइल फोटो)
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इस ऐप के माध्यम से जलस्तर, मौसम का पूर्वानुमान आदि की जानकारी नगर निगम के सारे अधिकारियों के अलावा उससे जुड़े लोगों को मिलेगी। हालात के अनुसार अधिकारी संबंधित को निर्देश जारी कर सकते हैं। कंपनी के गोरखपुर हेड राजीव पांडेय ने बताया कि जल्द ही इसका शुभारंभ किया जाएगा। इस एप को डाउनलोड कर शहर का कोई भी व्यक्ति बारिश का पूर्वानुमान, बारिश के दौरान जलस्तर की जानकारी आदि की भी जानकारी मिल सकेगी।
द अर्बन फ्लड अर्ली वार्निंग सिस्टम काफी हद तक तैयार हो चुका है। इस बार की बारिश में यह सिस्टम पूरी तरह से काम करने लगेगा। इससे मानसून के दौरान जलभराव आदि की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी। समय से सूचना मिल जाने से शहर को बाढ़ और जलभराव से बचाव के पुख्ता इंतजाम किए जा सकते हैं।- दुर्गेश मिश्रा, अपर नगर आयुक्त
संपवेल और नालों में लगाए गए हैं 110 सेंसर
इस सिस्टम के जरिए 21 संपवेल व पंपिंग स्टेशन, 53 बड़े नाले और जलजमाव वाले 29 स्थानों पर सेंसर लगाए गए हैं। इसके अलावा सभी वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज को भी अर्ली वार्निंग सिस्टम से जोड़ा गया है। इससे नगर निगम में बनाए गए कंट्रोल रूम में बारिश और जलभराव का सटीक डाटा और पूर्वानुमान मिल सकेगा। साथ ही सभी पंपिंग स्टेशन में लगे पंप को स्काडा परियोजना के अंतर्गत इस सिस्टम से जोड़कर ऑप्टिमाइज कर दिया गया है।
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नदियों में लगा सेंसर। जागरण (फाइल फोटो)
राप्ती और रोहिन नदी में भी लगाए गए हैं सेंसर
इस सिस्टम के तहत राप्ती और रोहिन नदी में भी सेंसर लगाए गए हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजीव पांडेय ने बताया कि शहरी क्षेत्र में कुल 110 सेंसर के अलावा राप्ती और रोहिन नदी में भी सेंसर लगाए गए हैं। गोरखपुर शहर से करीब 41 किलोमीटर दूर राप्ती नदी में त्रिमुहानी घाट के पास और रोहिन नदी में भौराबारी के पास सेंसर लगाया गया है। अप स्ट्रीम में लगाए गए इस सेंसर से घंटे-दो घंटे पहले नदी के बढ़े जलस्तर के अलावा उसके गोरखपुर शहर तक पहुंचने वाले समय का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। इससे बाढ़ से बचाव का पुख्ता इंतजाम किया जा सकता है।
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