Gorakhpur News: ढाई गुणा गति से दौड़ा गीडा, सुविधाओं में देरी प्लास्टिक पार्क के विकास में रोड़ा
गीडा ने उद्योगों की स्थापना के लिए पिछले सात वर्षों में तेजी दिखाई है। प्लास्टिक पार्क में 40 से अधिक भूखंड आवंटित किए गए हैं लेकिन निर्माण कार्य में देरी हो रही है। सड़क निर्माण में देरी और भूखंडों में गड्ढों के कारण उद्यमी इकाई स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। गीडा ने समय विस्तारण शुल्क भी लगाया है। उद्यमी सुविधाओं के अभाव और विस्तारण शुल्क को लेकर चिंतित हैं।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरक्षनगरी में उद्योगों की स्थापना के लिए सात वर्षों में गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने शुरुआती 28 साल की तुलना में ढाई गुणा रफ्तार से दौड़ लगाई है। इस गति का असर प्राधिकरण की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक प्लास्टिक पार्क में भी दिखा। लेकिन, गीडा ने जो गति भूखंडों के आवंटन में दिखाई वह इकाइयों की स्थापना में नहीं झलक पाई।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे से सटे भगवानपुर में 88 एकड़ में शुरू किए गए प्लास्टिक पार्क के शुरू होने से लेकर अभी तक करीब दो साल के भीतर प्राधिकरण ने भूखंड तो 40 से अधिक आवंटित किए लेकिन निर्माण तीन का ही शुरू हो सका। इनमें से सिर्फ एक इकाई में ही हाल में उत्पादन शुरू हो सका है।
अभी औपचारिक शुभारंभ होना बाकी है। जबकि, बाकी दो का निर्माण प्रारंभिक स्तर पर है। उद्यमियों का कहना है कि जुलाई 2024 तक लिंक एक्सप्रेसवे से प्लास्टिक पार्क तक सड़क की सुविधा नहीं हो पाने और आवंटित भूखंडों में से ज्यादातर में गड्ढे और पार्क के आस-पास काफी दूर तक खाली क्षेत्र होने की वजह से वे इकाई नहीं स्थापित कर पा रहे।
प्राधिकरण की माने तो स्थापना वर्ष 1989 से 2017 के बीच गीडा क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने के लिए 382 भूखंड आवंटित किए गए जो इसके बाद के सात वर्ष में बढ़कर 1027 हो गए। इन 35 साल के सफर में गीडा ने अब तक कुल 1745 एकड़ जमीन अधिगृहीत की। इसमें 1374 एकड़ जमीन 2017 से अभी तक के बीच अधिगृहीत हुई। पिछले तीन साल में प्राधिकरण ने सर्वाधिक 960 एकड़ जमीन अधिगृहीत की। इन्हीं तीन वर्षों में ज्यादातर बड़ी कंपनियों की इकाइयां भी स्थापित हुईं।
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इकाइयां लगाने के लिए उद्यमियों की ओर से बढ़ रही मांग को देखते हुए ही गीडा की ओर से गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 800 एकड़ में और जिले के दक्षिणांचल में स्थित धुरियापार के पास 5500 एकड़ में औद्योगिक गलियारा विकसित किया जा रहा है।
औद्योगिक गलियारा में गीडा की ओर से 88 एकड़ में प्लास्टिक पार्क विकसित किया जा रहा है। यहां प्लास्टिक उद्योग की 92 इकाइयों के लिए स्थान एवं सभी जरूरी अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे लगभग पांच हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
यही नहीं, प्लास्टिक पार्क में यूनिट लगाने वाले उद्यमियों को कच्चे माल की कोई चिंता न रहे इसके लिए परियोजना स्थल पर ही गेल (गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड) की तरफ से कच्चा माल सुलभ कराने की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए गीडा और गेल के बीच पिछले साल प्राधिकरण के स्थापना दिवस पर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एमओयू हो चुका है।
प्लास्टिक पार्क में गीडा की ओर से परियोजना स्थल पर सेंट्रल इंस्टिट्यूट आफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (सीपेट) के सेंटर के लिए भी पांच एकड़ निशुल्क भूमि उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गयी है। सीपेट का सेंटर खुलने से प्लास्टिक पार्क में स्थापित होने वाली इकाइयों को कुशल कारीगरों की उपलब्धता सुनिश्चित होने के साथ उनके द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो सकेगी। लेकिन प्लास्टिक पार्क तक पहुंचने के लिए जुलाई में जाकर सड़क का निर्माण पूरा हो पाने और भूखंडों में गड्ढे होने की वजह से अभी तक सिर्फ तीन ही उद्यमी निर्माण शुरू करा सके। बाकी आवंटी मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से निर्माण कार्य नहीं शुरू कर सके हैं। अब सभी आवंटियों पर गीडा के समय विस्तारण शुक्ल की तलवार भी लटक रही है।
अवधि समय विस्तारण शुल्क
- आवंटन से दो वर्ष तक कोई समय विस्तारण शुल्क नहीं
- आवंटन से दो से तीन वर्ष तक वर्तमान प्रचलित प्रीमियम का एक प्रतिशत
- आवंटन से तीन से चार वर्ष तक वर्तमान प्रचलित प्रीमियम का दो प्रतिशत
- आवंटन से चार से पांच वर्ष तक वर्तमान प्रचलित प्रीमियम का तीन प्रतिशत
- आवंटन से पांच से छह वर्ष तक वर्तमान प्रचलित प्रीमियम का चार प्रतिशत
चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि प्लास्टिक पार्क के भीतर बहुत अच्छा काम हुआ है, लेकिन बाहर मुख्य द्वार से मुख्य सड़क तक पहुंच मार्ग तीन महीने पहले ही बनकर तैयार हो सकी। ज्यादातर भूखंडों में गड्ढे हैं। यहा मिट्टी भराई में ही उद्यमियों का 15 से 20 लाख रुपये खर्च हो जाएगा। जरूरी मूलभूत सुविधाएं समय से नहीं मिल पाने की वजह से उद्यमी, इकाई का निर्माण नहीं शुरू करा पा रहे। अब तो उनपर विस्तारण शुल्क का भी भार बढ़ने वाला है। उद्यमियों को समय विस्तारण शुल्क के लिए तीन साल का समय दिया जाए।
लघु उद्योग भारती मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल ने कहा कि गीडा प्रशासन ने हाईवे से लेकर पार्क तक एप्रोच मार्ग के निर्माण में ही काफी समय लगा दिया जबकि भूखंड करीब दो साल पहले ही आवंटित कर दिए। आस-पास काफी दूर तक कोई आबादी नहीं है। एक दुकान भी नहीं है।
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ऐसे में उद्यमियों में अनजाना भय भी है। जरूरत पड़ने पर जरूरी सुविधाएं भी मौके पर नहीं मिल सकती है। गीडा को आवंटन से पहले सुविधाएं देनी चाहिए। इकाई देर होने में समय से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाना बड़ी वजह है। ऐसे में उद्यमियों सेे विस्तारण शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आरडी पांडेय ने कहा कि प्लास्टिक पार्क को लेकर उद्यमियों में उत्साह है। आधे से अधिक भूखंड आवंटित हो चुके हैं। मौके पर जरूरी आधारभूत सुविधाएं भी विकसित की जा चुकी है। उद्यमियों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा देने में प्राधिकरण जुटा है। प्लाट में गड्ढे हैं तो आवंटन के समय ही आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी। भूखंडों की मांग बढ़ रही है। जल्द ही पार्क के आस-पास भी रौनक बढ़ जाएगी।
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