Railway Mega Block: गोरखपुर में 22 दिन तक अलग-अलग डेट में नहीं चलीं 122 ट्रेनें, रास्ते में रुक गई 45
गोरखपुर जंक्शन पर यार्ड रिमाडलिंग के चलते 22 दिनों तक लगभग 122 ट्रेनें रद्द रहीं और 45 को रास्ते में रोका गया। 27 अप्रैल से 3 मई के बीच गोरखधाम और वंदे भारत जैसी प्रमुख ट्रेनें भी निरस्त रहीं जिससे जनरल टिकट वाले यात्रियों को भारी परेशानी हुई और रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ। इस दौरान जनरल टिकट यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि गोरखपुर जंक्शन पर 22 दिन तक चली नानइंटरलाकिंग (एनआइ) के दौरान लगभग 122 ट्रेनें नहीं चलीं। करीब 45 रेल गाड़ियां रास्ते में रोककर चलाई गईं। 30 से अधिक ट्रेनों का मार्ग बदल गया। 12 से 26 अप्रैल तक चली प्री नानइंटरलाकिंग में तो कुछ हद तक स्थिति ठीक रही, लेकिन 27 अप्रैल से तीन मई तक नानइंटरलाकिंग के दौरान ट्रेनों का संचालन लगभग पूरी तरह ठप रहा।
नानइंटरलाकिंग के दौरान गोरखपुर से बनकर चलने वाली गोरखधाम, हमसफर, चौरी चौरा, वंदे भारत, मौर्य, गोरखपुर एलटीटी और गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल आदि प्रमुख ट्रेनों के अलावा गोरखपुर से बनकर चलने वाली इंटरसिटी व पैसेंजर ट्रेनें पूरी तरह से निरस्त रहीं। दो और तीन मई को तो प्लेटफार्मों का सन्नाटा कोविड काल की याद दिला गया। दिन के समय एक भी ट्रेनों का कोई मूवमेंट ही नहीं हुआ।
जानकारों के अनुसार यार्ड रिमाडलिंग के अंतर्गत 27 अप्रैल से तीन मई तक नानइंटरलाकिंग के दौरान गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेनें ही नहीं आम यात्री भी कम हो गए। रोजाना करीब लगभग 35 हजार की जगह पांच से सात हजार जनरल टिकट ही बुक हुए। सिर्फ सात दिन में घट जनरल के करीब दो लाख यात्री घट गए। दूर दराज गांवों से पहुंचे अधिकतर यात्री जनरल टिकट लेकर ट्रेन का इंतजार करते रहे।
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ट्रेन से हमेशा व्यस्त रहने वाली रेल लाइन तथा यात्रियों से गुलजार रहने वाले प्लेटफार्म व एफओबी पर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। नान इंटरलाकिंग व तीसरी लाइन के विस्तारीकरण को देखते हुए ट्रेनों का संचालन बंद रहा। -अभिनव राजन चतुर्वेदी
ट्रेन नहीं चलने पर फिर वापस हो जा रहे थे। गोरखपुर से दिल्ली, पंजाब, जम्मू, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद और सिकंदराबाद ही नहीं लखनऊ, नरकटियागंज, छपरा, वाराणसी आवागमन करने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वंदे भारत जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेनें ही नहीं पैसेंजर और डेमू ट्रेनें भी नहीं चलीं। गोरखधाम एक्सप्रेस के निरस्त होने से सर्वाधिक परेशानी दिल्ली आवागमन करने वाले लोगों को उठानी पड़ी।
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हजारों लोगों ने अपनी यात्रा निरस्त कर दी तो सैकड़ों ने सड़क मार्ग से अपना सफर पूरा किया। स्थानीय रूटों पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों का संचालन भी प्रभावित रहा। गोरखपुर से गोंडा, छपरा व नरकटियागंज रूट पर चलने वाली दो दर्जन पैसेंजर ट्रेनें निरस्त रहीं।
यात्रियों को तो मुश्किलों का सामना करना ही पड़ा, रेलवे को भी करोड़ों का घाटा उठाना पड़ा है। हालांकि, यार्ड रिमाडलिंग के बाद गोरखपुर जंक्शन का पूरा सिस्टम डिजिटल प्लेटफार्म पर आ गया है। ट्रेनों का संचालन निर्बाध हो गया है।
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